कांकायन वटी (कांकायन गुटिका)
कांकायन वटी (Kankayan Vati या Kankayan Gutika) बादी बवासीर के लिए एक सर्वोत्तम आयुर्वेदिक दवा है। यह बवासीर के मस्से के आकार को कम कर देती है और कब्ज को राहत देता है। इस औषधि के उपयोग से मस्से सूख जाते हैं और बवासीर में होने वाली कब्ज के कारण मल त्याग में जो तकलीफ होती है, वो भी दूर हो जाती है। बवासीर के साथ साथ अग्निमांद्य और पाण्डु रोग में भी लाभ मिलता है। यह भूख बढाता हैं और पाचन क्रिया में सुधार लाती है।
कांकायन वटी कफ दोष (Kapha Dosha) को कम कर देता है, वात दोष को शांत करता है, और पित्त दोश को बढ़ाता है। इसलिए, यह तब काम करती है जब मरीज की जीभ पर सफेद कोटिंग हो, भूख कम लगती हो, पाचन क्षमता कम हो, कब्ज हो, खुजली हो। यह जिगर के कार्यों में सुधार करता है और पित्त के प्रवाह को बढ़ाता है, जिससे कब्ज में भी राहत मिलती है। इसके अलावा, यह गैस, आंतों की कीड़े, आदि के इलाज के लिए भी फायदेमंद है।
कांकायन वटी में भिलावा होता है जो बहुत ही उष्ण वीर्य वाला होता है। इसलिए इसका प्रयोग खुनी बवासीर में नहीं करना चाहिए। अन्यथा यह खून के प्रवाह को बढा देती है जिससे मरीज और परेशान होता है। ऐसी अवस्था में अर्शोघ्नी वटी एक उत्तम औषधि है और यह रक्तस्राव कम करने में सहायक सिद्ध होती है।
Contents
घटक द्रव्य एवं निर्माण विधि
हरड़ का वक्कल | 48 ग्राम |
काली मिर्च | 48 ग्राम |
जीरा | 48 ग्राम |
पीपल | 48 ग्राम |
पीपलामूल | 96 ग्राम |
चव्य | 144 ग्राम |
चीता | 192 ग्राम |
सोंठ | 240 ग्राम |
शुद्ध भिलावा | 384 ग्राम |
जिमीकन्द | 768 ग्राम |
यवक्षार | 96 ग्राम |
गुड़ | उपरोक्त सभी औषधियों की दुगनी मात्रा |
निर्माण विधि
कांकायन बटी (अर्श) के निर्माण के लिए सामग्री है – हरड़ का वक्कल 240 ग्राम, काली मिर्च, जीरा और पीपल प्रत्येक 48 ग्राम, पीपलामूल 96 ग्राम, चव्य 144 ग्राम, चीता 192 ग्राम, सोंठ 240 ग्राम, शुद्ध भिलावा 384 ग्राम, जिमीकन्द 768 ग्राम, यवक्षार 96 ग्राम और इन सभी औषधियों की दुगनी मात्रा में गुड़। इन सभी को अच्छी तरह मिला लें और 4 – 4 रत्ती की गोलियां बना लें।
औषधीय कर्म (Medicinal Actions)
कांकायन वटी में निम्नलिखित औषधीय गुण है:
- बवासीरहर
- पाचन – पाचन शक्ति बढाने वाली
- अनुलोमन – उदर से मल और गैस को बाहर निकालने वाला
- क्षुधावर्धक – भूख बढ़ाने वाला
- उदर शूलहर
चिकित्सकीय संकेत
कांकायन वटी निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:
- बादी बवासीर
- कब्ज
- मंदाग्नि या अग्निमांद्य या भूख में कमी
- रक्ताल्पता
- गैस
- आंतों कीड़ा
- पेट दर्द – कफ या वात के कारण होने वाला दर्द
मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)
कांकायन वटी (Kankayan Vati) की सामान्य औषधीय मात्रा व खुराक इस प्रकार है:
औषधीय मात्रा (Dosage)
बच्चे (10 साल से बड़े बच्चे) | ½ से 2 गोली (250 मिलीग्राम से 1 ग्राम) |
वयस्क | 2 से 4 गोली (1 ग्राम से 2 ग्राम) |
सेवन विधि
दवा लेने का उचित समय (कब लें?) | भोजन के बाद |
दिन में कितनी बार लें? | 2 बार |
अनुपान (किस के साथ लें?) | छाछ (मठ्ठा) के साथ लें |
उपचार की अवधि (कितने समय तक लें) | कम से कम 4 हफ्ते या चिकित्सक की सलाह लें |
आप के स्वास्थ्य अनुकूल कांकायन वटी की उचित मात्रा के लिए आप अपने चिकित्सक की सलाह लें।
कांकायन वटी दुष्प्रभाव (Side Effects)
अज्ञानता के कारण यदि कांकायन वटी का प्रयोग पित्त प्रकोप रोगों में या पित्त प्रकृति रोगियो में किया जाये तो निम्नलिखित दुष्प्रभाव हो सकते है: –
- मुंह शुष्क होना (सामान्य दुष्प्रभाव)
- जलन का अहसास
- शरीर में बढ़ी हुई गर्मी का महसूस होना
- सिर में चक्कर आना
- सिरदर्द होना
- बहुत ज़्यादा पसीना आना
- बेचैनी
गर्भावस्था और स्तनपान
गर्भावस्था दौरान कांकायन वटी प्रयोग नहीं कारण चाहिए। स्तनपान दौरान कांकायन वटी का प्रयोग करने से पहिले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।