आसव अरिष्ट

सारस्वतारिष्ट स्वर्ण युक्त (सारस्वतारिष्टम गोल्ड)

सारस्वतारिष्ट या Saraswatharishtam) एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग प्राचीन काल से कई मानसिक रोगों के उपचार ले लिए किया जाता रहा है। यह स्मरण शक्ति, ध्यान केंद्रित करना, बुध्दिमत्ता, तनाव, आयु, बल, वीर्य, यौन एवम सामान्य दुर्बलता, अवसाद, अनिद्रा, व्यग्रता, हृदय रोग, भूख न लगना, बेचैनी आदि की एक उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है। इसे स्वर-भंग और हकलाने में भी दिया जाता है। यह मासिक धर्म संबंधी विकार में भी उपयोगी है।

स्मृति, एकाग्रता और प्रतिधारण शक्ति बढ़ाने में, मानसिक थकान कम करने में, नींद की गुणवत्ता बढ़ाने में, वाणी को मधुर एवम गायन योग्य बनाने में और बच्चों एवम वयस्कों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में ये अति हितकारी औषधि है।

Contents

सारस्वतारिष्ट के घटक

सारस्वतारिष्ट (Saraswatarishta) के घटक निम्न हैं, जिन्हें मात्रा में बताया जा रहा है:

  • ब्राह्मी – इसके पौधे को लगभग 1 किलोग्राम।
  • शतावर – इसकी जड़ को लगभग 250 ग्राम।
  • विदारीकंद – इसकी जड़ के ताने को लगभग 250 ग्राम।
  • हरीतकी – इसकी फली को लगभग 250 ग्राम।
  • उशीर – इसकी जड़ को लगभग 250 ग्राम।
  • सोंठ – इसके कंद को लगभग 250 ग्राम।
  • सौंफ – इसके फल को लगभग 250 ग्राम।
  • काढ़े के लिए पानी लगभग 12 लीटर जो घट कर 3 लीटर हो जाएगा
  • शहद – लगभग 500 ग्राम।
  • मिश्री – लगभग 1200 ग्राम।
  • धातकी – इसके फूल लगभग 250 ग्राम।
  • निर्गुन्डी – इसके बीज लगभग 15 ग्राम।
  • त्रिवृत – इसकी जड़ लगभग 15 ग्राम।
  • पिप्पली – इसका फल लगभग 15 ग्राम।
  • लवंग – इसकी कली लगभग 15 ग्राम।
  • वच – इसका कंद लगभग 15 ग्राम।
  • कुष्ठ – इसकी जड़ लगभग 15 ग्राम।
  • अश्वगंधा – इसकी जड़ लगभग 15 ग्राम।
  • बहेड़ा – इसकी फली लगभग 15 ग्राम।
  • गिलोय – इसका तना लगभग 15 ग्राम।
  • छोटी इलायची – इसके बीज लगभग 15 ग्राम।
  • विडंग – इसका फल लगभग 15 ग्राम।
  • दालचीनी – इसके तने की छाल लगभग 15 ग्राम।
  • स्वर्णपत्र – लगभग 15 ग्राम।

पहले इनमें से ब्राह्मी, शतावर, विदारीकंद, हरीतकी, उशीर, सोंठ और सौंफ को कूट कर पानी में उबाला जाता है और जब एक चौथाई पानी रह जाए तो उसे छान लें।

फिर बाकी की जड़ी-बूटियों को इसमें मिलाएं। फिर इसे मिटटी के पात्र या स्वर्ण पात्र में रख दें, और साथ में इसमें स्वर्णपत्र मिला दें। इसको बंद करके एक माह के लिए रख दें। किण्वन (fermentation) के पूरा होने पर और इस बात की पुष्टि के बाद कि स्वर्णपत्र तरल में विघटित हो गया है, सारस्वतारिष्ट को छानकर एक बर्तन में रखें।

औषधीय कर्म

  • प्रतिउपचायक
  • अवसाद विरोधी
  • तनाव विरोधी
  • बुढ़ापा विरोधी
  • मनोभ्रंश विरोधी
  • चिंता निवारक
  • दर्द निवारक
  • त्रिदोषनाशक- वातVataपित्तPitta,और कफ –Kapha
  • प्रतिरोधक शक्ति वर्धक
  • स्मृति शक्ति वर्धक
  • हृदय के लिए शक्तिवर्धक
  • आवाज में सुधार लाता है

चिकित्सकीय संकेत (Indications)

सारस्वतारिष्ट निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:

  • व्यग्रता
  • बेचैनी
  • आक्रामक व्यवहार
  • विस्मृति
  • निराशा
  • उदासी की भावना
  • खालीपन की भावना
  • अश्रुसिक्तता की भावना
  • चिड़चिड़ापन
  • दैनिक गतिविधियों में हत्तोसाहित
  • निद्रा संबंधी परेशानियां
  • अस्पष्टीकृत थकान
  • छोटे कार्यों के बाद भी ऊर्जा की कमी
  • असामान्य शरीर का हिलना
  • नाकाबिल होने की भावना
  • अपराध की भावना
  • एकाग्रता में कमी
  • निर्णय लेने में परेशानी
  • याद रखने में परेशानी
  • आत्मघाती विचार
  • मनोदैहिक लक्षण जैसे अस्पष्टीकृत शारीरिक समस्या, सिर दर्द, या दर्द

सारस्वतारिष्ट के लाभ व प्रयोग

सारस्वतारिष्ट का उपयोग मानसिक रोगों, मिर्गी, उन्माद आदि में किया जाता है। यह वीर्य और शुक्राणु की गुणवत्ता बढ़ाने में प्रयोग में लाया जाता है। सारस्वतारिष्ट विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। यह उनमें आयु, वीर्य, स्मृति, मेधा, बल और कांति प्रदान करता है।

यह औषधि वाकविशुद्धिकर है जिससे व्यक्ति का उच्चारण शुद्ध हो जाता है और वाणी में रुकावट, फटी आवाज आदि में लाभकारी है। यह ह्रदय के लिए अति उत्तम शक्तिवर्धक रसायन है। सभी के लिए यह औषधि लाभकारी है, कायाकल्प के लिए यह सर्वश्रेष्ठ औषधियों में से एक है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता, बल, वीर्य और शुक्राणु की गुणवत्ता को बढ़ाती है। शरीर के तीनों दोषों वात, पित्त और कफ को संतुलित रखती है।

सारस्वतारिष्ट के गुणों और रोगों में इसके उपयोग के विषय में विस्तार से ग्रंथों में बताया गया है। कुछ प्रमुख रोग जिसमें यह अति लाभकारी है।

अवसाद, स्मृति-शक्ति का लोप (पिछली और अगली दोनों), अल्जाइमर रोग, अनिद्रा, स्मरण शक्ति की क्षति, मनोवस्था संबंधी विकार, हकलाना और ठीक से ना बोल पाना, ह्रदय की विकलता, पुरुष अल्पजननग्रंथिता, महिला अल्पजननग्रंथिता आदि।

चिंता और अवसाद

चिंता और अवसाद में यह औषधि अत्यंत लाभकारी है। इसका उपयोग रोगी के मन में आनंद और प्रसन्नता भारत है और उसके नकारात्मक विचारों को दूर करता है। इस प्रकार के रोगी के मुख्य लक्षण हैं:-

  1. व्याकुलता
  2. गुस्से में भड़कना
  3. खालीपन
  4. अश्रुसिक्तता और उदासी की भावना
  5. हताश
  6. बेचैनी
  7. आत्मघाती विचार
  8. मनोदैहिक लक्षण जैसे अस्पष्टीकृत शारीरिक समस्या, सिर दर्द, या दर्द आदि।

सारस्वतारिष्ट इन सभी लक्षणों को दूर करने में सहायता करता है।

अनिद्रा

अनिद्रा: सारस्वतारिष्ट में ब्राह्मी होती है जिसके कारण रोगी को पर्याप्त मात्रा में नींद आती है।

स्मरण शक्ति की कमी

सारस्वतारिष्ट स्मरण शक्ति को बढ़ाता है। इस औषधि में मिलाये गए ब्राह्मी, वच, अश्वगंधा और स्वर्ण के कारण यह स्मरण शक्ति की क्षति के दोषों का निवारण करता है।

हकलाने की समस्या

छह माह से अधिक समय तक लगातार सेवन करने से रोगी के हकलाने की समस्या दूर होती है और उसका वाणी दोष ठीक होता है।

क्षिप्रहृदयता (Tachycardia)

सारस्वतारिष्ट ह्रदय गति को स्थिरता प्रदान करता है और क्षिप्रहृदयता (Tachycardia) एवम मंदस्पंदन के दोषों को दूर करता है।

अल्पजननग्रंथिता (Hypogonalgia)

सारस्वतारिष्ट को सिद्ध मकरध्वज और वांगा के साथ सेवन करने से पुरुष और स्त्रियों के अल्पजननग्रंथिता (Hypogonalgia) में लाभ होता है। इसका उपयोग महिला के अंडाशय और पुरुष के वृषण में हॉर्मोन जैवसंश्लेषण को बढ़ाता है।

रजोनिवृत्ति के लक्षण

सारस्वतारिष्ट का उपयोग ना केवल रजोनिवृत्ति के समय लाभदायक है बल्कि उसके पहले और बाद में भी। इस औषधि से रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम किया जा सकता है, जैसे मन की अस्थिरता, नींद का ना आना, चक्कर आना, भूलना, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, अवसाद, ह्रदय की असामान्य धड़कन, मांस पेशियों में तनाव, कामेच्छा में कमी आदि।

सारस्वतारिष्ट रसायन (कायाकल्प)

आयुर्वेद में इस बात का विस्तार से वर्णन किया गया है कि सारस्वतारिष्ट का रसायन के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। अर्थात सामान्य स्वास्थ्य एवम दीर्घायु होने के लिए इस रसायन को जीवन पर्यन्त बिना किसी प्रतिबन्ध के सेवन किया जा सकता है। यह आपके अंदर शांति और आनंद की भावना जाग्रत करेगा और आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हुए विभिन्न प्रकार के विषाणुओं और जीवाणुओं से रक्षा करेगा।

गायक के लिए

गायक भी अपनी वाणी की गुणवत्ता बढ़ाने और उसके दोष दूर करने के लिए इसका प्रयोग कर सकते हैं।

अत्यधिक मानसिक कार्य करने वाले व्यक्ति के लिए

अत्यधिक मानसिक कार्य करने वाले व्यक्ति अपनी मानसिक क्षमता बढ़ाने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं।

मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)

सारस्वतारिष्ट की सामान्य खुराक इस प्रकार है:

शिशु 5 से 10 बूँदें (0.25 से 0.50 मिलीलीटर)*
बच्चे 1 से 2 मिलीलीटर*
वयस्क 3 से 4 मिलीलीटर*
गर्भवती स्त्री शक्तिवर्धक औषध के रूप में अनुसंशित नहीं किया जाता, परंतु अवसाद के लक्षणों में 2 मिलीलीटर प्रतिदिन दो बार ले सकते हैं।
वृद्ध 8 मिलीलीटर प्रतिदिन (खुराक बाँट कर लें)*

* प्रतिदिन दो बार उतने ही पानी के साथ, भोजन के तुरंत बाद।

दुष्प्रभाव

सारस्वतारिष्ट को जिस मात्रा में अनुशंसित किया जाए पूर्णतः सुरक्षित है। दीर्घकालिक उपयोग में भी किसी भी प्रकार के दुष्परिणाम देखने में नहीं आये हैं।

इस औषधि को भोजन के बाद लेना चाहिए, परंतु खाली पेट अधिक मात्रा में लेने पर सिरदर्द के लक्षण के दुर्लभ मामले पाए गए हैं।

गर्भावस्था और स्तनपान

गर्भवती महिलाओं को शक्तिवर्धक औषध के रूप में अनुसंशित नहीं किया जाता, परंतु अवसाद के लक्षणों में सलाह अनुसार ले सकतीं हैं।

स्तनपान कराने वाली महिलायें सलाह अनुसार एक वयस्क को दी जाने वाली मात्रा ले सकती हैं, इससे स्तन पान करने वाले शिशु पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

पूर्वोपाय

मधुमेह के रोगी इसका उपयोग करते समय अपना शर्करा का स्तर जांचते रहें, हालाँकि इस औषधि में शर्करा की मात्रा इतनी कम है कि इसका प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए यह मधुमेह के रोगियों के लिए भी सुरक्षित है।

संदर्भ

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