कब्ज, गैस और अफारे को जड़ से ख़त्म करने का अचूक इलाज
कब्ज को व्यापक रूप से मल त्याग करने में होने वाली मुशकिल के रूप में या मल त्याग करने में संतोष प्राप्त न होने के रूप में परिभाषित किया जाता है।
मल त्याग करते समय जोर लगाना, मल का कठोर व सख्त होना, पेट में भारीपन व तनाव महसूस करना, गैस होना, और ऐसा महसूस होना कि पेट को पूरी तरह से खाली नहीं हुआ आदि कब्ज के मुख्य लक्षण है।
पुराणी कब्ज का मुख्य कारण होता है पित्त का पित्ताशय और लीवर से अच्छी तरह से स्राव न होना और आंत्र का कमजोर व शिथिल होना।
आँतों में वायु होने पर कुटकी के साथ काली जीरी का प्रयोग बहुत प्रभावशील सिद्ध हुआ है। इन दोनों जड़ी बूटियों में शक्तिशाली वायुनाशक और कफहर गुण होते है। यह योग पेट के अफारे को नष्ट करने के लिए उत्तम कार्यशील सिद्ध हुआ है।
इसके अतिरिक्त, इसमें पित्ताशय अर्थात gallbladder को संकुचित कर, और लीवर को उतेजित कर पित्त के बहाव को बढ़ाने वाले गुण भी होते हैं। जिसके कारण यह पित्ताशय के स्वास्थ्य में सुधार करती है और पित्त स्राव की मात्रा आंत्र में बढा देती है।
पित्त आंत्र में जाकर आंत्र की पेशियों की क्रमाकुंचन क्रिया अर्थात peristalsis को बड़ा देता है और जिससे कब्ज का भी उपचार हो जाता है। इसके अलावा यह कटु पौष्टिक होने के कारण आंत्र को बल भी देता हैं। यह यकृत के कार्यों में भी सुधार करता है।
इस योग का एक सप्ताह तक प्रयोग करने से कब्ज, अफारा, गैस और पेट का भारीपन दूर होता है।
सर्वोत्तम परिणामों के लिए, 500 मिलीग्राम कालीजीरी में 500 मिलीग्राम कुटकी और 50 मिलीग्राम काली मिर्च मिलाकर उपयोग करना चाहिए। यह भोजन के बाद उषण जल के साथ दिन में दो बार लिया जा सकता है।
यदि रोगी को पेट में गैस हो अर्थात हवा जमा होने लगती हो, या फिर पेट में भारीपन और अफारा हो, यह योग उनके लिए भी अति लाभदायक सिद्ध हुआ है।