भस्म एवं पिष्टी

गोदंती भस्म के गुण, लाभ और औषधीय उपयोग, मात्रा एवं दुष्प्रभाव

गोदन्ती भस्म जिप्सम से बनाई गयी एक खनिज आधारित आयुर्वेदिक औषधि है। यह प्राकृतिक कैल्शियम और सल्फर सामग्री में समृद्ध है। आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार, गोदन्ती भस्म तीव्र ज्वर (आयुर्वेद में इसे पित्तज ज्वर के रूप में भी जाना जाता है), सिरदर्द, जीर्ण ज्वर, मलेरिया, योनिशोथ, श्वेत प्रदर, गर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्राव, सूखी खाँसी और रक्तस्राव के विकारों के लिए लाभदायक है।आयुर्वेदिक चिकित्सक इसका उपयोग उच्च रक्तचाप, उच्च रक्तचाप के कारण सिरदर्द, अनिद्रा, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम, कब्ज, अपच, निम्न अस्थि खनिज घनत्व, ऑस्टियोपोरोसिस, खाँसी और दमा में भी करते हैं।

Contents

घटक द्रव्य (Ingredients)

सामान्य नाम वैज्ञानिक नाम
जिप्सम (गोदंति) कैल्शियम सल्फेट डायहाइडेट
एलो वेरा रस जिप्सम पाउडर को बनाने, प्रसंस्करण और पीसने के लिए

गोदन्ती भस्म के निर्माण की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण सम्मिलित हैं:

  1. जिप्सम की शुद्धि
  2. जिप्सम का महीन चूर्ण बनाने के लिए पीसना और घोंटना
  3. जिप्सम चूर्ण को एलो वेरा रस के साथ पीसना और घोंटना
  4. छोटे और पतले केक बनाना
  5. लगभग 200 से 500 डिग्री सेल्सियस के उच्च तापमान के पर मिट्टी के बर्तनों में पतले केक को ताप देना और राख बनाना

नोट:

  • कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सक ऐलो वेरा रस के स्थान पर नींबू रस, पत्तियों या आक और नीम के पत्तों का उपयोग करते हैं।
  • नीम के पत्तों (Neem Leaves) के रस के साथ बनाई गयी गोदन्ती भस्म को नीम गोदन्ती के रूप में जाना जाता है। यह टाइफाइड ज्वर और जीर्ण ज्वर में लाभदायक है।

रासायनिक संरचना

गोदन्ती एक मृदु कैल्शियम और सल्फर खनिज यौगिक है। रासायनिक रूप से, यह कैल्शियम सल्फेट डायहाइडेट है।

रासायनिक सूत्र: CaSO4•2H2O

औषधीय गुण

गोदन्ती भस्म में उपचार के निम्नलिखित गुण हैं।

  1. ज्वरनाशक (ज्वर को कम करता है और पेरासिटामोल के रूप में काम करता है)
  2. दाहक नाशक
  3. पीड़ाहर
  4. कैल्शियम अनुपूरक

गोदन्ती भस्म के संकेत

गोदन्ती भस्म निम्नलिखित स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों सहायक हैं:

  • ज्वर
  • मलेरिया
  • टायफायड ज्वर (नीम गोदन्ती का प्रयोग किया जाता है)
  • सिरदर्द
  • जीर्ण ज्वर
  • शरीर में सामान्य दर्द एवं पीड़ा
  • कैल्शियम पूरक
  • भयानक सरदर्द
  • अधकपाटी
  • त्रिपृष्ठी तंत्रिकाशूल
  • तनाव सिरदर्द
  • उच्च रक्तचाप (हल्का प्रभाव)
  • उच्च रक्तचाप के कारण सिरदर्द
  • ह्रदय के लिए शक्तिवर्धक औषध
  • हृदय रोग के कारण साँस लेने में परेशानी
  • निम्न अस्थि खनिज घनत्व
  • ऑस्टियोपोरोसिस
  • अस्थिमृदुता
  • जोड़ों में सूजन
  • जोड़ों में दर्द (हल्का प्रभाव)
  • संधिशोथ गठिया के कारण जोड़ों पर जलन का एहसास
  • सूखी खाँसी
  • दमा (लेकिन तीव्र स्थिति में लाभकारी नहीं)
  • ऊपरी श्वसन संक्रमण
  • योनिशोथ
  • श्वेत प्रदर
  • गर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्राव (प्रवाल पिष्टी के साथ)
  • प्रसव के बाद ज्वर
  • मसूड़े की सूजन
  • दाँत की मैल

कुछ जड़ी-बूटियों विशेषज्ञ और चीनी चिकित्सक जिप्सम राख के रूप जिप्सम का उपयोग सव्रण बृहदांत्रशोथ के उपचार में करते हैं। लेकिन इसके लिए हमारे पास लाभकारी परिणाम नहीं हैं, इसलिए हमने इस संकेत को यहां शामिल नहीं किया है।

लाभ और औषधीय उपयोग

आयुर्वेदिक चिकित्सा में गोदन्ती भस्म की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि यह पेरासिटामोल के रूप में कार्य करती है और बुखार को तुरंत कम करती है। बुखार और सिरदर्द में इसका प्रभाव 30 मिनट से 2 घंटे तक दिखाई देता है।

गोदन्ती भस्म की मुख्य क्रिया मस्तिष्क, रक्त वाहिकाओं और फेफड़ों पर होती है। आयुर्वेद में यह ज्वर और संक्रमण के प्रबंधन के लिए दुनिया में अच्छी तरह से जाना जाता है। आइए हम इसके औषधीय उपयोगों और स्वास्थ्य लाभों के बारे में चर्चा करें।

ज्वर (विभिन्न मूल)

ज्वर के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन शरीर के ताप को कम करने के लिए प्रत्येक रोगी को गोदन्ती भस्म दिया जाता है। इसे आमतौर पर ज्वर को कम करने के लिए महासुदर्शन चूर्ण (Mahasudarshan Churna) या महासुदर्शन घन वटी (Mahasudarshan Ghan Vati) के साथ प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी, तुरंत परिणाम पाने के लिए प्रवाल पिष्टी  (Praval Pisthi) की भी आवश्यकता होती है, खासकर तब जब मरीज़ शरीर में भयंकर दर्द और बेचैनी की शिकायत करे।

टायफायड ज्वर

नीम की पत्तियों के रस के साथ बनाई हुई गोदन्ती भस्म टाइफाइड ज्वर में लाभदायक होती है। कठिन स्थिति में, जब रोगी को तेज बुखार होता है, तो इसका उपयोग अन्य आयुर्वेदिक औषधियों के साथ सात दिनों के लिए किया जा सकता है।

यह टाइफाइड ज्वर की स्थाई स्थिति में भी लाभदायक होता है, जब रोगी को हल्का बुखार होता है। इस मामले में, निम्नलिखित संयोजन मददगार है।

घटक एकल खुराक
नीम गोदन्ती 500 मिलीग्राम
प्रवाल पिष्टी 500 मिलीग्राम
सितोपलादि चूर्ण – Sitopaladi churna 1.5 ग्राम
गिलोय सत्त – Giloy Sat 250 मिलीग्राम

रोगी इस खुराक को शहद के साथ दिन में दो बार या तीन बार दोहरा सकते हैं। यह सूखी खांसी में भी लाभदायक है।

हाइपोकैल्शिमिया

हाइपोकैल्शिमिया सीरम कैल्शियम के न्यून स्तर की स्थिति होती है। गोदन्ती भस्म से कैल्शियम अत्यधिक अवशोषित होता है। गोदन्ती भस्म अकेले ही कैल्शियम सीरम के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसके प्रभाव को मजबूत करने के लिए, निम्न संयोजन अधिक लाभकारी हो सकता है।

उपचार खुराक
गोदन्ती भस्म 500 मिलीग्राम
प्रवाल पिष्टी – Praval Pishti 250 मिलीग्राम
मुक्ता शुक्ति पिष्टी – Mukta Shukti Pishti 250 मिलीग्राम

सिरदर्द

गोदन्ती भस्म सिरदर्द को कम करती है और यह अधकपाटी और त्रिपृष्ठी तंत्रिकाशूल होने पर भी लाभदायक है। सिरदर्द में, इसका उपयोग अकेले या मिश्री (चीनी) के साथ किया जा सकता है।

उपचार खुराक
गोदन्ती भस्म 500 मिलीग्राम
गिलोय सत्त 500 मिलीग्राम
मिश्री (चूर्ण) 2 ग्राम

उपरोक्त उपचार को बताई गयी खुराक के अनुसार मिलाकर दिन में दो बार पानी के साथ लेना चाहिए। तेज दर्द में, यह मिश्रण को दिन में 3 से 4 बार भी लिया जा सकता है।

अधकपाटी और त्रिपृष्ठी तंत्रिकाशूल

अधकपाटी और त्रिपृष्ठी तंत्रिकाशूल में, गोदन्ती भस्म को गाय के घी (Cow’s Ghee) और मिश्री (चीनी) के साथ लिया जाना चाहिए। इन रोगों के उचित उपचार के लिए रोगी को अन्य आयुर्वेदिक औषधियों की भी आवश्यकता हो सकती है। इन औषधियों में सूतशेखर रस और शिर शूलादि वज्र रस शामिल हैं।

श्वेत प्रदर और योनिशोथ

गोदन्ती भस्म सफ़ेद निर्वहन और महिलाओं के प्रजनन अंगों की सूजन को कम कर देता है। निम्न उपचार का प्रयोग इस रोग के लिए किया जाता है।

घटक एकल खुराक
नीम गोदन्ती 500 मिलीग्राम
जीरा चूर्ण 1 ग्राम
मजूफल चूर्ण 500 मिलीग्राम
सुपारी पाक 2 ग्राम

गर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्राव

इस स्थिति में, गोदन्ती भस्म मिश्रण का प्रयोग किया जाता है। इस मिश्रण में शामिल हैं:

घटक एकल खुराक
नीम गोदन्ती 500 मिलीग्राम
आंवला चूर्ण – Amla 2 ग्राम
इसबगोल की भूसी – Psyllium Husk 2 ग्राम

मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)

गोदन्ती भस्म की खुराक रोगी की उम्र और स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर 125 मिलीग्राम से 1 ग्राम तक हो सकती है।

खुराक तालिका

आयु एकल खुराक
0 से 3 महीने 65 मिलीग्राम से 125 मिलीग्राम
3 महीने से 1 वर्ष 125 मिलीग्राम ते 175 मिलीग्राम
1 वर्ष से 5 वर्ष 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम
5 वर्ष से ऊपर 250 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम
वयस्क 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम

गोदन्ती भस्म की कुल खुराक वयस्कों में 2 ग्राम और बच्चों में 1 ग्राम प्रति दिन से अधिक नहीं होनी चाहिए।

सावधानी और दुष्प्रभाव

अल्पकालिक उपयोग (4 सप्ताह से कम) संभवतः सुरक्षित है। अल्पकालिक उपयोग में किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पाया गया है।

गोदन्ती भस्म के दीर्घकालिक उपयोग के कारण यकृत विकार हो सकता है। इसलिए, आपको इसका उपयोग लगातार एक महीने से अधिक नहीं करना चाहिए।

गर्भावस्था और स्तनपान

अल्पकालिक उपयोग (4 सप्ताह से कम) के लिए गोदन्ती भस्म का उपयोग गर्भावस्था और स्तनपान कराते समय संभवतः सुरक्षित है। दीर्घावधि उपयोग की सुरक्षा अभी तक स्थापित नहीं हो पाई है, इसलिए इसका उपयोग लंबे समय तक या लगातार 4 सप्ताह से अधिक करने से बचें।

विपरीत संकेत (Contraindications)

गोदन्ती भस्म का उपयोग यकृत विकारों और अतिकैल्शियमरक्तता में नहीं करना चाहिये।

संदर्भ

  1. Godanti Bhasma – AYURTIMES.COM

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