आयुर्वेदिक प्रोप्राइटरी मेडिसिन
गिलोय घन वटी (Giloy Ghan Vati in Hindi)
गिलोय घन वटी घटक द्रव्य, उपयोग, लाभ, मात्रा तथा दुष्प्रभाव.
गिलोय घन वटी सभी प्रकार के बुखार में फद्येमंद होती है। खासकर इसका प्रयोग रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने के लिए किया जाता है। चरक संहिता में गिलोय को मेध्य रसायन माना है। रसायन होने के कारण यह बुद्धिवर्धक और आयुवर्धक है।
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इसका प्रयोग चिरकालीन और जीर्ण रोगावस्था में अधिक होता है। और इन रोगों में यह अच्छा प्रभाव डालती है। इसलिए इसको जीर्ण ज्वर अर्थात क्रोनिक फीवर और जीर्ण आमवात या क्रोनिक रहूमटॉइड आर्थराइटिस और वातरक्त या गाउट में दिया जाता है।
संघटक का नाम | हर गोली में है: |
गिलोय (गुडूची) सत्व – Tinospora Cordifolia extract | 500 मिलीग्राम |
गिलोय घन वटी की प्रत्येक गोली में 500 मिलीग्राम गिलोय एक्सट्रेक्ट होता है।
गिलोय घन वटी के औषधीय कर्म
गिलोय घन वटी (Giloy Ghan Vati) में निम्नलिखित चिकित्सीय गुण हैं।
- रोग प्रतिरोधक शक्ति वर्धक – इम्यूनिटी बूस्टर
- एंटी ऑक्सीडेंट (प्रतिउपचायक)
- ज्वरोत्तर दुर्बलता नाशक
- मस्तिष्क बल्य – मस्तिष्क को ताकत देने वाला
- वेदनास्थापन – पीड़ाहर (दर्द निवारक)
- ज्वरनाशक – बुखार में लाभदायक
- शोथहर – सूजन कम करने में सहायक है
- कैंसर विरोधी
- ह्रदय – दिल को ताकत देने वाला
- रक्तवर्धक
- रक्त शोधक
- पाचन – पाचन शक्ति बढाने वाली
- अनुलोमन – पेट से हवा को बाहर निकालने वाला
- आमपाचन – शरीर के टॉक्सिन को नष्ट करने वाली