नीलवम्बू कुदिनीर (नीलवम्बू कषायं)

नीलवम्बू कुदिनीर (Nilavembu Kudineer) को नीलवम्बू कषायं (Nilavembu Kashayam) भी कहा जाता है। यह एक सिद्ध चिकित्सा में ज्वर (बुखार) और ज्वर के कारण होने वाले शरीर के दर्द में प्रयुक्त होने वाली एक औषधि है। यह विषाणु संक्रमण (वायरल इन्फेक्शन), चिकनगुनिया और डेंगू फीवर के उपचार और रोकथाम के लिए लाभदायक है। विशेष रूप से यह बुखार के साथ होने वाली तकलीफो जैसे कि सिरदर्द, शरीर में दर्द, मांसपेशीयो में दर्द और अकडन, ऊर्जा में कमी, थकान कमजोरी आदि को भी कम करती है। चिकनगुनिया में होने वाले जोड़ों के दर्द, जोड़ो की सूजन और लाल चकत्ते में भी यह बहुत लाभकारी हैं।
नीलवम्बू कुदिनीर को एक क्वाथ के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसमें मुख्यतः नीलवम्बू (भूनिम्ब या कालमेघ) होता है जो एक उत्तम दर्जे का एंटीवायरल (विषाणु नाशक), रोगाणुरोधी, जीवाणु नाशक (एंटीबैक्टीरियल) और ज्वरहर है। यह बुखार या वायरल संक्रमण की रोकथाम के लिए भी उपयोगी हैं।
नीलवम्बू कषायं रोग प्रतिरोधक शक्ति वर्धक है। यह रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता हैं और रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है जिससे संक्रमण और उससे होने वाली मुश्किलों को दूर करने के लिए सहायता मिलती है।
Contents
घटक द्रव्य एवं निर्माण विधि
नीलवम्बू कुदिनीर में निम्नलिखित घटक द्रव्यों है:
घटक द्रव्यों के नाम | मात्रा |
नीलवम्बू (नेलवेमु) – भूनिम्ब या कालमेघ | 1 भाग |
विलामीचे वर | 1 भाग |
वेटीवर – उशीर या खस | 1 भाग |
सोंठ | 1 भाग |
काली मिर्च | 1 भाग |
नागरमोथा – मुस्तक | 1 भाग |
सफ़ेद चन्दन | 1 भाग |
चिचिड़ा | 1 भाग |
परपदगम | 1 भाग |
नीलवम्बू कुदिनीर बनाने की विधि
सामग्री | मात्रा |
जल | २४० मिलीग्राम |
नीलवम्बू कुदिनीर पाउडर | २-३ चम्च |
- नीलवम्बू कुदिनीर के चूर्ण को पानी में मिलाकर उबाले और जब एक चौथाई रह जाए तो छान कर प्रयोग में लें।
- अब इस को 30 से 60 मिलीलीटर मात्रा में रोज़ दिन में दो बार खाली पेट लें। अगर आपको कड़वा लगे तो इसमें शहद और गुड़ डाल कर भी पिया जा सकता है। यदि आवश्यकता हो तो शहद या गुड़ स्वाद के अनुसार इस काढ़े में डाल सकते है।
औषधीय कर्म (Medicinal Actions)
नीलवम्बू कुदिनीर में निम्नलिखित औषधीय गुण है:
- रोग प्रतिरोधक शक्ति वर्धक – immunity booster
- प्रतिउपचायक – Antioxidant
- शोथहर – Anti-inflammatory
- क्षुधावर्धक – भूख बढ़ाने वाला
- पाचन – पाचन शक्ति बढाने वाली
- दीपन
- ज्वरहर – Antipyretic
- संतापहर
- जंतुघ्न – जीवाणु नाशक – Antibacterial
- विषाणु नाशक – Antiviral
- श्रमहर
- आमपाचक
चिकित्सकीय संकेत (Indications)
नीलवम्बू कुदिनीर निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:
- क्षीण प्रतिरोधक क्षमता में कमी
- सभी प्रकार के ज्वर
- ज्वर में होने वाले जोड़ों के दर्द
- विषाणु संक्रमण (वायरल इन्फेक्शन)
- चिकनगुनिया
- डेंगू फीवर
- मलेरिया
- जीर्ण ज्वर
- यकृत वृद्धि
संक्रमण या ज्वर के बाद होने वाली समस्याएँ
- सिरदर्द
- शरीर में दर्द
- मांसपेशीयो में दर्द और अकडन
- जोड़ो के दर्द और अकडन
- ऊर्जा में कमी
- थकान कमजोरी
- भूख की कमी
औषधीय लाभ एवं प्रयोग (Benefits & Uses)
नीलवम्बू कुदिनीर का मुख्य उपयोग ज्वर कम करने के लिए और संक्रमण के कारण होने वाले जोड़े के दर्द में किया जाता है। यहाँ इस के कुछ महत्वपूर्ण प्रयोग दिए जा रहे है।
डेंगू के बुखार में
नीलवम्बू कुदिनीर को पपीते की पत्तियां के रस या काढ़े या एक्सट्रेक्ट के साथ लेने से डेंगू बुखार में लाभ मिलता है। यह दोनों प्लेटलेट्स कि संख्या (platelets count) को बढानें के लिए बहुत ही असरदार उपाय है। यह दोनों दवाएं मिलकर डेंगू के खिलाफ लड़ने में पीड़ित व्यक्ति की सहायता करते है।
चिकनगुनिया में होने वाली समस्यायों के लिए
नीलवम्बू कुदिनीर चिकनगुनिया के उपचार के लिए एक रामबाण दवा हैं जो बहुत ही लोकप्रिय भी हैं। इसके पेय में मौजूद नीलवम्बू चिकनगुनिया और इससे शरीर में होने वाले दर्द के खिलाफ लड़ने में मदद करता है। यह कुछ ही दिनों में अपना सकारात्मक प्रभाव दिखाता हैं और बुखार, जोड़ो के दर्द, सिर दर्द, मासपेशियों के दर्द, लाल चकत्ते आदि को कम करता है।
जब तक जोड़ों में दर्द रहे, इसका सेवन सुचारू रूप से करना चाहिए। इसके सेवन के 2-3 दिनों के भीतर ही रोगी अच्छा महसूस करता हैं और एक हफ्ते के अंदर 95% प्रभाव रोगी के शरीर में दिखाई देने लगता हैं पर चिकनगुनिया से पूरी तरह से छुटकारा पाने के लिए कम से कम एक महीने तक इसका सेवन करना आवश्यक है। यदि फिर भी जोड़ो में दर्द रहे तो इसका सेवन 3 महीने के लिए करें।
मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)
उपरोक्त बताई गई निर्माण विधि के अनुसार बनाए गए नीलवम्बू कुदिनीर के काढ़े को निम्नलिखित मात्रा व खुराक में प्रयोग में लें।
औषधीय मात्रा (Dosage)
बच्चे | 15 से 30 मिलीलीटर |
वयस्क | 30 से 60 मिलीलीटर |
सेवन विधि
नीलवम्बू कुदिनीर काढ़े को लेने का उचित समय (कब लें?) | ख़ाली पेट लें या खाना खाने के 1 घंटे पहिले लें |
नीलवम्बू कुदिनीर दिन में कितनी बार लें? | 2 बार – सुबह और शाम |
अनुपान (किस के साथ लें?) | इसे ऐसे ही पी लें। |
उपचार की अवधि (कितने समय तक लें) | रोगानुसार १ से १२ सप्ताह तक या चिकित्सक की सलाह लें |
आप के स्वास्थ्य अनुकूल नीलवम्बू कुदिनीर की उचित मात्रा के लिए आप अपने चिकित्सक की सलाह लें।
नीलवम्बू कुदिनीर के दुष्प्रभाव (Side Effects)
यदि नीलवम्बू कुदिनीर का प्रयोग व सेवन निर्धारित मात्रा (खुराक) में चिकित्सा पर्यवेक्षक के अंतर्गत किया जाए तो नीलवम्बू कुदिनीर के कोई दुष्परिणाम नहीं मिलते।
गर्भावस्था और स्तनपान (Pregnancy & Lactation)
यदि आवश्यकता हो या गर्भवती महिलाओं या स्तनपान कराने वाली मां चिकनगुनिया, डेंगू फीवर अथवा मलेरिया से पीड़ित हो तो नीलवम्बू कुदिनीर का प्रयोग चिकित्सा पर्यवेक्षक के अंतर्गत किया जा सकता है।