मयूर चन्द्रिका भस्म (मयूर पीछा भस्म) के लाभ, औषधीय प्रयोग, मात्रा एवं दुष्प्रभाव

मयूर चंद्रिका भस्म (मयूर पीछा भस्म) एक उत्कृष्ट छर्दिहर आयुर्वेदिक औषधि है। इसमें आक्षेपनाशक गुण भी होते हैं। मयूर चन्द्रिका भस्म को मतली और उल्टी के उपचार के लिए उपयोग में लाया जाता है। यह हिचकी, खांसी और दमा में भी लाभदायक है।
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घटक द्रव्य (संरचना)
मयूर चन्द्रिका भस्म को मयूर के पंखों से बनाया जाता है। मोर के पंखों में मेलानिन रंगद्रव्य होता है, जो उसे भूरा रंग प्रदान करता है। मोर की आकृति में उज्ज्वल रंग उसके अंतर्निहित संरचना के कारण होते हैं, जिनमें कई छोटे छेद होते हैं। यह छिद्र षट्कोण स्वरूप में व्यवस्थित होते हैं। इस संरचना के माध्यम से प्रकाश का प्रतिबिंब लाल, नीला, हरे रंग आदि सहित विभिन्न रंगों की अनुभूति देता है।
रासायनिक रूप से, मयूर पंख (मोर पंख) में तांबा, मैंगनीज, लौह और जस्ता होता है।
मयूर चन्द्रिका भस्म के निर्माण की प्रक्रिया
मयूर पंखों को लेते हैं और इसे गाय के घी में जलाया जाता है। मोर पंखों को जलाने के बाद प्राप्त राख को मयूर चंद्रिका भस्म या मयूर पीछा भस्म कहा जाता है। आम तौर पर, भस्म बनाने के लिए रंगीन मध्य भाग लिया जाता है।
औषधीय गुण
मयूर चन्द्रिका भस्म में चार विशेषताऐं हैं:
- छर्दिहर, छदिनिग्रहण – वमनरोधी
- हिक्का हर – हिचकी मारक
- सौम्य कासरोधक
- सौम्य ब्रांकोडायलेटर (श्वसनीविस्फारक)
चिकित्सीय संकेत
मयूर चन्द्रिका भस्म के दो मुख्य चिकित्सीय संकेत हैं।
- मतली और उल्टी
- हिचकी
- दमा
हालाँकि, इसका उपयोग खांसी और दमा में भी किया जाता है, लेकिन इन स्थितियों में अकेले इससे उपचार करने से इसका प्रभाव बहुत कम पड़ता है। इसलिए, दमा और खांसी में मयूर चन्द्रिका भस्म से अधिकतम लाभ लेने के लिए हर्बल संयोजनों की आवश्यकता होती है।
लाभ और औषधीय उपयोग
आयुर्वेद में मयूर चन्द्रिका भस्म मतली और उल्टी के लिए एक पसंदीदा औषधि है। यह हिचकी को भी दबाती है।
मतली और उल्टी
मयूर चन्द्रिका भस्म में वमनरोधी क्रिया होती है। यह निम्नलिखित हर्बल संयोजन में प्रभावी है:
उपचार | मात्रा |
मयूर चन्द्रिका भस्म | 250 मिलीग्राम * |
कपूर कचरी | 500 मिलीग्राम * |
जहर मोहरा पिष्टी – Jahar Mohra Pishti | 250 मिलीग्राम * |
* शहद के साथ दिन में दो बार |
अगर उल्टी खट्टी होती है और जलन के साथ बाहर आती है तो निम्नलिखित संयोजन बेहतर काम करता है:
उपचार | मात्रा |
मयूर चन्द्रिका भस्म | 250 मिलीग्राम * |
जहर मोहरा पिष्टी – Jahar Mohra Pishti | 250 मिलीग्राम * |
प्रवाल पिष्टी – Praval Pishti | 250 मिलीग्राम * |
मुक्ता शुक्ति पिष्टी | 250 मिलीग्राम * |
कपर्दक भस्म | 125 मिलीग्राम * |
* शहद के साथ दिन में दो बार |
उपरोक्त संयोजन उल्टी के हल्के और मध्यम सभी मामलों में प्रभावी होते हैं। यदि उल्टी गंभीर है, तो इसके साथ सूतशेखर रस या लघु सूतशेखर रस की भी आवश्यकता हो सकती है।
हिचकी
मयूर चन्द्रिका भस्म में हिचकी मारक गुण होते हैं। हालांकि, यह पाया गया है कि इसका अकेले उपयोग किए जाने पर अच्छे परिणाम नहीं मिलते हैं। यह निम्न संयोजन में बेहतर काम करता है:
उपचार | मात्रा |
मयूर चन्द्रिका भस्म | 250 मिलीग्राम * |
जहर मोहरा पिष्टी – Jahar Mohra Pishti | 250 मिलीग्राम * |
पीपल वृक्ष के छाल की राख | 250 मिलीग्राम * |
पिप्पली | 125 मिलीग्राम * |
* शहद के साथ दिन में दो बार |
दमा
दमा और श्वास सम्बन्धी परेशानियों के उपचार के लिए मयूर चन्द्रिका भस्म के साथ पुष्करमूल और पिप्पली चूर्ण का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है।
मयूर चन्द्रिका भस्म | 250 मिलीग्राम |
पुष्करमूल | 250 मिलीग्राम |
पिप्पली चूर्ण | 250 मिलीग्राम |
शहद | एक चम्मच |
इस मिश्रण को दिन में दो बार लिया जाना चाहिए। दमे के तेज दौरे में इसे छोटी खुराकों में चाटना चाहिए और हर 5 मिनट बाद लेना चाहिए जब तक रोगी बेहतर ना महसूस करे। इस उपचार का तीन महीने का कोर्स दमे के रोगियों में अच्छा परिणाम देता है। |
मात्रा और सेवन विधि
मयूर चन्द्रिका भस्म की सामान्य खुराक इस प्रकार है।
शिशु | 30 से 60 मिलीग्राम * |
बच्चे | 60 से 125 मिलीग्राम * |
वयस्क | 125 से 250 मिलीग्राम * |
गर्भावस्था | 125 से 250 मिलीग्राम * |
वृद्धावस्था | 125 से 250 मिलीग्राम * |
अधिकतम संभावित खुराक (प्रतिदिन या 24 घंटे में) | 1000 मिलीग्राम (विभाजित मात्रा में) |
* शहद के साथ दिन में दो बार |
संदर्भ
- Mayur Chandrika Bhasma – AYURTIMES.COM