कर्पूर धारा (जीवन रसायन अर्क)
कर्पूर धारा (Karpurdhara) को जीवन रसायन अर्क (Jeevan Rasayan Arq) भी कहा जाता है। आयुर्वेद में यह हैजा रोग अथवा कॉलेरा की एक उत्तम औषधि है। कॉलेरा में इसकी 2-2 बूंद बताशे में डालकर देते आधे आधे घंटे पर देते है। यह प्रयोग तब तक किया जाता है जब तक कोलेरा की गंभीरता कम नहीं हो जाती।
इसके अतिरिक्त इसका दांत दर्द, दस्त, पेट दर्द, त्वचा रोग, जुकाम, खुजली, उल्टी, भूख न लगना आदि रोगों में भी प्रयोग किया जाता है।
Contents
घटक द्रव्य एवं निर्माण विधि
कर्पूर धारा (जीवन रसायन अर्क) में निम्नलिखित घटक द्रव्यों (Ingredients) है:
घटक द्रव्यों के नाम | मात्रा |
कर्पूर | 120 ग्राम |
पिपरमिंट के फूल | 60 ग्राम |
अजवायन के फूल (थाइमोल) | 60 ग्राम |
लोबान के फूल (बेन्जोइक एसिड) | 24 ग्राम |
निर्माण विधि: सबसे पहले कर्पूर, पिपरमिंट और थाइमोल को मिलाएँ। जब वो मिलकर पानी बन जाएँ तो उसमें लोबान के फूल (बेन्जोइक एसिड) मिला दें।
औषधीय कर्म (Medicinal Actions)
कर्पूरधारा (जीवन रसायन अर्क) में निम्नलिखित औषधीय गुण है:
- जीवाणुनाशक
- पीड़ाहर
- कण्डूरोधी – खाजनाशक (antipruritic)
चिकित्सकीय संकेत (Indications)
कर्पूरधारा (जीवन रसायन अर्क) निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:
- कॉलेरा (हैजा रोग)
- दांत दर्द
- दस्त
- पेट दर्द
- त्वचा रोग
- जुकाम
- कण्डू या खुजली
- उल्टी
- अग्निमांद्य या मंदाग्नि या भूख न लगना
- सिरदर्द (जिस में सिर में भारीपन महसूस होता है)
- आमवात
- जोड़ों का दर्द
- कान का दर्द
कर्पूर धारा मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)
कर्पूरधारा की सामान्य औषधीय मात्रा व खुराक इस प्रकार है:
औषधीय मात्रा (Dosage)
बच्चे (10 वर्ष से ऊपर) | 1 से 2 बूंद |
वयस्क | 2 से 5 बूंद |
सेवन विधि
दवा लेने का उचित समय (कब लें?) | हल्का सा भोजन करने के बाद देना ही उचित है। यदि रोगी को उल्टी हो रही हो, तो इसे कम मात्रा में भोजन के पूर्व भी दे सकते है। |
दिन में कितनी बार लें? | 2 से 3 बार |
अनुपान (किस के साथ लें?) | बताशे में डालकर या शकर के साथ |
उपचार की अवधि (कितने समय तक लें) | चिकित्सक की सलाह लें |
दुष्प्रभाव (Side Effects)
कर्पूरधारा के साइड इफेक्ट्स की विश्वसनीय जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है।
गर्भावस्था और स्तनपान (Pregnancy & Lactation)
गर्भावस्था और स्तनपान दौरान कर्पूरधारा का प्रयोग अनुकूल नहीं है।