लोध्रासव (Lodhrasava or Lodhrasavam)
लोध्रासव (Lodhrasava or Lodhrasavam) का प्रयोग विशेषतः स्तंभनार्थ किया जाता है। यह रक्त का स्तंभन करता है इस लिए यह स्त्रियों में रक्तप्रदर, गर्भाशय से होने वाला असामान्य रक्तस्राव और माहवारी समय होने वाला भारी रक्तस्राव आदि में किया जाता है। इसका स्तंभन कार्य होने से यह श्वेतप्रदरह (leucorrhea) में भी लाभ करता है।
लोध्रासव कफ पित्त शामक है और कफ पित्त दोष प्रधान प्रमेह रोग में यह अतिहितकारी है। इस के इलावा यह रक्तपित्त, ग्रहणी, अरुचि, बवासीर और पीलिया आदि में भी लाभकारी है।
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घटक द्रव्य एवं निर्माण विधि
लोध्रासव के घटक और निर्माण करने की विधि इस प्रकार है।
घटक द्रव्यों के नाम | मात्रा |
पठानी लोध | 120 ग्राम |
कचूर | 120 ग्राम |
पुष्करमूल | 120 ग्राम |
छोटी इलायची | 120 ग्राम |
मूर्वा | 120 ग्राम |
बायबिडंग | 120 ग्राम |
हरड़ | 120 ग्राम |
बहेड़ा | 120 ग्राम |
आंवला | 120 ग्राम |
अजवायन | 120 ग्राम |
चव्य | 120 ग्राम |
प्रियंगु | 120 ग्राम |
चिकनी सुपारी | 120 ग्राम |
इंद्रवारुणी का मूल | 120 ग्राम |
चिरायता | 120 ग्राम |
कुटकी | 120 ग्राम |
भारंगी | 120 ग्राम |
तगर | 120 ग्राम |
चित्रकमूल | 120 ग्राम |
पीपलामूल | 120 ग्राम |
कूठ | 120 ग्राम |
अतीस | 120 ग्राम |
पाठा | 120 ग्राम |
इन्द्रजौ | 120 ग्राम |
नागकेशर | 120 ग्राम |
कूड़े की छाल | 120 ग्राम |
नख | 120 ग्राम |
तेजपत्ता | 120 ग्राम |
कालीमिर्च | 120 ग्राम |
नागरमोथा | 120 ग्राम |
उपरोक्त सभी औषधियों का चूर्ण बनाकर 38.4 लीटर जल में डालकर काढ़ा बनायें। पकते पकते जब पानी एक चौथाई रह जाए तो सामग्री को मसलकर छान लें। | |
ठन्डे होने पर इसमें 6 किलो शहद मिलाकर कांच के बर्तन में भरकर रख दें। 30 दिनों के बाद इस छानकर बोतलों में भर कर रखें। |
औषधीय कर्म (Medicinal Actions)
दोष कर्म (Dosha Action) | पित शामक, कफ शामक |
लोध्रासव में निम्नलिखित औषधीय गुण है:
- रक्तस्तभ्भन (शोणितस्थापन)
- शोथहर
- रक्त शोधक
- गर्भाशय शोधक
- गर्भाशयसंकोचक
- श्वेतप्रदरहर
- रक्तप्रदरहर
- ग्राही
- प्रमेहहर
चिकित्सकीय संकेत (Indications)
लोध्रासव निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:
- रक्तप्रदर (Abnormal uterine bleeding) – गर्भाशय से होने वाला असामान्य रक्तस्राव
- माहवारी समय होने वाला भारी रक्तस्राव
- श्वेतप्रदरहर (Leucorrhea)
- रक्तपित्त (bleeding)
- ग्रहणी रोग
- अरुचि – भोजन करने की इच्छा न होना
- बवासीर
प्रमेह रोग
लोध्रासव पित्त कफ दोष प्रधान प्रमेह रोग में उत्तम है।
पित्त दोष (Pitta Dosha) प्रधान प्रमेह
- क्षारमेह
- नीलमेह
- कालमेह
- हारिद्रमेह
- मांजिष्ठमेह
कफ दोष (Kapha Dosha) प्रधान प्रमेह
- उदकमेह
- सान्द्रमेह
- शीतमेह
- पिष्टमेह
लोध्रासव इन सब के इलाज करने में सक्षम है।
मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)
लोध्रासव (Lodhrasava) की सामान्य औषधीय मात्रा व खुराक इस प्रकार है:
औषधीय मात्रा (Dosage)
बच्चे | 5 से 10 मिलीलीटर |
वयस्क | 10 से 25 मिलीलीटर |
सेवन विधि
लोध्रासव (Lodhrasava) को भोजन ग्रहण करने के पश्चात जल की सामान मात्रा के साथ लें।
दवा लेने का उचित समय (कब लें?) | सुबह और रात्रि भोजन के बाद |
दिन में कितनी बार लें? | 2 बार |
अनुपान (किस के साथ लें?) | बराबर मात्रा गुनगुना पानी मिला कर |
उपचार की अवधि (कितने समय तक लें) | कम से कम 3 महीने और चिकित्सक की सलाह लें |
दुष्प्रभाव (Side Effects)
यदि लोध्रासव (Lodhrasava) का प्रयोग व सेवन निर्धारित मात्रा (खुराक) में चिकित्सा पर्यवेक्षक के अंतर्गत किया जाए तो लोध्रासव के कोई दुष्परिणाम नहीं मिलते।