च्यवनप्राश
च्यवनप्राश आयुर्वेद में एक रसायन के रूप में जाना जाता है। रसायन का अर्थ है कि यह रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है, बुढापे को विलंबित करता है और बहुत से रोगों की रोकथाम करता है। इसलिए इसको आयुर्वेद में एक सब से उत्तम स्वास्थ्य सप्लीमेंट की तरह प्रयोग किया जाता है।
इसके अतिरिक्त यह बहुत से जीर्ण रोगों के इलाज के लिए भी दूसरी औषधिओं के साथ प्रयोग किया जाता है और यह उनकी कार्यक्षमता संवृद्धि करता है।
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च्यवनप्राश का इतिहास
ऐसा माना जाता हैं कि च्यवनप्राश की खोज ‘च्यवन’ नाम के एक ऋषि ने की थी पर एक और कहानी के अनुसार च्यवन ऋषि के लिए च्यवनप्राश की खोज अश्विनी कुमारों ने की थी जो अपने अद्भुत वैद्यों के लिए जाने जाते हैं, च्यवन ऋषि “महर्षि भृगु” के बंशज थे, जब वो बहुत बूढ़े हो गए तो उन्होंने अश्विनी कुमारों से कोई ऐसी औषधि बनाने का आग्रह किया, जिससे वे अपना यौवन फिर से पा सके। उसके बाद अश्विनी कुमारों ने च्यवन ऋषि के लिए च्यवनप्राश बनाया, जिसके सेवन के बाद ऋषि च्यवन ने फिर से अपने यौवन को प्राप्त कर लिया। “च्यवन ऋषि” के नाम ही च्यवनप्राश का नाम पड़ा।
च्यवनप्राश न केवल इम्यूनिटी बढ़ाता हैं बल्कि इसके और भी बहुत से फायदे हैं। हर जीवित प्राणी, खासकर की इंसान लंबी उम्र चाहता हैं इसी के साथ स्वस्थ्य शरीर, मन और आत्मा भी सबको चाहिए। लंबी उम्र के साथ साथ सब जवान भी रहना चाहते हैं और प्राचीन काल से ही मनुष्य यौवन और सकारात्मक ऊर्जा से भरे हुए जीवन की कल्पना करता हैं और इस के लिए मनुष्य बूढ़े होने वाली प्रक्रिया को धीमा करने और शरीर के कायाकल्प के लिए तरह तरह के तरीके खोजता रहता हैं। महाऋषि च्यवन ने अपने शरीर के कायाकल्प के लिए च्यवनप्राश को बनाया। अब च्यवनप्राश एक महत्वपूर्ण आहार सप्लीमेंट बन गया हैं और आयुर्वेद भी इसकी सिफारिश करता है।
घटक द्रव्य एवं निर्माण विधि
(Chyawanprash Ingredients & Preparation Method – च्यवनप्राश बनाने की विधि)
च्यवनप्राश को मुख्यतः 50 आयुर्वेदिक द्रव्यों को मिलाकर बनाया जाता हैं। च्यवनप्राश में निम्नलिखित घटक द्रव्यों है:
घटक द्रव्यों के नाम | मात्रा |
पाटला छाल | 48 ग्राम |
अरणी छाल | 48 ग्राम |
गंभारी छाल | 48 ग्राम |
बिल्व (बेल) छाल | 48 ग्राम |
श्योनाक छाल | 48 ग्राम |
गोखरु | 48 ग्राम |
शालपर्णी | 48 ग्राम |
पृष्टपर्णी | 48 ग्राम |
छोटी कटेली | 48 ग्राम |
बड़ी कटेली | 48 ग्राम |
पीपल | 48 ग्राम |
काकड़ासिंगी | 48 ग्राम |
मुनक्का | 48 ग्राम |
गिलोय | 48 ग्राम |
हरड़ (हरीतकी) | 48 ग्राम |
खरैती | 48 ग्राम |
भूमि आमला | 48 ग्राम |
वासा (अडूसा) | 48 ग्राम |
जीवंती | 48 ग्राम |
कचूर | 48 ग्राम |
नागरमोथा | 48 ग्राम |
पुष्करमूल | 48 ग्राम |
कोआठोड़ी | 48 ग्राम |
मुंगपर्णी | 48 ग्राम |
माषपर्णी | 48 ग्राम |
विदारीकन्द | 48 ग्राम |
सांठी | 48 ग्राम |
कमलगट्टा | 48 ग्राम |
छोटी इलायची | 48 ग्राम |
अगर (अगरु) | 48 ग्राम |
चन्दन | 48 ग्राम |
अष्टवर्ग | : |
ऋद्धि या अभाव में खरैती | 48 ग्राम |
वृद्धि या अभाव में सलाब पंजा | 48 ग्राम |
मेदा या अभाव में शकाकुल छोटी | 48 ग्राम |
महामेदा या अभाव में शकाकुल बड़ी | 48 ग्राम |
जीवक या अभाव में लम्बा सालब | 48 ग्राम |
ऋषभ या अभाव में काली मूसली | 48 ग्राम |
काकोली या अभाव में सफेद मूसली | 48 ग्राम |
क्षीरकाकोली या अभाव में सफेद बहमन | 48 ग्राम |
इन सब औषध द्रव्यों को जौकुट चूर्ण बना लें। | |
आमलकी (आमला) | 5760 ग्राम |
पानी | 24576 ग्राम |
ताज़ा आमला फलों, सभी औषध द्रव्य और पानी को बड़े बर्तन में डाल कर उबाले। जब पानी का आठवाँ हिसा बाकी रह जावे तो आमला फलों को निकाल कर मसल ले। आंवले के बीजो को अलग करे और आमला पिष्टी को अलग निकाल ले। इस तरह बाकी बचा पानी क्वाथ है और इसको छान कर सुरक्षित रख लें। | |
घी | 168 ग्राम |
तिल तेल | 168 ग्राम |
अब आंवला पिष्टी घी और तेल की बताई गई मात्रा में एक बड़ी कड़ाही में ले कर मंदाग्नि पर भुने। जब आंवला पिष्टी अच्छी तरह से भून जाए और घी तेल अगल निकल आए तो इसको सुरक्षित रख लें। | |
शर्करा (शकर) | 4800 ग्राम |
अब उपरोक्त सुरक्षित रखे हुए क्वाथ को पुनः गरम करें और जब यह आधा रह जावे तो ४८०० ग्राम शकर डाल कर पुनः पाक कर चासनी बना लें। | |
अब उपरोक्त भून कर सुरक्षित रखी हुई आंवला पिष्टी को इस चासनी में मिलकर गाड़ा होने तक पकावे। | |
प्रक्षेप द्रव्य | : |
पिप्पली चूर्ण | 12 ग्राम |
वंशलोचन | 12 ग्राम |
दालचीनी | 12 ग्राम |
छोटी इलायची | 12 ग्राम |
नागकेसर | 12 ग्राम |
तेजपत्र | 12 ग्राम |
अवलेह के लक्षण आ जाने पर इसको अग्नि से उतार कर उपरोक्त (पिप्पली चूर्ण आदि) प्रक्षेप द्रव्य मिला दें। | |
शहद | 576 ग्राम |
जब च्यवनप्राश अवलेह ठंडी हो जाए तो इसमें 576 ग्राम शहद मिला कर सुरक्षित रख लें। अब च्यवनप्राश अवलेह तैयार है। |
च्यवनप्राश के औषधीय कर्म (Medicinal Actions)
च्यवनप्राश में निम्नलिखित औषधीय गुण है:
दोष कर्म (Dosha Action) | विशेषत: पित प्रकोप शामक |
- रसायन
- रोग प्रतिरोधक शक्ति वर्धक
- कैंसर और उत्परिवर्तन विरोधी
- प्रतिउपचायक – एंटीऑक्सीडेंट
- पौष्टिक – पोषण करने वाला
- बल्य – शारीर और मन को ताकत देने वाला
- स्मरण शक्ति वर्धक
- मेधावर्धक – बुद्धि को बढ़ाने वाला
- मस्तिष्क बल्य – मस्तिष्क को ताकत देने वाला
- चक्षुष्य – आंखों के लिए फायदेमंद
- दृष्टि वर्धक – नजर बढ़ाने वाला
- केश्य – बालों के लिए हितकारी
- केश वर्धन – बालों को बढ़ाने वाला
- केश रञ्जन – बालों को काला करने वाला
- कांति वर्धक
- वाजीकर
- शुक्रजनन
- रक्तवर्धक
- कासहर
- पाचन – पाचन शक्ति बढाने वाली
- दीपन
- सारक
- गर्भाशय-बल्य
- मूत्रल (मुत्रजनन)
- रुचिकर
- चर्म रोग नाशक
च्यवनप्राश के लाभ एवं प्रयोग
च्यवनप्राश का मुख्यतः प्रभाव ह्रदय, दिमाग, फेफड़ों, तंत्रिकाओं, रक्त वाहिकाएं, प्रजनन प्रणाली, पाचन प्रणाली (आमाशय, आंतों, जिगर आदि) और मूत्र संस्थान के अंगो पर पड़ता है। यह इन अंगो को बल प्रदान करता है और इनका संशोधन करता है।
च्यवनप्राश विभिन्न जड़ी बूटियों से युक्त एक आयुर्वेदिक सप्लीमेंट है जो अपने गुणों के माध्यम से कई रोगों की रोकथाम में मदद करता हैं। इस अद्भुत आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों वाले च्यवनप्राश में स्वास्थ्य के बहुत से लाभ छुपे हुए हैं और ये भारत के सबसे पुराने आयुर्वेदिक सप्लीमेंट में से सबसे अधिक ख़रीदा और बेचा जाने वाला औषध प्रदार्थ है।
स्वास्थ्य टॉनिक
च्यवनप्राश एक आयुर्वेदिक स्वास्थ्य टॉनिक वा आयुर्वेदिक सप्लीमेंट हैं जो स्वास्थ्य को बनाये रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए उपयोगी हैं। ऋषि चरक के अनुसार ये एक पूर्ण स्वास्थ्य सप्लीमेंट हैं जो बीमारियों से लड़ने और रोगों से रोकथाम के लिए सहायक हैं।
च्यवनप्राश एक कायाकल्प औषधि
च्यवनप्राश आयुर्वेदिक चिकित्सा विज्ञान में एक उत्तम सप्लीमेंट और कायाकल्प करने वाली औषधि है। आजकल की व्यस्त और भाग-दौड़ वाली ज़िन्दगी में शरीर को स्वस्थ्य रखना और उसका कायाकल्प करना बहुत ही ज़रूरी हो गया हैं। इस भागदौड़ वाली ज़िन्दगी में हर व्यक्ति तनाव और थकान से गुजरता हैं और ऐसे में उसे ऐसी किसी औषधि की ज़रूरत होती हैं जिससे वो तरोताज़ा और तनाव से मुक्त महसूस करे। आजकल लोग स्वाथ्य रहने के लिए कई तरह के सप्लीमेंट का इस्तेमाल करते हैं ताकि वो अपने शरीर से विषाक्त पदार्थों और दिमाग से तनाव को बहार निकाल सके। च्यवनप्राश ख़राब खाने सम्बन्धी आदतों, दूषित वातावरण और जंक फ़ूड की बजह से होने वाली पोषण संबंधी विकारो को दूर कर पोषण की जरूरतों को पूरा करता है।
च्यवनप्राश बढ़ती उम्र संबंधी समस्याओं को कम करता है
च्यवनप्राश एक उम्र-रोधी औषधि है, जिसमे बहुत सारे एन्टीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो त्वचा को फ्री-रैडिकल्स से होने वाले नुकसानों से बचाता हैं। ये कोशिकाओं में पोषक तत्वो को सुधारने का काम करता हैं। यह दिल को मजबूत बनाता हैं और दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति करता हैं। इसमें मौजूद आंबले में विटामिन-सी की भरपूर मात्रा में होता हैं और ये एक अच्छा एन्टीऑक्सिडेंट्स हैं। इसलिए इसको नियमित रूप से खाने से चहरे पर झुर्रीयाँ और बारीक रेखाओं की मात्रा कम हो जाती हैं। इसीलिए अगर आप हमेशा खूबसूरत और जवान दिखना चाहते हैं तो च्यवनप्राश का भरपूर सेवन करें।
मस्तिष्क और हृदय के लिए फायदेमंद
आजकल के खाने में कोलेस्ट्रोल बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता हैं। जिससे ह्रदय को नुकसान पहुँचता हैं और ऐसा देखा गया हैं की आजकल युवको में ह्रदय की बीमारी बहुत अधिक हो रही हैं।
चवनप्राश में ऐसे जड़ी बूटियां पाई जाती हैं जो रक्त परिसंचरण क्रिया (blood circulation) को सही करती है और शरीर से गंदगी को बहार निकलने में सहायक हैं। च्यवनप्राश हृदय की मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता है और दिल की पंपिंग की क्षमता को भी सुधारता हैं। यह दिल की धड़कन को भी नियंत्रित करता है।
यह मानसिक क्षमताओं को बढ़ाने के साथ ही ADHD, अनिद्रा, स्मरण शक्ति की क्षति, पागलपन, अल्जाइमर रोग और अन्य मस्तिष्क और मस्तिष्क संबंधी बीमारियों के लिए फायदेमंद हैं। च्यवनप्राश दिमाग को तेज़ करता है और स्मरण शक्ति बढ़ाता है। यह मस्तिष्क के कार्य को ओर भी बेहतर बनाने में कार्यशील होता है। शोध से ये पता चला हैं की च्यवनप्राश याददाश्त तेज़ करने और चीज़ों को सीखने की योग्यता को भी बढ़ाता हैं। इसलिए हर किसी को इसका सेवन करना अनिवार्य है। इसके मस्तिष्क और ह्रदय को बहुत लाभ पहुँचता हैं।
पाचन तंत्र के लिए लाभदायक
च्यवनप्राश पाचन शक्ति में सुधार करने के साथ साथ पाचन तंत्र का संशोधन भी करता है। यह आमाशय, आंतों, जिगर आदि अंगो को बल प्रदान करता है और उनका पोषण करता है।
इसमें सारक गुण होने के कारण यह कब्ज के लिए भी उपयोगी हैं। यह आंतो को भी मजबूत करता हैं और आंतो में होने वाले रोगों के लिए अत्यधिक लाभकारी और गुणकारी हैं।
च्यवनप्राश एक रक्त वर्धक है
च्यवनप्राश में रक्तवर्धक गुण है। यह रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा को भी बढ़ाता है। इसके अलावा यह खून को भी साफ करने में भी सहायक है।
पेट के कैंसर के खतरे को कम करता हैं
च्यवनप्राश में सैपोनिन्स की अच्छी मात्रा होती है जो पेट के कैंसर के खतरे को कम करता हैं। सैपोनिन्स पित्त के लवणों को बांधता हैं और जिससे पेट के कैंसर के अवसर कम हो जाते हैं।
श्वसन प्रणाली के लिए लाभदायक
च्यवनप्राश श्वसन प्रणाली के संक्रमणों पर प्रतिबंध लगता है। सर्दी नजला जुकाम को होने से रोकता है। कास (खांसी) को ठीक करता है। फेफड़ों को बल देता है और फेफड़ों के कार्य में सुधार लाता है। जो लोग साँस के रोगों या दमे से परेशान हैं, यह उन के लिए भी उत्तम है।
शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता हैं
जैसा की पहले भी बताया हैं की च्यवनप्राश की मुख्य सामग्री हैं “आंबला” जिसमे विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता हैं और जो इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सहायक हैं।
त्वचा को सुन्दर और चमकदार बनाता हैं
च्यवनप्राश पोषक तत्वो और विटामिन सी से पूर्ण होने की वजह से त्वचा को निखारता हैं और चमकदार बनाता हैं। इसके रोज़ सेवन से साफ और चमकदार त्वचा प्राप्त होती है।
बार-बार होने वाले जुकाम और एलर्जी से बचाता हैं
च्यवनप्राश में पाए जाने वाला आंबला जो की शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को मजबूत करता है, उसी वजह से बार-बार होने वाले जुकाम या एलर्जी से भी छुटकारा दिलाता हैं। जो लोग बार-बार जुकाम से पीड़ित रहते हैं खास कर सर्दी में उन के लिए च्यवनप्राश एक बरदान की तरह हैं।
शरीर के तीनो दोषों (त्रिदोष – वात पित्त कफ) को संतुलित करते हैं
च्यवनप्राश शरीर के तीनो दोषों (त्रिदोष – वात – Vata, पित्त – Pitta,और कफ –Kapha) को संतुलित करते हैं। हालांकि इसका विशेष प्रभाव पित्त प्रकोप पर होता है और यह पित्त प्रकोप शामक है। पर यह सभी दोषों में संतुलन बना कर शारीर को और मन को स्वस्थ व निरोग रखने में सहायता करता है।
पुराने रोगों में लाभकारी
च्यवनप्राश एक रसायण औषधि है जो कोशिकाओं और ऊतकों का उत्थान (regeneration) करता है और पुराने रोगों के उपचार में सहायक होता है। रोग अनुसार औषधि देने के साथ साथ यदि च्यवनप्राश का प्रयोग भी किया जाए तो यह उस रोग में अधिक और जल्दी लाभ मिलता है। यह स्वास्थ्य बहाल करने, पुराने रोगों के लक्षणों को कम करने, दूसरी दवाईयों के प्रभाव को सुधारने, दवा के वितरण (distribution) और जैव उपलब्धता (bioavailability) को बढ़ाता हैं।
च्यवनप्राश के अनगिनत गुणों के कारण ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैं, रोगों की रोकथाम करता हैं और उन्हें दूर करने में सहायक होता हैं, कब्ज दूर करता हैं, इसी वजह से इसका सेवन करने से शरीर का विकास सही तरीके से होता हैं।
च्यवनप्राश के अन्य लाभ
- च्यवनप्राश के सेवन से शरीर की हड्डियों में कैल्शियम का अबशोषण बढ़ता हैं जिससे हड्डियां और दांत मजबूत बनते है।
- हालाँकि च्यवनप्राश में प्रोटीन की मात्रा कम होती हैं, फिर भी यह शरीर में प्रोटीन के संश्लेषण को बढ़ाता हैं जिससे मांसपेशियों में लचीलापन बेहतर होता है।
- यह प्रजनन क्षमता को सुधरता है।
- महिलाओं में मासिक धर्म चक्र (आर्तवचक्र) को नियमित करने में मदद करता है।
- गर्भवती महिलाओं में, च्यवनप्राश हीमोग्लोबिन का स्तर (hemoglobin level) को बढ़ाता हैं और पोषक तत्वों की आवश्यकता को पूरा करता है।
- च्यवनप्राश घाव भरने की प्रक्रिया को बढ़ाता है।
- च्यवनप्राश जुकाम, एलर्जी, श्वसन प्रणाली के संक्रमण आदि रोगों को कम करने में सहायक हैं।
- बार बार इन्फेक्शन्स से ग्रस्त होने वाले लोग च्यवनप्राश सेवन से इम्यूनिटी बढ़ा सकते है और बार बार होने वाले इन्फेक्शन्स से छुटकारा पा सकते है।
- च्यवनप्राश में आंबले की मात्रा की वजह से अन्तरदाह और अल्सर में रहत मिलती हैं।
मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)
च्यवनप्राश की खुराक व्यक्ति के पचाने की क्षमता पर निर्भर करती है। पुरानी किताबो में च्यवनप्राश के सेवन की कोई विशेष मात्रा नही बताई गयी है। इसकी उतनी ही मात्रा व्यक्ति को लेनी चाहिए जितनी की वह आसानी से पचा सके। वैसे तो ये हर एक खाद्य प्रदार्थ के लिए हैं कि जितना पचे उतना ही खाएं।
आमतौर पर हर किसी लिए आसानी से पचाने वाली च्यवनप्राश की मात्रा नीचे एक सूचि दी गयी है जिसमे ये बताया गया हैं कि किस उम्र के व्यक्तियों को इसकी कितनी मात्रा ग्रहण करनी चाहिए।
च्यवनप्राश की मात्रा (Dosage)
च्यवनप्राश की सामान्य औषधीय मात्रा व खुराक इस प्रकार है:
- 0 से 1 साल की उम्र के बच्चो को च्यवनप्राश का सेवन नही कराना चाहिए, हालाँकि माता जिनका दूध बच्चे पीते है अगर वो इसका सेवन करे तो बच्चे और माता दोनों को लाभ होगा।
- 1 से 5 साल की उम्र के बच्चो को 2.5 से 5 ग्राम यानि आधा चम्मच दिया जा सकता है।
- 6 से 12 साल की उम्र के बच्चो को 5 to 7.5 ग्राम यानि की लगभग दिन का एक चम्मच दिया जा सकता है।
- 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चो को 5 to 15 ग्राम यानि दिन में एक से दो चम्मच दिए जा सकते है। वयस्क भी यही मात्रा ले सकते है।
- गर्भवती महिलाओं को च्यवनप्राश का आधा चम्मच ही काफी माना जाएगा है। पर अगर चाहे तो इससे ज्यादा भी ले सकती हैं। पर गर्भावस्था में दिन में 2 चम्मच से ज्यादा च्यवनप्राश हितकारी नही माना जाएगा।
च्यवनप्राश कम मात्रा में भी लाभदायक है, पर इसका नियमित सेवन करना अधिक आवश्यक व अनिवार्य है।
सेवन विधि (च्यवनप्राश खाने के तरीके)
च्यवनप्राश खाने का उचित समय | सुबह ख़ाली पेट |
दिन में कितनी बार लें? | सामान्य रूप में च्यवनप्राश एक बार ही लेना पर्याप्त है। स्वास्थ्य अनुसार इस को दो बार भी लिया जा सकता है। |
अनुपान (किस के साथ लें?) | च्यवनप्राश ऐसे ही खाए बिना किसी अनुपान के। |
उपचार की अवधि (कितने समय तक लें) | दीर्घकालिक (जीवन भर लिया जा सकता है।) |
च्यवनप्राश का किस मौसम में प्रयोग करना चाहिए?
बिना किसी संशय के च्यवनप्राश हर मौसम में लिया जा सकता है। वैसे तो च्यवनप्राश हर मौसम में सेहत के लिए लाभकारी हैं पर सर्दियों में इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है। क्योंकि यह सर्दियों में ठंडी हवा के कारण होने वाले सर्दी जुकाम की रोकथाम के लिए अतिउत्तम औषधि है। इसमें भरपूर मात्रा के विटामिन सी होता है जो एंटीऑक्सीडेंट का कार्य करता है और वायरल इन्फेक्शन्स से बचाता है।
सही च्यवनप्राश की पहचान
सही च्यवनप्राश को पहचानना बहुत ही ज़रूरी है और इसे पहचानने के भी कई तरीके है। च्यवनप्राश का परीक्षण करना बहुत ही आसान है जिसे आप घर पर ही आसानी से कर सकते है। उनमे से कुछ इस तरह है।
- खुशबु: सही च्यवनप्राश में दालचीनी, इलायची और पिप्पली की खुशबु आती है।
- स्वाद: आमतौर पर च्यवनप्राश का स्वाद हल्का खट्टा होता। दालचीनी और पिप्पली का स्वाद भी आता है। उसमे मीठा कम होता हैं।
- पानी के साथ जाँच: च्यवनप्राश को पानी के साथ भी जाँचा जा सकता है। जैसे आप च्यवनप्राश के कुछ भाग को पानी में डालेगे, अगर च्यवनप्राश डूब जाता है तो ये सही है और अगर नही डूबता और उसके कुछ भाग पानी में तैरते रहे तो च्यवनप्राश अवलेह का सही से पाक नहीं किया गया।
- च्यवनप्राश अवलेह नरम और मुलायम होना चाहिए और अगर ऐसा नही हैं मतलव अगर च्यवनप्राश सख्त तो इसका अधिक पाक किया गया है और यदि बहुत ही ज्यादा नरम है तो इस का कम पाक हुआ है। कम पाक वाला च्यवनप्राश जल्दी खराब हो जाता है। ज्यादा पाक वाला च्यवनप्राश सेवन योग्य नहीं है।
च्यवनप्राश के साइड इफेक्ट (दुष्प्रभाव)
हालांकि च्यवनप्राश के कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं होते। पर कुछ लोगों के अनुभव के आधार पर यहां कुछ दुष्प्रभावों का वर्णन किया जा रहा है।
- कुछ लोगो को ज्यादा मात्रा में च्यवनप्राश सही से नही पचता। ऐसे लोगो को च्यवनप्राश कम मात्रा में करना चाहीहे।
- यदि इसका प्रयोग पहली बार किया जा रहा हो तो कुछ लोगो को इससे दस्त लग सकते है। च्यवनप्राश में कुछ सारक गुण होता है जो मल को आंतो में आगे सरकाता है। हालांकि यह साइड इफ़ेक्ट दुर्लभ ही किसी को होता है।
- जो लोग च्यवनप्राश दूध के साथ लेते है उनको अपच या गैस आदि पेट की समस्याएं रह सकती है। ऐसा देखा गया है कि च्यवनप्राश के ये ज्यादातर साइड इफ़ेक्ट तब सामने आते हैं जब च्यवनप्राश का सेवन दूध के साथ किया जाता है, इसलिए हो सकता है कि इनका एक कारण दूध के साथ इसका उपयोग करना ही हो। ऐसी हालत में च्यवनप्राश का सेवन का सेवन दूध के साथ करना छोड़ देना चाहिए।
- कुछ लोगों को पेट में जलन रहती है। ऐसा नहीं है कि इसका मुख्य कारण च्यवनप्राश है। बल्कि ज्यादातर वह पहले से ही इस तकलीफ से पीड़ित होते है। ऐसे लोगो को च्यवनप्राश सेवन के आधे घंटे बाद दूध लेना चाहिए। इसके यह लक्षण दूर हो जाता है।
असल में जिन लोगों यह तकलीफ़े पहले से ही हो, उन लोगो को इसके यह दुष्प्रभाव होने की संभावना अधिक होती है। जो लोगो अपच, गैस, पेट की सूजन, दस्त या पेट में भारीपन आदि से पहले से ही ग्रस्त हो, उनको च्यवनप्राश सेवन उपरांत यह साइड इफेक्ट्स अधिक महसूस हो सकते है।
सावधानियां
मधुमेह: च्यवनप्राश में चीनी की भी कुछ मात्रा होती है तो मधुमेह से पीड़ित लोगों को या तो इसका सेवन ही नहीं करना चाहिए या फिर इसके सेवन से पहले डॉक्टर से एक बार सलाह ले लेनी चाहिए ताकि उचित मात्रा का निर्धारण किया जा सके।
किन लोगों को च्यवनप्राश नहीं खाना चाहिए?
निम्नलिखित बीमारियों में च्यवनप्राश का सेवन नही करना चाहिए:
- मधुमेह
- गैस और उदर-वायु
- उदर का बढ़ना
- रात में बार बार पेशाब जाना
- पुरूर्षो में स्वप्नदोष
देखा गया है कि च्यवनप्राश इन लक्षणों को बढ़ा देता है। इसलिए इसका इनमे प्रयोग हितकारी नहीं माना जाएगा।
च्यवनप्राश के मुख्य ब्रांड
इस समय बाजार में तरह-तरह के च्यवनप्राश उबलब्ध है, उनमे से कुछ ये है:
- डाबर (डाबर च्यवनप्राश)
- बैद्यनाथ
- झंडू सोना चाँदी च्यवनप्राश
- कृष्ण गोपाल
- आर्य वैद्य शाला
- पतंजलि च्यवनप्राश
च्यवनप्राश के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या च्यवनप्राश वजन को बढ़ाता है?
कुछ लोग ये सोच कर च्यवनप्राश का सेवन नही करते क्योंकि उन्हें लगता हैं कि इससे वजन बढ़ सकता है। पर यह बिलकुल भी सही नही हैं। दिन में सिर्फ एक या दो चम्मच च्यवनप्राश खाने की सलाह दी जाती हैं और इन एक-दो चम्मच च्यवनप्राश से वजन नही बढ़ सकता। हालाँकि इसे बनाने में घी का प्रयोग किया जाता है। पर फिर भी एक या दो चम्मच च्यवनप्राश में घी बहुत ही कम होता है जिसका प्रभाव शारीर के वजन पर महत्त्वहीन होता है।