भस्म एवं पिष्टी

जहर मोहरा पिष्टी और भस्म के लाभ, औषधीय प्रयोग, मात्रा एवं दुष्प्रभाव

जहर मोहरा पिष्टी और जहर मोहरा भस्म एक आयुर्वेदिक खनिज आधारित नियमन है। इसे नागपाशान भस्म भी कहा जाता है। इसका निर्माण जहर मोहरा पत्थर से किया जाता है, जिसे सर्पेंटाइन भी कहा जाता है। हालाँकि, जहर मोहरा पत्थर एकल खनिज नहीं है, लेकिन इसमें मुख्य रूप से मैग्नेशियम सिलिकेट होता है।

आयुर्वेद में, जहर मोहरा को शुद्ध करने के लिए और इसे मनुष्य के खाने योग्य बनाने के लिए संसाधित किया जाता है। इन प्रक्रियाओं को शोधन, मर्दन और मारण कहा जाता है। इसे चिकित्सीय प्रयोजनों के उपयोग करने योग्य बनाने के लिए शोधन और मर्दन प्रक्रियाऐं आवश्यक हैं।

मूलभूत जानकारी
चिकित्सा श्रेणी भस्म और पिष्टी (Bhasma & Pishti)
दोष प्रभाव वात, पित्त और कफ (VATAPITTA & KAPHA) सभी को शांत करता है
संभावित क्रिया ह्रदय रक्षक
मुख्य संकेत पाचन विकार और उच्च रक्तचाप
विशेष अंगों पर प्रभाव ह्रदय और आंतें
सुरक्षा प्रोफाइल संभवतः सुरक्षित
खुराक 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम
सर्वश्रेष्ठ सह-औषध शहद
शेल्फ जीवन जितना पुराना उतना अच्छा
घटकों का उपयोग शुद्ध जहर मोहरा

Contents

घटक द्रव्य (संरचना)

जहर मोहरा पिष्टी और जहर मोहरा भस्म का मुख्य घटक शुद्ध जहर मोहरा है।

जहर मोहरा की रासायनिक संरचना

जहर मोहरा मुख्य रूप से मैग्नीशियम सिलिकेट से बना है। मैग्नीशियम सिलिकेट्स के अतिरिक्त, इसमें लोहा, एल्यूमीनियम, जस्ता और मैंगनीज के सिलिकेट भी हो सकते हैं।

जहर मोहरा का सामान्य सूत्र (Mg,Fe,Ni,Al,Zn,Mn)₂₋₃ (Si,Al,Fe)₂O₅(OH)₄
जहर मोहरा के प्रकार के अनुसार ऊपर बताये गए सूत्र में कुछ तत्व अनुपस्थित हो सकते हैं।
जहर मोहरा के दो मुख्य प्रकार हैं:
मुख्य प्रकार रासायनिक सूत्र
एंटीगोराइट (Mg, Fe)3Si2O5(OH)4
क्राइसोटाइल Mg3Si2O5(OH)4

निर्माण की प्रक्रियाऐं

जहर मोहरा पिष्टी और ​​जहर मोहरा भस्म की निर्माण प्रक्रियाओं में शामिल है:

जहर मोहरा पिष्टी

  1. शोधन (शुद्धिकरण या विषहरण): इसमें जहर मोहरा पत्थरों को लाल होने तक गर्म करते हैं फिर उन्हें गाय के दूध या त्रिफला काढ़े में डाल देते हैं। इस प्रक्रिया को 21 बार दोहराया जाता है।
  2. मर्दन: कई दिनों तक गुलाब जल या चंदनादि अर्क में इसके महीन चूर्ण को घोंटा जाता है।

जहर मोहरा भस्म

  1. शोधन (शुद्धिकरण या विषहरण): इसमें जहर मोहरा पत्थरों को लाल होने तक गर्म करते हैं फिर उन्हें गाय के दूध या त्रिफला काढ़े में डाल देते हैं। इस प्रक्रिया को 21 बार दोहराया जाता है।
  2. मर्दन: गाय के दूध में 6 घंटे तक इसके महीन चूर्ण को घोंटा जाता है।
  3. केक बनाना: मर्दन की प्रक्रिया से तैयार किये गए गाढ़े पेस्ट से छोटे केक बनाना।
  4. मारण: छोटे केक को सुखाने के बाद, उन्हें भस्म प्राप्त करने के लिए मिट्टी के बर्तनों में डाल कर गर्म किया जाता है।

औषधीय कर्म (Medicinal Actions)

जहर मोहरा पिष्टी और ​​जहर मोहरा भस्म, दोनों में समान औषधीय गुण होते हैं।

  1. ह्रदय पौष्टिक
  2. बल्य
  3. अम्लत्वनाशक (अम्लपित्तहर)
  4. छर्दिहर, छदिनिग्रहण – वमनरोधी
  5. अतिसारहर – दस्त रोकने वाला
  6. बिच्छू डंक की विषहर औषध
  7. साँप के काटने की विषहर औषध
  8. उच्चरक्तदाबरोधक
  9. जीवाणुरोधी
  10. रोगाणुरोधी
  11. पाचन उत्तेजक
  12. ज्वरनाशक

चिकित्सकीय संकेत (Indications)

जहर मोहरा पिष्टी और ​​जहर मोहरा भस्म, दोनों को निम्नलिखित रोगों और लक्षणों में निर्दिष्ट किया जाता है:

  • बच्चों में दस्त
  • मतली उल्टी
  • पेट और सीने में जलन
  • यकृत विकार (शायद ही कभी प्रयोग किया जाता है)
  • बेचैनी
  • गंभीर बुखार
  • हैज़ा
  • उच्च रक्त चाप

लाभ और औषधीय उपयोग

जहर मोहरा पिष्टी और ​​भस्म, दोनों के समान लाभ हैं। जहर मोहरा पाचन तंत्र और हृदय प्रणाली के रोगों में लाभदायक है। यहाँ जहर मोहरा पिष्टी के कुछ महत्वपूर्ण औषधीय प्रयोग और लाभ दिए गए हैं।

बच्चों में अतिसार

जहर मोहरा पिष्टी में दस्त रोकने वाले, जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी गुण होते हैं, जो शिशुओं और बच्चों में दस्त के उपचार में मदद करते हैं। निम्न आयुर्वेदिक संयोजन, बच्चों में अतिसार के उपचार के लिए सबसे अच्छा है।

उपचार मात्रा
जहर मोहरा पिष्टी 60 मिलीग्राम *
जसद भस्म – Jasad Bhasma 10 मिलीग्राम *
नागरमोथा 60 मिलीग्राम *
मोचरस 60 मिलीग्राम *
धनिया 60 मिलीग्राम *
आंवला चूर्ण 60 मिलीग्राम *
इन्द्रायव 60 मिलीग्राम *
* तीक्ष्ण मामलों में, इस मिश्रण को एक दिन में 6 से 8 बार देना चाहिए। इस प्रकार की खुराक पहले दिन के लिए ही आवश्यक है। दूसरे दिन भी उसी खुराक की आवश्यकता हो सकती है।
इसके बाद, जब तक बच्चा संक्रमण से पूरी तरह ठीक न हो जाए तब तक इसे दिन में 3 बार देना चाहिए (इस खुराक को कम से कम 7 दिनों के लिए देना चाहिए)।
यदि दस्त के साथ बुखार आता है तो षडंग पनिया (Shadanga Paniya) दी जानी चाहिए। भले ही बुखार न भी हो, तो भी षडंग पनिया का उपयोग शरीर में आम (AMA) और विषाक्त पदार्थों को कम करने और स्वास्थ्य लाभ की प्रक्रिया को गति देने के लिए लाभदायक है।

अत्यार्तव (अधिक रजोधर्म)

अत्यार्तव असामान्य अधिक रजोधर्म है। कई महिलाऐं इसमें कमजोरी और थकान का अनुभव करती हैं। अधिक रजोधर्म वाली महिलाओं को रक्ताल्पता की शिकायत हो सकती है। हालांकि, ऐसे मामलों के लिए अशोकारिष्ट (Ashokarishta) एक पसंदीदा औषधि है, लेकिन जहर मोहरा पिष्टी रक्तस्राव, कमजोरी और थकान को कम करने के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान करती है। जहर मोहरा पिष्टी का उपयोग प्रवाल पिष्टी और ​​अन्य औषधियों के साथ इस प्रकार किया जाता है:

उपचार मात्रा
जहर मोहरा पिष्टी 250 मिलीग्राम *
प्रवाल पिष्टी – Praval Pishti 250 मिलीग्राम *
गोदन्ती भस्म – Godanti Bhasma 250 मिलीग्राम *
गिलोय सत्व – Giloy Satva 250 मिलीग्राम *
अभ्रक भस्म – Abhrak Bhasma 125 मिलीग्राम *
मुक्ता पिष्टी – Mukta Pishti 125 मिलीग्राम *
यष्टिमधु (मुलेठी) चूर्ण – Yashtimadhu (Mulethi) Churna 500 मिलीग्राम *
अमलाकी रसायन – Amalaki Rasayana 500 मिलीग्राम *
* दिन में चार बार
इस स्थिति का उपचार करने के लिए जहर मोहरा पिष्टी का यह संयोजन 3 से 7 दिन लेता है। लेकिन पुनरावृत्ति को रोकने के लिए इसे कम से कम 4 सप्ताह तक लेना चाहिए।

उच्च रक्त चाप

जहर मोहरा पिष्टी का उपयोग अक्सर उच्च रक्तचाप के प्रबंधन के लिए किया जाता है। प्रति दिन एक ग्राम से अधिक की खुराक में इसके उच्चरक्तदाबरोधक गुण अधिक दिखाई देते हैं। हालांकि, सर्पगंधा चूर्ण (Rauwolfia Serpentina) के साथ जहर मोहरा पिष्टी बेहतर काम करती है। यह अकेले ही बिना सर्पगंधा (Sarpagandha) के निम्नलिखित संयोजन में कई रोगियों में काम करती है:

उपचार मात्रा
जहर मोहरा पिष्टी 250 से 500 मिलीग्राम * +
अकीक पिष्टी – Akik Pishti 125 मिलीग्राम *
मुक्ता पिष्टी – Mukta Pishti 125 मिलीग्राम *
अभ्रक भस्म – Abhrak Bhasma 25 मिलीग्राम *
* पानी के साथ दिन में दो बार
+ नोट: हल्के उच्च रक्तचाप में 250 मिलीग्राम खुराक पर्याप्त है, मध्यम उच्च रक्तचाप में 500 मिलीग्राम खुराक ठीक है, लेकिन गंभीर उच्च रक्तचाप के मामलों में, 500 मिलीग्राम जहर मोहरा पिष्टी को 250 मिलीग्राम सर्पगंधा चूर्ण (Sarpagandha Churna) के साथ लिया जाना चाहिए।

मात्रा और सेवन विधि

जहर मोहरा पिष्टी और भस्म की खुराक तालिका
शिशु 30 से 125 मिलीग्राम *
बच्चे 60 से 125 मिलीग्राम *
वयस्क 125 से 250 मिलीग्राम *
गर्भावस्था इससे बचें
वृद्धावस्था 125 से 250 मिलीग्राम *
अधिकतम संभावित खुराक (प्रति दिन या 24 घंटों में) 500 मिलीग्राम (विभाजित मात्रा में)
* दिन में दो बार शहद या पानी के साथ

सुरक्षा प्रोफाइल

जहर मोहरा पिष्टी और भस्म की सुरक्षा प्रोफाइल अच्छी तरह से स्थापित नहीं है। हालांकि, इसका पारंपरिक रूप से भारतीय चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है और अधिकांश आयुर्वेदिक चिकित्सक ने अपने रोगियों में जहर मोहरा का कोई दुष्प्रभाव नहीं देखा है।

हमारे अनुभव के अनुसार, जहर मोहरा पिष्टी और भस्म को प्रतिदिन 500 मिलीग्राम से कम की खुराक में अच्छी तरह से सहन किया जाता है। उच्च रक्तचाप वाले रोगियों में जहर मोहरा पिष्टी की उच्च खुराक का उपयोग किया जाता है, जो की अधिकतर लोगों में संतोषजनक भी है। जहर मोहरा पिष्टी और भस्म को आयुर्वेद विशेषज्ञ की देखरेख में लिया जाना चाहिए।

जहर मोहरा के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या उच्च रक्तचाप में जहर मोहरा का उपयोग लंबे समय तक किया जा सकता है?

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए जहर मोहरा पिष्टी या भस्म का उपयोग दीर्घकालिक आधार पर किया जा सकता है। आम तौर पर, अगर दोष का प्रबंधन ठीक से किया जाए तो कई मामलों में लंबे समय तक उपयोग की आवश्यकता नहीं होती है।

संदर्भ

  1. Jahar Mohra Pishti & Jahar Mohra Bhasma – AYURTIMES.COM

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