उलट कम्बल
उलट कम्बल गर्भाशय संबंधी विकारो की रोकथाम के लिए उपयुक्त औषधि हैं। इसके अलावा इसका सेवन करने से गठिया, गठिये में होने वाले दर्द, कष्टार्तव, मधुमेह जैसी समस्याओं में फायदा होता हैं। उलट कम्बल से साइनसाइटिस से होने वाले सिरदर्द से भी राहत मिलती हैं।
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औषधीय भाग
जड़ और जड़ की छाल उलट कम्बल (एब्रोमा ऑगस्टा) का महत्वपूर्ण औषधीय भाग हैं। इसकी जड़ों का प्रयोग आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता हैं। यह गर्भाशय के लिए टॉनिक, आर्तवजनक, गर्भाशय के विकारो से मुक्त करने वाला और पीड़ानाशक होता हैं। इसी वजह से इसका प्रयोग भारतीय पारंपरिक दवाईयों में भी किया जाता हैं। कुछ मामलों में इसकी पत्तियां और तना भी राहत प्रदान करने का काम करती हैं।
आयुर्वेदिक गुण धर्म एवं दोष कर्म
रस (Taste) | कटु, तिक्त |
गुण (Property) | लघु, रुक्ष, तीक्ष्ण |
वीर्य (Potency) | उष्ण (गरम) |
विपाक (Metabolic Property) | कटु |
दोष कर्म (Dosha Action) | कफ (Kapha) शामक, वात (Vata) शामक, पित्त (Pitta) वर्धक |
औषधीय कर्म
उलट कम्बल में निम्नलिखित औषधीय गुण है:
- गर्भाशय-बल्य
- गर्भाशय उतेजक
- आर्तव जनन
- वेदनास्थापन – पीड़ाहर (दर्द निवारक)
चिकित्सकीय संकेत (Indications)
उलट कम्बल निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:
- रजोरोध
- अनियमित माहवारी (अनियमित ऋतुस्त्राव)
- कष्टार्तव
- संधिशोथ
उलट कम्बल के लाभ और औषधीय प्रयोग
उलट कम्बल कई बिमारियों के लिए एक बहुत अच्छी आयुर्वेदिक औषधि हैं। इसके कुछ लाभ और औषधीय प्रयोग इस प्रकार हैं।
रजोरोध, अनियमित माहवारी और अंडे (अंडाणु) का न बनना
उलट कम्बल के जड़ की छाल मासिक धर्म को नियंत्रित करने सहायक हैं। यह औषधि हार्मोन्स को संतुलित करती हैं। जिससे अंडे (अंडाणु) के बनने की प्रक्रिया भी संतुलित होती हैं।
यह औषधि दोनों तरह की रजोरोध में भी लाभदायक हैं। यह अंडाशय को उभारता हैं, जिससे हार्मोन्स संतुलित होते हैं। यह माहवारी को शुरू करने में सहायक है।
माहवारी न आती हो (रजोरोध के इलाज के लिए)
इन बिमारियों में उलट कम्बल की जड़ की छाल का चूर्ण (1 to 3 ग्राम) और काली मिर्च (125 से 500 मिलीग्राम) दिये जाते हैं। इस औषषि का सेवन पानी के साथ तब तक किया जाता हैं जब तक की माहवारी शुरू न हो जाये।
माहवारी नियमित करने के लिए
इस औषधि का सेवन माहवारी आने की तिथि से सात दिन पहले शुरू किया जाता हैं। महावरी के चार दिन बाद तक इस औषधि को दिया जाता हैं। इस उपाय से माहवारी नियमित हो जाती हैं। ऐसे ही इसका प्रयोग कम से कम चार महीनो तक करना चाहिए।
कष्टार्तव
उलट कंवल जड़ की छाल माहवारी में होने वाली दर्द और माहवारी से पहले के दर्द और अन्य लक्षण पर भी अपना असर डालती हैं। इन रोगों का उपचार करने के लिए, जड़ की छाल के चूर्ण का सेवन माहवारी आने की तारीख से 3 से 7 दिन पहले शुरू करना चाहिए। इसका सेवन तब तक करना चाहिए जब तक ब्लीडिंग रुक न जाये।
संधिशोथ
उलट कम्बल का प्रयोग संधिशोथ में बहुत ही कम किया जाता हैं। मगर इस औषधि में सूजन और पीड़ा कम करने वाले गुण होते हैं। इस गुणों की वजह से संधिशोथ के रोगियों को जोड़ो में होने वाली सूजन और पीड़ा से राहत मिलती हैं।
दुष्प्रभाव
उलट कम्बल के यह दुष्प्रभाव सामान्य रूप से नही होते। कुछ दुर्लभ मामलो में यह दुष्प्रभाव हो सकते हैं। उलट कम्बल से निम्नलिखित दुष्प्रभाव हो सकते हैं:
- चक्कर (दुर्लभ)
- जलन (दुर्लभ)
- पेट में जलन (दुर्लभ)
- अत्यधिक ब्लीडिंग (दुर्लभ)
गर्भावस्था और स्तनपान
उलट कम्बल का सेवन गर्भावस्था और स्तनपान करने वाली माताओं को नही करना चाहिए। यह औषधि इन स्तिथियों में हानिकारक हो सकती हैं। इस औषधि का सेवन गर्भावस्था में करने से स्पोटिंग और ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है।