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सफेद मूसली (Safed Musli)

सफेद मूसली (मुशली – Safed Musli) आयुर्वेद में एक बृहण और बल्य औषधि है जिसका  मतलब है यह शरीर को बल और ऊर्जा प्रदान करती है। यह शरीर के सामर्थ्य को बढ़ाती है और शरीर के लिए उत्तम पोषक औषधि है। यह पचने में भारी और शीतवीर्य आयुर्वेदिक हर्ब है। यह जीविनीय शक्ति की वृद्धि करती है और रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ाती है। इस का प्रयोग पुरुषों में अधिक किया जाता है क्योंकि यह मुख्यतः पुरुषों की शक्ति और आंतरिक बल को स्थिर करने वाली व बढ़ाने वाली जड़ी बूटी है।  यह शुक्रजनन, बाजीकर और रसायन है। यह शुक्र की वृद्धि करती है और इस को गाढ़ा बनाती है। इसके अतिरिक्त यह मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करने के लिए प्रभावी है।

सफेद मूसली (Safed Musli) का प्रयोग पुरुषों की नपुंसकता और शक्तिहीनता के उपचार के लिए उत्तम कार्यकर है। शरीर की कमजोरी में भूख बढ़ाने वाली औषधि के साथ इसका प्रयोग की जा सकती है। अर्थात्‌ इस का प्रयोग त्रिकटु या पंचकोल आदि के साथ किया जा सकता है।

यह मधुमेह में दुबले या कमजोर लोगों के लिए हितकारी है। इस के सिवा यह सन्धिगत वात (osteoarthritis), अल्पशुक्राणुता, मांसपेशियों में कमजोरी, लगातार रहने वाली थकान, दुबलापन, शरीर का पतलापन आदि में लाभ करती है।

Contents

उपयोगी अंग (Medicinal Parts)

मुख्य रूप से सफेद मूसली की मूल (गांठ वाली जड़ों) का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इसके बीजों का भी प्रयोग होता है। आयुर्वेदिक में मुख्य रूप से बल्य और बाजीकरण के लिए जड़ों का ही व्यवहार प्रचलित है। यह मूसली पाक का मुख्य घटक है जो इसी मकसद के लिए प्रयोग किया जाता है।

इसका स्वीकृत वानस्पतिक नाम Chlorophytum Borivilianum है जिसका पर्याय Asparagus Adscendens है।

रासायनिक संरचना

मूसली जड़ी बूटी की गांठ वाली जड़ों में निम्नलिखित तत्व पाए जाते हैं।

  1. अल्कालोइड्स (क्षाराभ)
  2. कार्बोहाईड्रेट
  3. प्रोटीन
  4. फाइबर (तन्तु)
  5. सैपोनिन्स

मूसली की जड़ों विटामिनयो और खनिजो से भरपूर है।  इस में कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम होते है।

आयुर्वेदिक गुण धर्म एवं दोष कर्म

रस (Taste) मधुर
गुण (Property) गुरु, स्निग्ध
वीर्य (Potency) शीत (शीतल)
विपाक (Metabolic Property) मधुर
दोष कर्म (Dosha Action) वात-पित शामक, कफ वर्धक

सफेद मूसली मुख्य रूप से वात दोष (Vata Dosha) और पित्त दोष (Pitta Dosha) पर काम करता है और कफ दोष (Kapha Dosha) को यह बढ़ाता है। इसलिए इसका प्रयोग कफज विकारो और मोटापे में नहीं करना चाहिए। यदि करना भी पड़े तो एहतियात कफशामक औषिधियो के साथ करना चाहिए।

औषधीय कर्म (Medicinal Actions)

सफेद मूसली में निम्नलिखित औषधीय गुण है:

  1. बृहण और बल्य
  2. शक्ति वर्धक
  3. जीविनीय
  4. शुक्रजनन
  5. शुक्रस्तम्भन
  6. शुक्रवर्धन
  7. बाजीकर (वाजीकरण)
  8. रसायन
  9. विष्टम्भी
  10. एंटासिड (अम्लत्वनाशक)

चिकित्सकीय संकेत (Indications)

सफेद मूसली निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:

  • नपुंसकता
  • पुरुषों की शक्तिहीनता वा कमजोरी
  • स्तंभन दोष
  • शारीरिक दुर्बलता
  • अल्पशुक्राणुता
  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • सन्धिगत वात (osteoarthritis)
  • लगातार रहने वाली थकान
  • मधुमेह में पथ्य के रूप में

सफेद मूसली के लाभ एवं प्रयोग (Safed Musli Benefits in Hindi)

आयुर्वेद में सफेद मूसली के चूर्ण का प्रयोग किया जाता है। यह विभिन्न आयुर्वेदिक योगों  में एक मुख्य घटक है। यह मूसली पाक में पाया जाता है जो पौरुष कमजोरी, स्तंभन दोष और अल्पशुक्राणुता आदि में लाभकारी है। यह शारीरिक दुर्बलता को दूर कर शरीर को बल और शक्ति देता है।

शारीरिक दुर्बलता व अत्यधिक थकान

शक्कर के साथ सफेद मूसली थकान को कम करने में मदद करती है और शरीर को शक्ति प्रदान करती है।

जिन लोगो को अत्यधिक थकान रहती है और काम करने में मन नहीं करता, हर वक्त थके थके से महसूस  करते है, वह इस योग से लाभ ले सकते है।

इस योग में सफेद मूसली और शक्कर को बराबर अनुपात में मिलाया जाना चाहिए और दिन में दो बार एक चम्मच खुराक दूध के साथ लेनी चाहिए।

शरीर का पतलापन या अल्प-भार

सफेद मूसली शरीर का पोषण करती है।  इसलिए यह पतले शरीर या कम वजन वाले व्यक्ति में वजन को बढाती है और ताकत प्रदान  करती है। वजन बढ़ाने के लिए मूसली के साथ दूध लेना ज्यादा लाभकारी है।

कुछ लोगों की पाचन क्षमता कमजोर होती है। वह इसको कम मात्रा में ले सकते है और भूख बढ़ाने के लिए यकृत पर कार्यों  करने वाली और भूख बढ़ाने वाली दवाओं के साथ इसका प्रयोग कर सकते है। ऐसे मरीजो में सफेद मूसली १ ग्राम दुध के साथ सुबह और शाम और त्रिकुट २५० मिलीग्राम  सुबह और शाम शहद के साथ लिया जा सकता है।

सफेद मूसली चूर्ण
सफेद मूसली चूर्ण

मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)

सफेद मूसली चूर्ण की औषधीय मात्रा हर व्यक्ति में उम्र, शरीर की ताकत और भूख आदि पर निर्भर करती है। सफेद मूसली की सामान्य औषधीय मात्रा व खुराक इस प्रकार है:

औषधीय मात्रा (Dosage)

बच्चे 25 से 50 मिलीग्राम प्रति किलो वजन अनुसार (लेकिन एक बार में 1 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए)
किशोर (13 -19 वर्ष) 1.5 से 2 ग्राम *
वयस्क (19 से 60 वर्ष) 3 से 6 ग्राम *
वृद्धावस्था (60 वर्ष से ऊपर) 2 से 3 ग्राम *
अधिकतम संभव मात्रा प्रति दिन 12 ग्राम (विभाजित खुराकों में)

सेवन विधि

दवा लेने का उचित समय (कब लें?) सुबह और शाम भोजन के 2 घंटे बाद
दिन में कितनी बार लें? 2 बार
अनुपान (किस के साथ लें?) गुनगुने दूध के साथ
उपचार की अवधि (कितने समय तक लें) कम से कम 3 महीने चिकित्सक की सलाह लें

यदि बतायी गयी औषधीय मात्रा से भूख में कमी हो तो इसकी मात्रा और कम कर लेनी चाहिए। इसकी उतनी मात्रा ले जो आसानी से पच जाये और कम न करे।

अधिमात्रा (Overdose)

यह पचने में भारी है और अधिक मात्रा में यह भूख मार सकती है।

दुष्प्रभाव (Side Effects)

यदि सफेद मूसली का प्रयोग व सेवन निर्धारित मात्रा (खुराक) में चिकित्सा पर्यवेक्षक के अंतर्गत किया जाए तो सफेद मूसली के कोई दुष्परिणाम नहीं मिलते।

  1. अधिक मात्रा में मूसली भूख कम कर देती है।
  2. यह ताकत देने वाली जड़ी बूटी है, तो यह वजन भी बढ़ा सकती है।
  3. आयुर्वेदिक गुणों के अनुसार यह देरी से पचने वाली है और कफ बढ़ाती है।
  4. यह भूख की कमी का कारण बन सकती है।

संदर्भ

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