भस्म एवं पिष्टी

स्वर्ण माक्षिक भस्म के लाभ, औषधीय प्रयोग, मात्रा एवं दुष्प्रभाव

स्वर्ण माक्षिक भस्म (Swarna Makshik Bhasma in Hindi) में लोहा और तांबा जैसे पोषक तत्व शामिल हैं। ये पोषक तत्व शरीर में कई जैविक कार्यों के लिए आवश्यक हैं। लोहा और तांबा दोनों लाल रक्त कोशिकाओं (एरिथ्रोसाइट्स) को बनाने के लिए आवश्यक हैं। तांबा शरीर में लोहे के अवशोषण में मदद करता है और लोहा हीमोग्लोबिन के गठन के लिए आवश्यक है।

स्वर्ण माक्षिक भस्म एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसमें तांबे और लोहे के सभी पोषण लाभ उपस्थित हैं। इसके अलावा यह रक्ताल्पता, पीलिया, अनिद्रा, जीर्ण हल्का ज्वर, आँखों में जलन, सीने में जलन, बार बार पेशाब करने की इच्छा, रक्ततस्राव बवासीर, मतली, उल्टी, तेज सिरदर्द या जलन का एहसास या गर्मी, खुजली, श्वेतप्रदर, और अन्य पेट के रोग के उपचार में चिकित्सीय रूप से भी महत्वपूर्ण है।

Contents

घटक द्रव्य (संरचना)

स्वर्ण माक्षिक भस्म का प्राथमिक घटक स्वर्ण माक्षिक है। इसे कुल्थी के काढ़े, अरंडी के तेल और छाछ में संसाधित किया जाता है और फिर धूप में सुखाकर, उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है।

रासायनिक संरचना

स्वर्ण माक्षिक मुख्य रूप से निम्नलिखित तत्वों से बना है:

  1. तांबा
  2. लोहा
  3. गंधक

अपक्व स्वर्ण माक्षिक का रासायनिक सूत्र CuFeS2 है।

एक्स-रे डिफ्केक्शन (XRD) के विश्लेषण के अनुसार निर्मित स्वर्ण माक्षिक भस्म में शामिल है:

रासायनिक नाम रासायनिक सूत्र
लोहे का फेरस ऑक्साइड Fe2O3
आयरन (III) सल्फाइड (फेरिक सल्फाइड) FeS2
कॉपर सल्फाइड CuS
सिलिकॉन डाइऑक्साइड SiO2

औषधीय गुण

स्वर्ण माक्षिक भस्म में निम्नलिखित औषधीय गुण हैं।

  • रक्तकणरंजक (हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाता है)
  • हेमेटोजेनिक (लाल रक्त कोशिकाओं के गठन में मदद करता है)
  • सूजन नाशक
  • अम्लत्वनाशक
  • कृमिनाशक
  • अवसादरोधी
  • उच्चरक्तचापरोधी
  • कण्डूरोधी
  • व्रण नाशक
  • ज्वरनाशक

आयुर्वेदिक गुण

रस मधुर, तिक्त और कषाय
गुण लघु
वीर्य शीत
विपाक मधुर
दोष कर्म (विकारों पर प्रभाव) तीनों दोषों (त्रिदोष) को शांत करता है, लेकिन यह कफ दोष (Kapha Dosha) की अपेक्षा पित्त दोष (Pitta Dosha) में अधिक लाभदायक है।
चिकित्सीय प्रभाव  रसायन और वृष्य
धातु प्रभाव रस, रक्त और मज्जा
अंगों के लिए लाभदायक उदर, यकृत, आंत, हृदय, वृषण, मस्तिष्क

चिकित्सीय संकेत

स्वर्ण माक्षिक भस्म स्वास्थ्य की निम्नलिखित स्थितियों में सहायक है।

ह्रदय और रक्त

  • रक्ताल्पता
  • घबराहट
  • उच्च रक्त चाप

मन और मस्तिष्क

  • अनिद्रा
  • तेज दर्द या जलन या गर्मी के साथ सिरदर्द
  • व्यग्रता
  • अवसाद

पाचन स्वास्थ्य

  • मुंह में खट्टे स्वाद के साथ अति अम्लता
  • जीर्ण जठरशोथ
  • सीने में जलन
  • हेपेटाइटिस (यकृतशोथ)
  • पीलिया
  • मुँह में छाले
  • जी मिचलाना
  • उल्टी
  • व्रण
  • सव्रण बृहदांत्रशोथ

महिला स्वास्थ्य

  • प्रदर
  • झिल्लीदार कष्टार्तव

अन्य

  • चक्कर आना
  • गर्मी लगना
  • जलन का अहसास
  • हल्का जीर्ण ज्वर
  • आँखों में जलन
  • बार बार पेशाब करने पर जलन
  • रक्ततस्राव बवासीर
  • खुजली

मात्रा और सेवन विधि

औषधीय मात्रा (Dosage)

शिशु और बच्चे प्रति किलो वजन का 2.5 मिलीग्राम, लेकिन अधिकतम खुराक प्रति दिन 250 मिलीग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।
वयस्क (19 से 60 वर्ष) 125 से 375 मिलीग्राम
वृद्धावस्था (60 वर्ष से ऊपर) 125 से 375 मिलीग्राम
गर्भावस्था 125 मिलीग्राम
स्तनपान 125 से 375 मिलीग्राम
अधिकतम संभावित खुराक प्रति दिन 750 मिलीग्राम (विभाजित मात्रा में)

सेवन विधि

दवा लेने का उचित समय (कब लें?) खाना खाने के तुरंत बाद लें
दिन में कितनी बार लें? 2 बार – सुबह और शाम
अनुपान (किस के साथ लें?)  सह-औषध के साथ
उपचार की अवधि (कितने समय तक लें) चिकित्सक की सलाह लें

सर्वश्रेष्ठ सहायक

रोगों के अनुसार स्वर्ण माक्षिक भस्म के लिए सबसे उपयुक्त सर्वश्रेष्ठ सहायक निम्नानुसार हैं:

स्वास्थ्य की स्थिति   सह-औषधि
चेचक कांचनार काढ़ा
रक्ताल्पता शहद
पीलिया पिप्पली + शहद या मूली का रस
स्वप्नदोष मिश्री
जीर्ण ज्वर सितोपलादि चूर्ण या मिश्री + शहद
मतली और उल्टी जीरा, मिश्री + शहद
अनिद्रा आमला मुरब्बा
कमजोरी और दुर्बलता गाय का दूध

स्वर्ण माक्षिक भस्म के आयुर्वेदिक योग

  • ताप्यादी लोह

दुष्प्रभाव

स्वर्ण माक्षिक भस्म को संस्तुत खुराक में लेने पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पाया गया है।

सूचना स्रोत (Original Article)

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