सुबह हमें कितना पानी पीना चाहिए और कब पीना चाहिए और किस बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए
इस लेख में जाने कि हमें सुबह कितना पानी पीना चाहिए और कब पीना चाहिए और किस बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए ।
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सुबह पानी पीना
आयुर्वेद सूर्य उगने से पहले खाली पेट पानी पीने की सलाह देता है। उषापान दो शब्दों से बना हैं – उषा और पान। उषा का अर्थ होता है वह समह जब सूरज का प्रकाश आकाश में दिखाई देने लगता है पर सूर्य अभी उदय नहीं हुआ। यह सूर्योदय से 20 से 30 मिनट पहले तक का समय है।
दूसरे शब्दों में सूर्योदय से पहलेएक विशिष्ट मात्रा में पानी पीना आयुर्वेद में उषापान कहलाता है। आयुर्वेद के अनुसार, सूर्योदय से पहले पानी पीना कायाकल्प अर्थात rejuvenation का काम करता है। यह आपको कब्ज, दिल की बीमारियों, पेट के रोगों, गर्भाशय की समस्याओं, त्वचा रोगों और बालों की समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है और इन रोगों को होने से रोकता है। उषापान आयुर्वेद में एक रसायन चिकित्सा है, जो बहुत सारे रोगों की रोकथाम और उपचार के लिए आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सुबह पानी पीने से कब्ज और बवासीर सहित पेट की बीमारियों को रोकने में मदद मिल सकती है। यह मूत्र विकारों और रक्त विकारों में भी लाभ करता है। यह सिर, नाक, कान और गले सहित शरीर के ऊपरी हिस्सों के सभी रोगों में भी फायदेमंद है। यह त्वचा रोगों की रोकथाम और उपचार में अत्यधिक उपयोगी है।
सुबह पानी पीने के लिए किस बर्तन का प्रयोग करें
उषापान के लिए रात भर पानी रखने के लिए मुख्य रूप से तीन प्रकार के बर्तनों का उपयोग किया जाता है।
- मिटटी का कटोरा
- कॉपर पॉट
यदि आप पतले है या आपकी प्रकृति वातज या पित्तज है, तो आपके लिए स्वर्ण पात्र में रखा पानी बहुत लाभदायक हैं। यदि आप सोने का बर्तन नहीं खरीद सकते हैं, तो आप रात भर मिट्टी के बर्तन में रखा पानी पी सकते हैं।
यदि आप मोटे है या आप का वजन ज्यादा है या आपकी प्रकृति कफज है, तो आप को रात भर तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए। वैकल्पिक रूप से, आप गर्म पानी पी सकते हैं। तांबे के बर्तन में रखा पानी और गर्म पानी अन्य लाभों के अलावा वजन कम करने में भी मदद करता है।
सुबह हमें कितना पानी पीना चाहिए?
आयुर्वेद केवल इसी समय के लिए पानी की मात्रा बताता है। पानी की मात्रा हर व्यक्ति के लिए अलग अलग होती है।
पानी की मात्रा यह निर्भर करती है कि आप अपनी 8 अंजलि में कितना पानी रख सकते हैं। आप जीतना पानी अपनी 8 अंजलि में ले सकते है वही सही मात्रा है।
अंजलि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है दोनों हाथों को जोड़कर अवतल गठन। 8 अंजलि का अर्थ है पानी की मात्रा जिसे आप अपनी अंजलि रूप में 8 बार माप सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप 1 अंजलि में 100 मिलीलीटर पानी रख सकते हैं, तो आपके पीने के पानी की निर्धारित मात्रा 800 मिलीलीटर होगी।
अत: आपको खुद अपनी मात्रा निर्धारित करनी होगी I
आपको सुबह पानी कब पीना चाहिए?
जैसे कि उषापान की परिभाषा है कि – सूर्योदय से पहलेएक विशिष्ट मात्रा में पानी पीना आयुर्वेद में उषापान कहलाता है। इस परिभाषा के अनुसार आपको सूर्योदय से पहले पानी पीना चाहिए। उषापान के स्वास्थ्य लाभ पाने के लिए यही सही समय है।
क्या मै दांत साफ करने के बाद पानी पी सकता हु?
आयुर्वेद साहित्य में इस बात का उल्लेख नहीं है कि आपको दांतों और जीभ को साफ करने से पहले या बाद में पानी पीना चाहिए।
Morning Saliva में कुछ healing गुण होते हैं यदि इसे बाहरी रूप से त्वचा के घाव पर लगाया जाता है।
नींद के दौरान लार का प्रवाह काफी कम हो जाता है, जो मुंह में रोगाणुओं (microbes) की वृद्धि करता है। इस प्रक्रिया से सुबह के समय मुंह में बदबू भी आती है। हालांकि, लाइसोजाइम लार में मौजूद होता है, जो कि एक एंजाइम है जो माइक्रोबियल अतिवृद्धि को रोकता है। फिर भी नींद के दौरान लार का बहाव कम होने के कारण बैक्टीरिया का विकास होने के कारण सुबह मुंह से बदबू आती ही है।
आप अपनी इच्छा अनुसार दांत साफ़ कर के या बिना किये पानी पी सकते हैं