क्वाथ

दशमूल क्वाथ या दशमूल काढ़ा

दशमूल क्वाथ (दशमूल काढ़ा) एक आयुर्वेदिक औषधि है जो वातरोग के लिए प्रयोग की जाती है। इसका प्रभाव तंत्रिकाओं, मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों पर पड़ता है। इन अंगों के लिए यह एक प्रकार की उत्तम दवा है। इन अंगों से संबंधित रोगों में यह बहुत लाभदायक सिद्ध हुई है। दशमूल क्वाथ दर्द निवारक और शोथहर है। यह अस्थिसंधिशोथ, गठिया, घुटने के दर्द, पीठ दर्द आदि में हितकारी है।

Contents

दशमूल क्वाथ के मुख्य घटक

दशमूल दस पौधों की जड़ों का संयोजन है। उनको अलग अलग से कूटकर मोटा चूर्ण तैयार किया जाता है। फिर सभी को बराबर मात्रा में मिलाकर कर रख लिया जाता है। इस चूर्ण का प्रयोग काढ़ा बनाने के लिए किया जाता है। इस काढ़ा को दशमूल क्वाथ या दशमूल काढ़ा कहते है।

दशमूल क्वाथ निम्नलिखित घटको का मिश्रण हैं:

शालिपर्णी 1 भाग
पृश्निपर्णी 1 भाग
बृहती 1 भाग
कंटकारी 1 भाग
गोखरू 1 भाग
बेल 1 भाग
अग्निमंथ 1 भाग
गंभारी 1 भाग
श्योनाक 1 भाग
पाढल 1 भाग

आयुर्वेदिक गुण धर्म एवं दोष कर्म

दोष कर्म (Dosha Action) मुख्यतः वात शामक
मुख्य संकेत वात रोग

औषधीय कर्म

दशमूल क्वाथ (दशमूल काढ़ा) में निम्नलिखित औषधीय गुण है:

  • शोथहर
  • वेदनास्थापन – पीड़ाहर (दर्द निवारक)
  • प्रतिउपचायक – एंटीऑक्सीडेंट
  • गर्भाशय टॉनिक
  • गर्भाशय शोधक

चिकित्सकीय संकेत (Indications)

दशमूल क्वाथ (दशमूल काढ़ा) निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:

  1. अस्थिसंधिशोथ
  2. गठिया
  3. घुटने के दर्द
  4. पीठ दर्द
  5. मांसपेशियों की ऐंठन
  6. संधिशोथ
  7. पक्षाघात
  8. चेहरे का पक्षाघात
  9. अर्धांगघात
  10. कटिस्नायुशूल
  11. कब्ज
  12. गैस या पेट फूलना
  13. सूजन
  14. खाँसी
  15. अस्थमा

दशमूल के लाभ एवं उपयोग

  1. दशमूल मुख्य रूप से वात दोष पर काम करता है। यह वात की तीब्रता को कम करता है।
  2. यह वात के सभी अंगों (श्रोणि, बृहदान्त्र, मूत्राशय, श्रोणि, गुर्दे, हड्डियां, कान) में होने वाले रोगों में लाभकारी है।
  3. यह कब्ज को कम कर आंतों के स्वास्थ्य में सुधार लाता है।
  4. यह मूत्र प्रवाह में सुधार कर गुर्दे से विषाक्त पदार्थों को निकालता है।
  5. हड्डियों को मजबूत बनाता है।
  6. यह जांघ, टांग, पैर आदि में होने वाले दर्द को कम कर देता है।
  7. श्वास और खांसी के दौरे या साँस लेने में तकलीफ होने पर भी यह लाभ करता है। विशेष रूप से यह रात में होने वाली श्वास संबंधित तकलीफ को दूर करता है।
  8. दशमूल क्वाथ गठिया, जोड़ो के दर्द और शरीर के अन्य अंगो में दर्द की रोकथाम के लिए भी बहुत असरकारक हैं।
  9. इसके सेवन से रक्तचाप भी संतुलित रहता हैं।
  10. यह औषधि इम्युनिटी को बढ़ने और बिभिन्न रोगों से मुक्ति पाने में भी सहायक हैं। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं और बिभिन अंगो को उनके कार्य करने की क्षमता को भी बढाती हैं।
  11. यह महिलायो में होने वाले प्रसूता रोगों में बहुत लाभकारी हैं।
  12. इसके अलावा यह माताओ के दूध को भी साफ़ करता हैं और खून की गन्दगी को भी साफ़ करता हैं।

दशमूल क्वाथ बनाने का तरीका

400 मिलीलीटर पानी में पांच ग्राम दिव्य दशमूल चूर्ण डालें और उसे पकाएं, इसे तब तक पकाएं जब तक की यह मिश्रण 100 मिलीलीटर न रह जाये। अब इस मिश्रण को छान लें और इसका सेवन करें।

औषधीय मात्रा निर्धारण एवं व्यवस्था

दशमूल क्वाथ का सेवन दिन में दो बार करना चाहिए

  1. सुबह उठ कर खाली पेट
  2. दोपहर के खाने के चार-पॉँच घंटे बाद खाली पेट या फिर डॉक्टर के निर्देशानुसार इसका सेवन करना चाहिए।

दशमूल क्वाथ के दुष्प्रभाव

दशमूल क्वाथ पूरी तरह से प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से मिल कर बनी औषधि हैं, अगर दिए गए निर्देशो के अनुसार इसका सेवन किया जाये तो इसका कोई  दुष्प्रभाव नही हैं। इसके बाद भी अगर कोई समस्या आती हैं तो डॉक्टर की सलाह लेनी अनिवार्य हैं।

गर्भावस्था और स्तनपान

गर्भावस्था के बाद महिलाओं इसका प्रयोग कर सकती है। यह गर्भाशय को शुद्ध करने का काम करता है। यह प्रसूति के बाद महिलायो में होने वाले रोगों जैसे चिड़चिड़ापन, खून की कमी, कमजोरी, दर्द, चक्कर आना, भूख न लगना आदि को दूर करने में अत्यंत सहायक हैं।

स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए यह औषधि बहुत ही उपयोगी हैं, इन समय पर खास-तौर पर इसका उपयोग करना चाहिए।

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