भस्म एवं पिष्टी

शंख भस्म के लाभ, औषधीय प्रयोग, मात्रा एवं दुष्प्रभाव

शंख भस्म (Shankh Bhasma) शंख (conch shell) से बनाई गयी एक आयुर्वेदिक औषधि है। आयुर्वेद में, शंख भस्म का उपयोग दस्त (पतले दस्त), मुहांसे, फुंसियां, यकृत वृद्धि, प्लीहा वृद्धि, पेट दर्द, अपच, भूख ना लगना, सीने में जलन, अम्ल प्रतिवाह, उदर विस्तार, शीघ्रकोपी आंत्र लक्षणों के उपचार में किया जाता है। इसके कई अन्य स्वास्थ्य लाभ और औषधीय उपयोग भी हैं।

Contents

मूलभूत जानकारी

प्रयुक्त कच्चा माल शंख
औषधि का प्रकार भस्म
आयुर्वेदिक नाम शंख भस्म
अंग्रेजी नाम Chank, Turbinella Pyrum, Chank Shell, Sacred Chank, Divine Conch
शंख के अन्य नाम Shankh Calx, Chank Calx, Shankh Ash, Conch Shell Ash
रासायनिक संरचना कैल्शियम कार्बोनेट

घटक द्रव्य (संरचना)

  1. शुद्ध शंख
  2. नींबू का रस

रासायनिक संरचना

कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) 92 से 95% *
जैविक पदार्थ (कोंचिओलिन) 5% *
जल (H2O) 1 से 2% *
अन्य नगण्य *

* यह एक अनुमान है। रासायनिक संरचना प्रजातियों और शंख शैल के संग्रह स्थान के अनुसार भिन्न हो सकती है।

औषधीय गुण

शंख भस्म में निम्नलिखित उपचार के गुण होते हैं।

  • अम्लत्वनाशक
  • मल बाँधने वाला घटक
  • डायरिया विरोधी
  • क्षुधा उत्तेजक और पाचन उत्तेजक
  • आक्षेपनाशक
  • दाह नाशक (इसका प्रभाव यकृत, तिल्ली और आंतों पर दिखाई देता है)
  • कैल्शियम पूरक (अकेले उपयोग नहीं किया जाता है)
  • प्रतिउपचायक
  • वमनरोधी

आयुर्वेदिक गुण

रस (स्वाद) कटु
गुण (मुख्य गुणवत्ता) लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण
वीर्य ऊष्ण *
विपाक कटु
चिकित्सीय प्रभाव क्षार
दोष कर्म (विकारों पर प्रभाव) तीनों दोषों (TRIDOSHA) को शांत करता है – मुख्यतः कफ (KAPHA)
अंगों पर प्रभाव पेट में सभी अंग

* उपरोक्त आयुर्वेदिक गुणों के अनुसार, आपके पास एक प्रश्न हो सकता है कि यह ऊष्ण होने पर भी अम्लता में क्यों कम करता है। आयुर्वेदिक गुणों के अनुसार, यह वात और कफ विकारों को शांत करता है,  लेकिन इसके अलावा, यह क्षार भी है, जो हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को बेअसर करता है और अम्लता से राहत प्रदान करता है। बिना पचे भोजन के कण AMA नामक विषाक्त पदार्थों में विक्सित हो जाते हैं, जो अम्लता के लिए उत्तरदायी होते हैं। शंख भस्म भोजन को पचाने और AMA को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है।

चिकित्सीय संकेत

शंख भस्म (Shankh Bhasma) निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों में मददगार है।

  • अति अम्लता
  • भूख में कमी
  • अपच
  • दस्त
  • यकृत वृद्धि
  • प्लीहा वृद्धि
  • वायु या पेट का फूलना
  • सूजन
  • उदर विस्तार
  • शीघ्रकोपी आंत्र सिंड्रोम
  • मुँहासे
  • हिचकी

लाभ और औषधीय उपयोग

शंख भस्म का प्रभाव यकृत, प्लीहा, पित्ताशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, बृहदान्त्र, आंखों और चेहरे सहित पेट पर दिखाई देता है।

दस्त या अतिसार

आयुर्वेद, दस्त को रोकने के लिए शुरू में किसी भी औषधि का उपयोग करने का सुझाव नहीं देता है। इसलिए, जब रोगी को कम से कम छह दस्त हो गए हों या दस्त सामान्य से गंभीर हो जाए तब शंख भस्म का उपयोग करना चाहिए। शंख भस्म उचित लाभ देता है जब रोगी को कम मात्रा में लगातार मल हो रहा हो, पेट में गंभीर ऐंठन हो और उदरीय वायु हो।

अपच, सीने में जलन और अम्ल प्रतिवाह

शंख भस्म एक उत्तम अम्ल निष्क्रियक है, जो पेट में अति अम्लता को कम करता है और अम्ल उत्पादन को संशोधित करता है।

पेट में अम्ल को निष्क्रिय करने के अतिरिक्त, यह विषाक्त पदार्थों को भी समाप्त करता है, जो सीने में जलन या अपच के साथ जुड़े हो सकते हैं।

शंख भस्म अधिक प्रभावी होता है जब रोगी को उदर विस्तार, पेट में भारीपन, वायु, खाये हुए भोजन के कारण मतली या गले या मुँह में खट्टेपन और जलन का एहसास हो।

पेट में ऐंठन या दर्द

शंख भस्म पेट की मांसपेशियों पर शक्तिशाली आक्षेपनाशक क्रिया करता है। यह दस्त या किसी अन्य अंतर्निहित कारण से होने वाली पेट की ऐंठन को कम करता है। हालांकि, ऐंठन वाले कष्टार्तव में प्रवाल पिष्टी और सूतशेखर रस के साथ शंख भस्म अच्छा काम करता है।

मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)

शंख भस्म (Shankh Bhasma) पेट के रोगों में अन्य औषधियों के साथ प्रयोग किये जाने पर 125 मिलीग्राम के साथ प्रभावी है।

औषधीय मात्रा (Dosage)

शिशु 10 से 30 मिलीग्राम
बच्चे (5 वर्ष की आयु से ऊपर) 60 मिलीग्राम
वयस्क 125 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम
अधिकतम संभावित खुराक 1000 मिलीग्राम (विभाजित मात्रा में)

सेवन विधि

दवा लेने का उचित समय (कब लें?) खाना खाने के तुरंत बाद लें
दिन में कितनी बार लें? 2 बार – सुबह और शाम
अनुपान (किस के साथ लें?) शहद के साथ
उपचार की अवधि (कितने समय तक लें) चिकित्सक की सलाह लें

दुष्प्रभाव

शंख भस्म के कारण जीभ पर विदर (पतली दरारें या घाव) हो जाते हैं यदि इसे बिना शहद या अन्य औषधि मिलाये जीभ पर रखा जाए। दूसरे, यदि इसको अकेले उपयोग किया जाए तो यह कुछ रोगियों में कब्ज भी पैदा कर सकता है।

इसलिए, शंख भस्म का उपयोग करने के लिए सह-औषध बहुत महत्त्वपूर्ण है। इससे अधिक लाभ लेने और दुष्प्रभाव रोकने के लिए सबसे उपयुक्त सहायक और संयोजन का उपयोग किया जाना चाहिए।

गर्भावस्था और स्तनपान

गर्भावस्था के दौरान जब गर्भवती महिला को कब्ज हो तो शंख भस्म का उपयोग नहीं करना चाहिए। स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए शंख भस्म संभवतः सुरक्षित है।

विपरीत संकेत (Contraindications)

शंख भस्म का मुख्य विपरीत संकेत कब्ज है। इसका बाहरी उपयोग बालों को निकालने और कील मुहांसों का उपचार करने के लिए किया जाता है। ऐसे मामलों में, शंख भस्म के बाहरी उपयोग का विपरीत संकेत दरारें, कटी या फटी त्वचा है।

सूचना स्रोत (Original Article)

  1. Shankh Bhasma Benefits, Uses, Dosage & Side Effects – AYURTIMES.COM

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