दिव्य हृदयामृत वटी (Divya Hridyamrit Vati)
दिव्य हृदयामृत वटी (Divya Hridyamrit Vati) दिल से सम्बंधित रोगो और ह्रदय रोगों के लिए एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है। इसका सेवन मुख्य रूप से ह्रदय सम्बंधित रोगो का उपचार करने के लिए किया जाता हैं। यह औषधि मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करती हैं और दिल से सम्बंधित रोगो की कठिनाईयों को दूर करती हैं। इसमें मौजूद घटक उच्च रक्तचाप को कम करने में भी सहायक हैं और इसके अलावा यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने, हार्ट अटैक जैसे रोग को रोकने और शरीर के अंगो में रक्त की आपूर्ति करने में भी सहायक हैं।
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दिव्य हृदयामृत वटी के घटक द्रव्य (Ingredients)
घटक द्रव्यों के नाम | मात्रा |
अर्जुन छाल – Terminalia Arjuna | 157.61 मिलीग्राम |
निर्गुन्डी – Vitex Negundo | 11 मिलीग्राम |
रासना – Pluchea Lanceolata | 11 मिलीग्राम |
मकोय (काकमाची) – Solanum Nigrum | 11 मिलीग्राम |
गिलोय – Tinospora Cordifolia | 11 मिलीग्राम |
पुनर्नवा – Boerhavia Diffusa | 11 मिलीग्राम |
चित्रक – Plumbago Zeylanica | 11 मिलीग्राम |
नागरमोथा – Cyperus Rotundus | 11 मिलीग्राम |
वायविडंग – Embelia Ribes | 11 मिलीग्राम |
हरीतकी (हरड़ छोटी) – Terminalia Chebula | 11 मिलीग्राम |
अश्वगंधा – Withania Somnifera | 11 मिलीग्राम |
शुद्ध शिलाजीत – Asphaltum | 11 मिलीग्राम |
शुद्ध गुग्गुलु – Commiphora Mukul | 21 मिलीग्राम |
संजयस्व पिष्टी | 0.1 मिलीग्राम |
अकीक पिष्टी | 0.1 मिलीग्राम |
मुक्ता पिष्टी | 0.05 मिलीग्राम |
हीरक भस्म | 0.005 मिलीग्राम |
रजत भस्म | 0.03 मिलीग्राम |
जहरमोहरा पिष्टी | 0.005 मिलीग्राम |
औषधीय कर्म (Medicinal Actions)
- ह्रदय
- रक्तभारशामक
- प्रतिउपचायक (एंटीऑक्सीडेंट)
- रक्त वाहिकाएं में वसा के जमा होने को रोकने
चिकित्सकीय संकेत (Indications)
- हृदय की निर्बलता या कमजोरी
- दिल का दौरा पड़ने की रोकथाम के लिए
- हृदय की मांसपेशियों को ताकत देने के लिए
- हृद्शूल (हृदयार्ति) – Angina Pectoris
- उच्च रक्तचाप
- उच्च कोलेस्ट्रॉल
- दिल की धड़कन कम या ज्यादा होना
- अन्य दिल के रोग
दिव्य हृदयामृत वटी के लाभ एवं प्रयोग
दिव्य हृदयामृत वटी में मौजूद सभी घटकों का ह्रदय पर प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक घटक के प्रभाव को प्रदर्शित करने के लिए यहाँ कुछ महत्वपूर्ण लाभ लिखे हैं।
दिल की बीमारियां
दिव्य हृदयामृत वटी में पायी जाने वाली जड़ी बूटियां जैसे मकोय, हीरक भस्म और रजत भस्म दिल को मजबूत बनाती हैं जिससे ह्रदय की धमनियों के अवरोध दूर होते हैं और इससे दिल सामान्य रूप से काम करना शुरू कर देता हैं और इसी तरह से ही यह औषधि दिल की बिमारियों को दूर करने में मदद करती हैं। इस औषधि के नियमित सेवन से ह्रदय स्वस्थ रहता हैं।
कोलेस्ट्रॉल (cholesterol)
दिव्य हृदयामृत वटी धमनियों के अवरोधो को दूर करती हैं जिससे धमनियों में जमी वसा भी दूर होती हैं और इसके परिणामस्वरूप कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य रहता हैं और लिपिड स्तर भी कम होकर संतुलित होता हैं।
हार्ट अटैक, हृदय शूल (Angina) और ह्रदय के अन्य रोग
दिव्य हृदयामृत वटी ह्रदय की कोशिकाओं को क्रियाशील बना देती हैं और दिव्य हृदयामृत वटी दिल की मांसपेशियों को भी पोषण प्रदान करती है। जिससे दिल के दौरे, हृदय शूल (Angina) और ह्रदय के अन्य रोगो की रोकथाम में सहायता मिलती हैं तथा इससे ह्रदय को भी ताकत मिलती हैं। अगर किन्ही कारणों से किसी का ह्रदय का आपरेशन हुआ हो तो उन्हें रोज़ाना दिव्य हृदयामृत वटी का सेवन करना चाहिए ताकि ह्रदय स्वस्थ रहे। तीब्र और लगातार एनजाइना दर्द से भी राहत मिलती हैं।
उच्च रक्तचाप , रक्त के उचित संचालन, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना
दिव्य हृदयामृत वटी जिन औषधियों से बनी हैं वो शरीर के विभिन्न रोगो को दूर करने के लिए बहुत मददगार हैं और इनका शरीर पर कोई दुर्प्रभाव नही पड़ता जैसे पुनर्नवा जो उच्च रक्तचाप को कम करने में सहायक हैं, अश्वगंधा जो पुरे शरीर में खून का उचित संचालन करने में मदद करता हैं, हरीतकी ऐसी औषधि हैं जो दिल के साथ साथ पाचन की समस्यायों को भी दूर करता हैं और गिलोय जो ह्रदय के साथ साथ पुरे शरीर के लिए उपयोगी एक औषधि हैं।
मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)
दिव्य हृदयामृत वटी की मात्रा आपके स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। दिव्य हृदयामृत वटी की सामान्य खुराक इस प्रकार है:
औषधीय मात्रा (Dosage)
बच्चे | 1 गोली |
वयस्क | 1 से 2 गोली |
आप के स्वास्थ्य अनुकूल हृदयामृत वटी की उचित मात्रा के लिए आप अपने चिकित्सक की सलाह लें।
सेवन विधि
दवा लेने का उचित समय (कब लें?) | सुबह और शाम |
दिन में कितनी बार लें? | 2 बार |
अनुपान (किस के साथ लें?) | गुनगुने पानी या दूध के साथ या अर्जुन क्षीर पाक (Arjuna Ksheer Pak) से |
उपचार की अवधि (कितने समय तक लें) | कम से कम 3 महीने |
दुष्प्रभाव (Side Effects)
यदि हृदयामृत वटी का प्रयोग व सेवन निर्धारित मात्रा (खुराक) में चिकित्सा पर्यवेक्षक के अंतर्गत किया जाए तो इस के कोई दुष्परिणाम नहीं मिलते। अधिक मात्रा में हृदयामृत वटी के साइड इफेक्ट्स की जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है।