कुमकुमादि तैल के घटक द्रव्य, लाभ एवं उपयोग विधि
कुमकुमादि तैल (कुंकुमादि तैलम्) त्वचा की चमक और रंगत में सुधार करता है। इसका उपयोग एक मॉइस्चराइजर (Moisturizer) के रूप में भी किया जा सकता है। यह लगभग हर प्रकार की त्वचा के लिए उपयुक्त है, विशेष रूप से शुष्क त्वचा के लिए बहुत ही लाभप्रद है। यह त्वचा की चमक बढ़ाता है और साथ ही काले धब्बे, काले घेरे, निशान, और हाइपरपिगमेंटेशन (hyperpigmentation) को रोकता है। आमतौर पर, यह हाइपरपिगमेंटेशन के उपचार के लिए एक प्रभावी आयुर्वेदिक उपाय है। इसमें प्राकृतिक अवयव होते हैं, जो रासायनिक आधारित क्रीम की तुलना में त्वचा के लिए अधिक सुरक्षित हैं। इसका किसी भी दुष्प्रभाव की चिंता किए बिना नियमित रूप से प्रयोग किया जा सकता है।
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घटक द्रव्य (Ingredients)
कुमकुमादि तैलम (कुमकुमादि तेल) में निम्नलिखित घटक द्रव्यों है:
जड़ी बूटी (क्वाथ द्रव्य):
लाल चंदन | 48 ग्राम |
लाख (लाक्षा) – Laccifer Lacca | 48 ग्राम |
मंजिष्ठा | 48 ग्राम |
यष्टिमधु (मुलेठी) – Glycyrrhiza Glabra | 48 ग्राम |
दारुहल्दी | 48 ग्राम |
उशीर | 48 ग्राम |
पद्मक | 48 ग्राम |
नील कमल | 48 ग्राम |
बरगद (वट वृक्ष) | 48 ग्राम |
पाकड़ | 48 ग्राम |
कमल केसर | 48 ग्राम |
बिल्व | 48 ग्राम |
अग्निमंथ | 48 ग्राम |
श्योनाक | 48 ग्राम |
गंभारी | 48 ग्राम |
पाटला | 48 ग्राम |
शालपर्णी | 48 ग्राम |
पृश्नपर्णी | 48 ग्राम |
गोखरू (गोक्षुर) | 48 ग्राम |
बृहती | 48 ग्राम |
कंटकारी या भटकटैया | 48 ग्राम |
उपरोक्त सभी जड़ी बूटियों का मोटा बतायी गयी मात्रा में कुटा हुआ पाउडर लें और इसको कुछ घंटों के लिए 9.126 लीटर पानी में भिगो दें। फिर इस जड़ी बूटी मिले हुए पानी को उबालें और तब तक इसका काढ़ा बनायें जब तक एक चौथाई पानी शेष रह जाए। इसके बाद इसको छान लें।
कल्क द्रव्य (पेस्ट बनाने के लिए जड़ी बूटी):
मंजिष्ठा | 12 ग्राम |
यष्टिमधु (मुलेठी) | 12 ग्राम |
महुआ | 12 ग्राम |
लाख | 12 ग्राम |
पतंग | 12 ग्राम |
उपरोक्त जड़ी बूटियों को कल्क बनाने के लिए लें। थोड़ा सा पानी मिलायें और पेस्ट बना लें।
आधार तेल:
तिल का तेल | 192 मिलीलीटर |
अन्य द्रव्य:
बकरी का दूध | 384 मिलीलीटर |
अब, सभी कल्क (हर्बल पेस्ट), तिल का तेल, और बकरी के दूध को एक बर्तन में मिलायें और फिर इसको उबालें। इस मिश्रण को तब तक उबालें जब तक सिर्फ तेल रह जाए।
केसर | 48 ग्राम |
गुलाब जल | यथेष्ट मात्रा |
अब केसर और गुलाब जल लें और गुलाब जल मिलकर केसर का पेस्ट बनायें।
इस केसर के पेस्ट को तेल में मिलायें और एक कांच की बोतल में भर लें। इसे कुमकुमादि तैलम कहा जाता है।
नोट
बाजार में उपलब्ध कुमकुमादि तेल में केसर के पेस्ट और तेल का मिश्रण नहीं होता है। इसमें तेल को बनाते समय ही केसर मिला दिया जाता है। इस लेख में बतायी गयी पारंपरिक विधि से तैयार तेल अधिक लाभदायक होता है और श्रेष्ठ परिणाम प्रदान करता है।
शास्त्रीय संदर्भ
कुमकुमादि तेल की यह नियमन भैषज्य रत्नावली, अध्याय 60, क्षुद्र रोग चिकित्सा छंद 115-120 के अनुसार है।
अष्टांग हृदय (उत्तर संस्थान, अध्याय 32, क्षुद्र रोग चिकित्सा छंद 27-30) में थोड़ी भिन्नता है, लेकिन अधिकांश सामग्रियां समान हैं।
अष्टांग हृदय में, कुमकुमादि तेल की संस्तुति नस्य कर्म के लिए की जाती है, लेकिन भैषज्य रत्नावली में, मालिश की संस्तुति की जाती है।
औषधीय कर्म (Medicinal Actions)
कुंकुमादि तैलम् (कुमकुमादि तेल) में निम्नलिखित औषधीय गुण है
- प्रतिउपचायक या प्रतिऑक्सीकारक (Antioxidants)
- एंटी-हाइपरपिगमेंटेशन
- मॉइस्चराइजर
- शांतिदायक
- जीवाणु रोधी
- दाहक विरोधी
- खाज नाशक
- प्राकृतिक सन-स्क्रीन
चिकित्सीय संकेत
कुमकुमादि तैलं निम्न स्थितियों में लाभदायक है:
- हाइपरपिगमेंटेशन
- काले घेरे
- धब्बे
- ब्लैक स्पॉट या ब्लैक मार्क्स
- कील मुँहासे
- मुँहासे
कुमकुमादि तैलम के लाभ और उपयोग
कुमकुमादि तैलम का उपयोग त्वचा के रोगों को रोकने और उनके उपचार के लिए किया जाता है, विशेषकर असामान्य पिगमेंटेशन से संबंधित। इसे धब्बों और झुर्रियों के लिए अधिक प्रभावी पाया गया है।
कुमकुमादि तैलम हाइपरपिगमेंटेशन के उपचार के लिए सहायक है
कुमकुमादि तैलम त्वचा को चमक देता है और इसकी रंजकता (पिगमेंटेशन) को भी कम करता है। इसका यह प्रभाव एपिडर्मल इंफ्लेमेटरी रिस्पांस (अधिचर्मिक दाहक प्रतिक्रिया) पर इसके असर के कारण होने की संभावना है, जो अराचीडोनिक एसिड के ऑक्सीकरण को प्रेरित करता है और ल्यूकोट्रिनस, प्रोस्टाग्लैंडीन, आदि के निस्तार को बढ़ाता है। ये रसायन मेलेनोसाइट्स और प्रतिरक्षा कोशिकाओं की गतिविधि को बदलते हैं, जिसके कारण हाइपरपिगमेंटेशन होने की संभावना होती है। कुमकुमादि तैलम में एंटीऑक्सिडेंट, दाहक विरोधी और एंटी-हाइपरपिग्मेंटेशन गुण है, जो सूजन कम करके और एंटीऑक्सीडेंट कार्रवाई करके इन रासायनिक प्रक्रियाओं की श्रृंखला को प्रभावित करता है। इसके मेलेनिन पिग्मेंट के निस्तार की भी संभावना है।
प्राकृतिक सनस्क्रीन के रूप में कुमकुमादि तेल का उपयोग
कुमकुमादि तेल में उपस्थित केसर पराग इसका एक मुख्य घटक है, जो की एक प्राकृतिक सनस्क्रीन के रूप में कार्य करता है। इसका आधार तेल होता है जो की इसके मॉइस्चराइज़र प्रभाव को बढ़ देता है। एक अध्ययन से पता चलता है कि केसर पराग लोशन का होमोसलेट लोशन की तुलना में अधिक असरदार प्रभाव होता है और यह पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करके त्वचा को बचाता है।
मुहासों की रोकथाम के लिए कुमकुमादि तेल
इसमें जीवाणुरोधी, एंटीऑक्सिडेंट और दाहक विरोधी गुण होते हैं, जो मुहांसों को रोकने और उनका उपचार करने में मदद करते हैं। हालांकि, अन्य आयुर्वेदिक योगों की तुलना में यह मुँहासे के उपचार में कम प्रभावी है।
कुमकुमादि तेल में हलकी सफाई के गुण भी होते हैं, जो मुहांसों को रोकने में मदद करता है। इसकी नियमित मालिश मृत त्वचा कोशिकाओं को निकालती है और त्वचा की वसामय ग्रंथियों के संक्रमण को रोकती है। यह त्वचा पर दाहक विरोधी क्रिया करती है, जिससे मुहांसों की लाली कम हो जाती है।
कुमकुमादि तेल लगाने से और साथ में आयुर्वेदिक दवाओं के खाने से मुहांसों के उपचार में सहायता मिलती है। आम तौर पर, मुहांसों को रोकने, उपचार करने और पुनरावृत्ति से बचने के लिए शंख भस्म और कुटकी (पिकरहाइज़ा कुरोआ) का उपयोग किया जाता है। कुछ लोगों को गंधक रसायन की आवश्यकता भी हो सकती है।
चोट के निशान के उपचार के लिए कुमकुमादि तेल
कुमकुमादि तेल चोट के निशान को हल्का कर देता है और साथ में त्वचा की रंगत को भी सुधारता है। इसे आमतौर पर मुहांसे के निशान के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। तेल त्वचा के माध्यम से प्रवेश करता है और त्वचा की सूजन को कम कर देता है। प्रारंभिक चरणों में, यह अच्छे परिणाम प्रदान करता है। प्रारंभिक चरणों में, यह अच्छे परिणाम प्रदान करता है। मुहांसों के ठीक होने के तुरंत बाद की स्थिति ही प्रारंभिक चरण है। इसका उपयोग निशान को रोकने के लिए मुँहासे पर भी किया जा सकता है। बाद के चरणों में, यह मुँहासे के निशान को हल्का करने के लिए भी प्रभावी है। इसको लगाने के साथ साथ, चोट के निशान के लिए यष्टिमधु (लिकोरिस) के साथ आमलकी रसायन भी लाभदायक है।
धब्बों के उपचार में कुमकुमादि तेल लाभदायक
कुमकुमादि तेल त्वचा को मलिनकिरण (डिसकोलोरेसन) से बचाता है। हार्मोनल असंतुलन, धूप के कारण, आहार की बुरी आदतों, उम्र बढ़ने आदि से धब्बे हो सकते हैं। धब्बों को हल्का करने के लिए और त्वचा के प्राकृतिक रंग को बहाल करने के लिए कुमकुमादि तेल सहायता करता है। आयुर्वेद के अनुसार, अधिक वात और पित्त दोष के कारण धब्बे हो सकते हैं। इसलिए, इन अंतर्निहित दोषों के उपचार के लिए यष्टिमधु (लिकोरिस) के साथ आमलकी रसायन का उपयोग सहायक होगा। हमारे नैदानिक अनुभव में, इस संयोजन के साथ हमें लगभग 60 से 70 प्रतिशत लोगों में अच्छा परिणाम मिला। इस संयोजन के परिणामस्वरूप ज्यादातर मामलों में 3 से 6 महीनों में ये धब्बे गायब हो सकते हैं।
त्वरित चमकदार प्रभाव के लिए बादाम तेल के साथ कुमकुमादि तेल
हम कुमकुमादि तेल का उपयोग समान अनुपात में बादाम तेल (बादाम रोगन शिरीन) के साथ मिलाकर करते हैं। यह संयोजन त्वचा की चमक को बढ़ाने के लिए तत्काल परिणाम देता है। यह संयोजन धब्बों, हाइपरपिगमेंटेशन, त्वचा विकार और चोट के निशान के मामलों में प्रभावी पाया गया है।
ज्यादातर मामलों में, तत्काल चमक का प्रभाव देखा जा सकता है। इसका नियमित अनुप्रयोग त्वचा को उज्ज्वल बनाता है।
नोट: कभी-कभी, कुमकुमादि तेल से विशेष रूप से हाइपरपिगमेंटेशन, धब्बों, और चोट के निशान में थोड़ा सुधार देखा जाता है। ऐसे मामलों में, ज्यादातर लोगों को आंतरिक उपचार की आवश्यकता होती है। ज्यादातर मामलों में, यष्टिमधु (लिकोरिस) के साथ अमलाकी रसायन उपयोगी होता है। आंवला मुरुबा भी उपयोगी होता है।
कुमकुमादि तेल के साथ नस्य
अष्टांग हृदयम में कुमकुमादि तेल के साथ नासिक प्रशासन (आयुर्वेद में नस्य कहा जाता है) अनुशंसित है। कुमकुमादि तेल की 2 से 4 बूंदों को प्रत्येक नथुने में डाला जाता है। हाइपरपिगमेंटेशन, धब्बों, काले निशान और झुर्रियां से ग्रसित लोग स्थानीय अनुप्रयोग के अतिरिक्त इस प्रकार इस तेल का अधिकतम परिणाम प्राप्त करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। यह आँखों के नीचे काले घेरे और समय से पहले सफ़ेद हो रहे बालों के लिए भी लाभदायक है।
कुमकुमादि तेल का उपयोग करने के लिए दिशा-निर्देश
कुमकुमादि तेल को चेहरे पर लगाया जाता है।
- अपना हाथ धो लें और अपने चेहरे या त्वचा को साफ करें।
- कुमकुमादि तेल की कुछ बूँदें अपने हाथों में लें और चेहरे पर इस तेल को लगाएं या प्रभावित भागों की त्वचा पर लगायें।
- कम से कम 5 से 10 मिनट तक उंगलियों के साथ एक सौम्य मालिश करें। कोमल मालिश कुमकुमादि तेल के अवशोषण को बढ़ाती है।
नोट: त्वचा को धोने से कुमकुमादि तेल का प्रभाव कम हो जाता है, इसलिए यह सिफारिश की जाती है कि इसे लगाने के बाद कम से कम 3 घंटे के लिए छोड़ दें। तैलीय त्वचा वाले लोगों को इसे कम से कम 1 घंटे के लिए लगे रहने देना चाहिए और फिर वे अपने चेहरे को धो सकते हैं। शुष्क त्वचा वाले लोगों को कम से कम 3 घंटे तक अपना चेहरा नहीं धोना चाहिए। अधिक उपयोगी प्रभावों के लिए वे इसे सोने से पहले लगा सकते हैं और रात भर के लिए इसे छोड़ सकते हैं। धब्बों, चोट के निशान, हाइपरपिगमेंटेशन में, इसे सोने से पहले लगाना चाहिए और रात भर के लिए छोड़ देना चाहिए।
सुरक्षा प्रोफाइल
कुमकुमादि तेल का बाहरी अनुप्रयोग काफी सुरक्षित हैं। कुमकुमादि तेल शुष्क त्वचा वाले लोगों के लिए बहुत लाभदायक है। आपको नाक के आसवन से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
कुमकुमादि तेल दुष्प्रभाव
आम तौर पर, कुमकुमादि तेल का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। हालाँकि, यह कुछ तैलीय प्रभाव पैदा करता है, जो तैलीय त्वचा वाले लोगों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है।
सावधानी
तैलीय त्वचा: तैलीय त्वचा वाले व्यक्तियों को चेहरे से अतिरिक्त तेल निकालने के लिए इसे लगाने के एक घंटे के बाद अपना चेहरा धोना चाहिए। तैलीय त्वचा वाले व्यक्ति कुमकुमादि लेप (Kumkumadi Lepam) का उपयोग कर सकते हैं, जिसे बिना तेल मिलाये गुलाब जल मिलाकर एक पेस्ट बना लिया जाता है।
संदर्भ
- Kumkumadi Tailam (Kumkumadi Oil) – AYURTIMES.COM