अजमोदादि चूर्ण के लाभ, प्रयोग, घटक द्रव्य, मात्रा एवं दुष्प्रभाव
अजमोदादि चूर्ण विभिन्न अवयवों से बनी औषधि है जिसका उपयोग संधिशोथ (Rheumatoid Arthritis), गृध्रसी (Sciatica), पीठ दर्द और कफ विकारों के उपचार के लिए किया जाता है। इसमें शक्तिशाली दाहक विरोधी गुण हैं। यह जोड़ों की सूजन और जोड़ों के विकारों के कारण होने वाले तेज दर्द को कम करता है। यह आम दोष के पाचन और निष्कासन को भी प्रेरित करता है। इसलिए, यह आयुर्वेद में सर्वश्रेष्ठ आम पाचक दवाओं में से एक के रूप में भी जाना जाता है। यह चूर्ण भूख बढ़ाता है। पाचन में सुधार करता है और पेट में गैस की उत्पत्ति को कम करता है।
Contents
घटक द्रव्य एवं निर्माण विधि
अजमोदादि चूर्ण में निम्नलिखित घटक द्रव्यों है:
अजमोदादि चूर्ण फार्मूला – १
अजमोद | 1 भाग (12 ग्राम) |
वायबिडंग | 1 भाग (12 ग्राम) |
सेंधा नमक (Sendha Namak) | 1 भाग (12 ग्राम) |
देवदारु | 1 भाग (12 ग्राम) |
चित्रक मूल की छाल | 1 भाग (12 ग्राम) |
सोया | 1 भाग (12 ग्राम) |
पीपल | 1 भाग (12 ग्राम) |
पीपलामूल | 1 भाग (12 ग्राम) |
काली मिर्च | 1 भाग (12 ग्राम) |
हर्रे | 5 भाग (60 ग्राम) |
विधारा | 10 भाग (120 ग्राम) |
सोंठ | 10 भाग (120 ग्राम) |
निर्माण विधि
अजमोदादि चूर्ण को बनाने के लिए अजमोद, वायबिडंग, सेंधा नमक, देवदारु, चित्रक मूल की छाल, सोया, पीपल, पीपलामूल, काली मिर्च प्रत्येक 12 – 12 ग्राम, हर्रे 60 ग्राम, विधारा 120 ग्राम, सोंठ 120 ग्राम लें। इन सब को मिलाकर चूर्ण बना लें।
इस चूर्ण में समान मात्रा में गुड़ मिला कर 1 – 1 ग्राम की गोलियां भी बना लेते हैं। तब इन्हें “अजमोदादि वटक” कहते हैं।
नोट
यह नियमन संधिशोथ (Rheumatoid Arthritis), गृध्रसी (Sciatica), सूजन, गठिया, पीठ दर्द और अन्य दर्द के विकारों के लिए अधिक लाभदायक है।
अजमोदादि चूर्ण फार्मूला – २
अजमोद (वन अजवायन) | एक भाग |
बच (Vacha – Acorus Calamus) | एक भाग |
कूठ | एक भाग |
अम्लवेत | एक भाग |
सेंधा नमक (Sendha Namak) | एक भाग |
सज्जी खार | एक भाग |
हरड़ | एक भाग |
त्रिकटु (सोंठ, काली मिर्च और पीपल) – Trikatu Churna | तीन भाग |
ब्रह्मदण्डी | एक भाग |
मोथा | एक भाग |
हुलहुल | एक भाग |
सोंठ | एक भाग |
काला नमक (Black Salt) | एक भाग |
निर्माण विधि
अजमोदादि चूर्ण बनाने के लिए समान मात्रा में अजमोद (वन अजवायन), बच, कूठ, अम्लवेत, सेंधा नमक, सज्जी खार, हरड़, त्रिकटु, ब्रह्मदण्डी, मोथा, हुलहुल, सोंठ और काला नमक लें। इन सब को कूटकर महीन चूर्ण बना लें।
नोट
हालांकि, इस योग का उपयोग जोड़ों के विकारों के लिए भी किया जाता है, लेकिन यह गैस, पेट फूलने और पेट दर्द के लिए अधिक लाभदायक है।
दोनों योग के समान औषधीय गुण होते हैं और प्रत्येक योग के नीचे नोट के रूप में मामूली अंतर के साथ चिकित्सीय संकेत बताये गए हैं।
औषधीय कर्म
अजमोदादि चूर्ण में निम्नलिखित उपचार के गुण हैं।
- आम पाचक
- दाह प्रशमन
- पीड़ाहर
- संधिशोथ या आर्थराइटिक शामक
- गठिया विरोधी
- रक्त में यूरिक एसिड मिलने से रोकता है
- ओस्टोप्रोटेक्टिव
- वायुनाशी
- आक्षेपनाशक
- कृमि नाशक
- पाचन उत्तेजक
आयुर्वेदिक गुण
अजमोदादि चूर्ण वात दोष (VATA DOSHA) को शांत करता है और कफ दोष (KAPHA DOSHA) को कम करता है। इसलिए, उत्तेजित वात या बढ़े हुए कफ के रोगियों के लिए यह सबसे उत्तम औषधि है। यदि रोगी को उत्तेजित या बढ़ा हुआ पित्त दोष (PITTA DOSHA) है तो उसके लिए संभवतः यह उपयुक्त दवा नहीं होगी या इसे बढ़े हुए पित्त को शांत करने वाली औषधि के साथ मिलाकर देना चाहिए।
चिकित्सीय संकेत
अजमोदादि चूर्ण का उपयोग निम्नलिखित रोगों के उपचार में किया जाता है:
- सभी प्रकार के शूल
- आमानुबन्ध वात – पेट में आम जमा होना, वात प्रकुपित, शरीर के जोड़ों में दर्द
- आमवात
- गृघ्रसी
- पीठ, कमर और पेट में दर्द
- कफ दोष
- सूजन
- कमर, पीठ, गुदा, जंघा आदि में दर्द
- गठिया
- तूनी-प्रतूनी
- विश्वाची
- कफ और वायु विकार
- ओस्टियोर्थराइटिस (मोटे लोगों में)
- गठिया
- भूख कम लगना
- खराब पाचन तंत्र
- आंतों में गैस
- पेट दर्द
अजमोदादि चूर्ण लाभ और औषधीय उपयोग
अजमोदादि चूर्ण अस्थि, पेशी और तंत्रिका तंत्र के विकारों के लिए एक प्रभावशाली औषधि है। यह जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करती है और जोड़ों की गतिशीलता में सुधार करती है।
संधिशोथ (Rheumatoid Arthritis)
अजमोदादि चूर्ण संधिशोथ के लिए पसंदीदा औषधि है। आयुर्वेद में संधिशोथ आमवात से संबंधित है जो शरीर में आम दोष के जमा होने का कारण होता है। यह चूर्ण शरीर में आम दोष के गठन को रोकता है और पाचन क्रियाओं को उत्तेजित करके शरीर से आम दोष को निष्कासित करता है। यह शरीर में पहले से ही संचित आम विष को भी कम करता है और जोड़ों सहित शरीर में विभिन्न अंगों पर इसके प्रभाव को कम करता है। यह संधिशोथ से जुड़े हुए सूजन, कड़ापन और दर्द को भी कम करता है। अगर रोगी के जोड़ों में अकड़न है तो यह सबसे उत्तम दवा है। अगर रोगी को संधिशोथ के कारण तेज दर्द हो रहा हो तो इस चूर्ण को महावत विध्वंस रस या महायोगराज गुग्गुलु (Mahayograj Guggulu) और महारास्नादि काढ़े (Maha Rasnadi Kwath) के साथ दिया जा सकता है। अगर रोगी को हल्का या माध्यम दर्द हो, लेकिन रोग पुराना हो, तो इसे योगराज गुग्गुलु (Yograj Guggulu), ताप्यादि लौह और अमृतारिष्ट (Amritarishta) के साथ दिया जा सकता है।
गृध्रसी (Sciatica)
अजमोदादि चूर्ण स्चियतिक तंत्रिका (sciatic nerve) को उत्तेजित करने वाले बढ़े हुए वात विकार को कम कर देता है। गृध्रसी (Sciatica) के सबसे आम अंतर्निहित कारण है हर्नियेटेड डिस्क (herniated disc) और हड्डियों में उभार (बोन स्पर – bone spur), जो नसों को दबाते हैं जिसके कारण स्चियतिक तंत्रिका (sciatic nerve) में सूजन, दर्द और सुन्नपना जैसी स्थिति पैदा होती है। अजमोदादि चूर्ण रीढ़ की हड्डियों को ताकत प्रदान करके इन सभी अंतर्निहित स्थितियों को प्रभावित करता है और रीढ़ के प्राकृतिक स्वास्थ्य को बहाल करने में मदद करता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में महीनों लगते हैं, लेकिन कुछ दिनों के भीतर ही गृध्रसी (Sciatica) के लक्षण कम होने शुरू हो जाते हैं।
मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)
अजमोदादि चूर्ण की सामान्य औषधीय मात्रा व खुराक इस प्रकार है:
बच्चे | 500 मिली ग्राम से 1 ग्राम दिन में दो बार |
वयस्क | 1 से 4 ग्राम दिन में तीन बार |
अधिकतम संभावित खुराक | प्रति दिन 12 ग्राम (विभाजित मात्रा में) |
अजमोदादि चूर्ण कैसे लें?
दिन में कितनी बार लें? | दिन में 2 से 3 बार |
दवा लेने का उचित समय (कब लें?) | भोजन के बाद |
अनुपान (किस के साथ लें?) | गुनगुने पानी के साथ। |
आप के स्वास्थ्य अनुकूल अजमोदादि चूर्ण की उचित मात्रा के लिए आप अपने चिकित्सक की सलाह लें।
सुरक्षित होने की संभावना
अजमोदादि चूर्ण बढ़े हुए वात (VATA) विकार या कफ (KAPHA) विकार के लक्षणों वाले व्यक्तियों के लिए सुरक्षित होने की संभावना है।
नियमित उपयोग के लिए अधिकतम सुरक्षित अवधि | अनुपलब्ध |
समाप्ति तिथि | 2 वर्ष |
समाप्ति तिथि (खोलने के बाद) | 3 महीनों में उपभोग करने के लिए सर्वश्रेष्ठ |
अजमोदादि चूर्ण के दुष्प्रभाव
विकार के विश्लेषण के अनुसार बुद्धिमानी से उपयोग किए जाने पर अजमोदादि चूर्ण का कोई दुष्प्रभाव नहीं पाया गया है। हालांकि, अगर रोगी पहले से ही बढ़े हुए पित्त से पीड़ित हो तो यह निम्नलिखित दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है:
- सीने में जलन
- पेट में जलन
- अम्ल प्रतिवाह (Acid reflux)
- सिर में चक्कर आना
गर्भावस्था और स्तनपान
गर्भावस्था के दौरान अजमोदादि चूर्ण का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें गर्म तासीर का अवयव चित्रक होता है, जिसके कारण रक्तस्राव हो सकता है।
स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए अजमोदादि चूर्ण की सुरक्षा प्रोफाइल उचित रूप से स्थापित नहीं है। हालांकि, अजमोदादि चूर्ण में प्रयुक्त अवयवों के अनुपात के कारण स्तनपान कराने वाली माताओं और स्तनपान करने वाले बच्चों में कोई दुष्प्रभाव होने की संभावना नहीं है। स्तनपान कराते समय, अजमोदादि चूर्ण के प्रयोग से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें।
संदर्भ
- Ajmodadi Churna – AYURTIMES.COM