अमृतादि गुग्गुलु
अमृतादि गुग्गुलु (Amritadi Guggulu) एक गुगुल आधारित हर्बल औषधि है। आयुर्वेदिक चिकित्सक इसका उपयोग वातरक्त, बवासीर, त्वचा रोग, घाव, संधिशोथ, नासूर, कमजोर पाचन शक्ति और कब्ज के लिए करते हैं।
Amritadi Guggulu is an ayurvedic medicine which is used for conditions like piles, gout, skin infections, rheumatoid arthritis, wounds, reduced digestion constipation, and fistula. It helps in detoxification of blood and controls the levels of uric acid, which in turn helps in alleviating joint problems. It is known for its immunity boosting capabilities and is also called by the names of Amruta Guggul/Amrita Guggulu.
Contents
घटक द्रव्य (Ingredients)
त्रिफला के अतिरिक्त गिलोय (जिसे अमृता भी कहा जाता है) और गुगुल इसकी दो प्रमुख सामग्रियां हैं। अमृतादि गुग्गुलु में निम्नलिखित घटक होते हैं।
- शुद्ध गुग्गुलु – Commiphora wightii
- अमृता (गिलोय) – Tinospora cordifolia
- अमला (अमलाकी) – Amla
- बिभीतकी
- हरीतकी
- दंति मूल
- काली मिर्च
- अदरक
- पिप्पली
- वायविडंग
- दालचीनी
- Amrita (Giloy) – Tinospora cordifolia)
- Amla (Amalaki) – Emblica officinalis
- Bibhitaki – Terminalia bellirica
- Black pepper (piper nigrum)
- Cinnamon (Dalchini) – Cinnamomum zeylanicum
- Danti Mool – Baliospermum montanum
- Ginger (Zingiber officinale)
- Haritaki – Terminalia chebula
- Pippali (Long Pepper) – Pepper Longum
- Shuddha Guggulu – Commiphora Wightii
- Vaividang (Embelia ribes)
औषधीय कर्म (Medicinal Actions)
अमृतादि गुग्गुलु में निम्नलिखित औषधीय गुण होते हैं।
प्राथमिक क्रिया
- यूरिकोसुरिक एजेंट
- सूजन नाशक
- पीड़ाहर
- जीवाणुरोधी
- रोगाणुरोधी
- उदर कृमि नाशक
- वातहर
- सौम्य रेचक
सहायक क्रिया
- पाचन उत्तेजक
- मधुमेह नाशक
- प्रतिउपचायक
चिकित्सकीय संकेत (Indications)
अमृतादि गुग्गुलु निम्नलिखित रोगों में सहायक है।
- गठिया या यूरिक एसिड का बढ़ा हुआ स्तर
- बवासीर
- नालव्रण
- मुँहासे
- घाव
- त्वचा रोग
- वजन कम होना
- फोड़े (आंतरिक फोड़े)
- यकृत विकार
- Gout or raised uric acid levels
- Abscesses (internal abscesses)
- Acne or pimples
- Fistula
- Liver disorders
- Piles
- Skin diseases
- Weight loss
- Wounds
अमृतादि गुग्गुलु लाभ और उपयोग
अमृतादि गुग्गुलु (Amritadi Guggulu) में यूरिकोसुरिक गुण होते हैं जिसके लिए यह गठिया, संधिशोथ और यूरिक एसिड के बढे हुए स्तर में लाभदायक होता है। तथापि यह मोटापे और त्वचा रोगों के लिए भी लाभदायक है। यहां इसके कुछ मुख्य लाभ और औषधीय उपयोग बताये गए हैं।
प्रमुख लाभ
- अमृतादि गुग्गुलु यूरिक एसिड को कम कर देता है और जोड़ों पर यूरिक एसिड के संचय को रोकता है।
- यह संधिशोथ में जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करता है।
- यह पाचन में सुधार करता है और भोजन के कुअवशोषण से उत्पन्न एएमए, विषाक्त पदार्थों को कम करता है।
- जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी गुणों के कारण, यह मवाद वाले मुहांसों या लालिमा और हल्के दर्द वाले मुहांसों को कम करने में भी मदद करता है।
- इसके घटकों में मोटापा नाशक गुण होते हैं, इसलिए यह मोटापे से ग्रस्त लोगों के लिए भी लाभदायक हो सकता है।
The main benefit of Amritadi Guggulu is the maintenance of uric acid. It is particularly helpful for the people with gouty arthritis. Apart from joint ailments, it is also beneficial for skin ailments and obesity. The medicinal uses and benefits of Amritadi Guggulu are listed below:
- It relieves joint pains and inflammations
- It aids in improved digestion and detoxifies the harmful products of mal-absorbed food
- It decreases the uric-acid accumulation in the joints
- It possess antimicrobial properties
- It reduces pus-filled acne and ameliorates the tender pain and erythema of the pimples
- It also has some anti-diabetic constituents, and thus, is helpful for the patients with the metabolic disorder
गठिया और बढ़ा हुआ यूरिक एसिड स्तर
अमृतादि गुग्गुलु युरीकोसुरिक गुणों के कारण गुर्दों के माध्यम से यूरिक एसिड के उत्सर्जन को बढ़ाता है। यह अपशिष्ट को छानने और यूरिक एसिड और अन्य विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए गुर्दों के विकारों पर काम करता है। यह गुर्दे के कार्यों में सुधार करता है। यह यूरिक एसिड पथरी के गठन को रोकता है।
लगभग 70% यूरिक एसिड गुर्दे के माध्यम से उत्सर्जित हो जाता है और पेट के माध्यम से 30% यूरिक एसिड समाप्त हो जाता है। इसलिए, उच्च यूरिक एसिड स्तरों से यकृत कार्य भी संबद्ध होता है। यकृत के विकारों से पेट में यूरिक एसिड के उन्मूलन में कमी आती है। अमृतादि गुग्गुलु यकृत पर भी कार्य करता है और यकृत कार्यों में सुधार करता है।
इसके अलावा, अशांत चयापचय के कारण भी शरीर में यूरिक एसिड का उत्पादन अधिक हो जाता है। इसके कारण, शरीर में अपने उत्सर्जन की तुलना में अधिक यूरिक एसिड जमा हो जाता है। अमृतादि गुग्गुलु चयापचय संबंधी विकारों को भी ठीक करता है और यूरिक एसिड का उत्पादन कम करता है। हालांकि, अमृतादि गुग्गुलु धीमी गति से काम करता है। अधिक लाभ के लिए, रोगी को इसे गिलोय के काढ़े के साथ लेना चाहिए।
जब रोगी में गठिया के निम्नलिखित एक या अधिक लक्षण हों तो अमृतादि गुग्गुलु अच्छी तरह से काम करता है।
- पैरों में जलन या गर्मी की सनसनी – गिलोय सत्व (Giloy Satva) और गंधक रसायन (Gandhak Rasayana) के साथ
- एडी का दर्द
- पैर में संवेदनशीलता – जहां रोगी संवेदनशीलता और एड़ी के दर्द के कारण चलने में कठिनाई की शिकायत करे
- पैर के पंजों में दर्द
- संवेदनशीलता या गर्मी की सनसनी के साथ जोड़ों में सूजन
- संबद्ध कब्ज
- उंगलियों में दर्द
- हथेलियों और पैरों में अत्यधिक पसीना आना
Gout is a type of arthritis which is characterized by redness, severe pain, and tenderness of joints. It may lead to a sudden burning pain, swelling, stiffness, deformity and may also cause an impaired movement. Such attacks may continue unless gout is treated. The prolonged ailment may also lead to spread of gout to other joint, tendons, and tissues.
The cause of gout is the presence of excess uric acid in the blood. Risk factors include diet, genetic predisposition, and inadequate excretion of urate and salts of uric acid. Uric acid is a waste product, which if left unfiltered, may accumulate in the kidneys or joints. Excessively high levels of uric acid, also known as uricemia, may lead to the formation of hard crystals in the joints, which causes acute pain.
You may develop gout in your big toe, ankles, knees, or other joints, and the effect may last from a few days to several weeks.
Amritadi Guggulu is very effective for gout. It acts by improving the capacity of the kidneys, to filter uric acid. It increases renal efficiency to excrete more uric acid and other toxins. Amritadi Guggulu also prevents the formation of uric acid crystals and stones.
It has been found that a major portion of the uric acid is filtered by the glomeruli kidneys while; almost 30 per cent of the uric acid is also filtered by the intestines. Certain liver enzymes also contribute to the process. Amritadi Guggulu works by improving the liver functions and increasing its efficacy to filter the uric acid.
Malfunctioned metabolism also causes accumulation of uric acid in the body. Amritadi Guggulu rectifies these malfunctions and controls the uric acid production by the body.
The efficacy of Amritadi Guggulu increases manifolds if is taken in a combination with a Giloy decoction.
If you have any of the following symptoms, then Amritadi Guggulu can be highly beneficial for you;
- Pain in the toe
- Burning sensation or heat sensation in the feet (with Giloy Satva and Gandhak Rasayana)
- Associated constipation
- Pain in the heel
- Pain in fingers
- Tenderness in the feet – where patient feels in difficulty in walking due to tenderness and heel pain
- Joint swelling with heat sensation and tenderness
- Extreme perspiration in palms and feet
Not only for gout, but Amritadi Guggulu would also help you in ameliorating the diseases like piles, skin disorders, fistula, rheumatoid arthritis, improper digestion, and obesity.
It cures and balances the three doshas of Vata, pitta, and Kapha, and restores the body-balance.
अमृतादि गुग्गुलु खुराक
हालांकि, प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में अमृतादि गुग्गुलु की प्रतिदिन 10 ग्राम की खुराक बताई गई है, जो की एक उच्चतम खुराक है, लेकिन अब आयुर्वेदिक चिकित्सक दिन में दो या तीन बार केवल 500 मिलीग्राम से 2000 मिलीग्राम तक खुराक का उपयोग करते हैं। हमने पाया है की शरीर के वजन के अनुसार निम्नलिखित खुराक लगभग सभी रोगियों के लिए उपयुक्त है।
आयु वर्ग | खुराक |
बच्चे (पुरुष) | 10 से 20 मिलीग्राम प्रति किलो शरीर का वजन |
बच्चे (महिला) | 7.5 से 15 मिलीग्राम प्रति किलो शरीर का वजन |
वयस्क पुरुष | 15 से 30 मिलीग्राम प्रति किलो शरीर का वजन |
वयस्क महिला | 12.5 से 25 मिलीग्राम प्रति किलो शरीर का वजन |
कुछ परिस्थितियों में, आपका चिकित्सक खुराक को कम या ज्यादा कर सकता है। सामान्य रूप से, कमजोर रोगियों या कमजोर पाचन शक्ति वाले लोगों को कम मात्रा की आवश्यकता हो सकती है। शारीरिक रूप से मजबूत, अच्छे पाचन वाले या मोटे लोगों को उच्च खुराक की आवश्यकता हो सकती है।
अमृतादि गुग्गुलु के दुष्प्रभाव
अधिकांश लोगों के लिए अमृतादि गुग्गुलु को संभवतः सुरक्षित और अच्छी तरह से सहनीय समझा जाता है। यहां कुछ संभावित प्रतिकूल प्रभाव दिए गए हैं जो दुर्लभ मामलों में हो सकते हैं।
- ढीला मल (केवल अधिक खुराक के कारण हो सकता है)
- सिरदर्द (केवल प्रतिदिन 10 ग्राम से अधिक मात्रा में खुराक लेने के कारण हो सकता है)
यदि आपको अमृतादि गुग्गुलु में प्रयुक्त किसी भी घटक से एलर्जी हो, तो आपको इसे नहीं लेना चाहिए। अन्यथा, इससे खुजली और त्वचा पर चकत्ते पड़ सकते हैं।
संदर्भ
- Amritadi Guggulu – AYURTIMES.COM