Ayurveda
फिटनेस के उपाय – स्वस्थ रहने के 20 तरीके
आयुर्वेद के उत्तम टिप्स जो आप को सदा स्वस्थ रहने में सहायक होंगे।
- वात और कफ प्रकृति वाले लोगों को सुबह गुनगुना पानी पीना चाहिए।
- वात और कफ प्रकृति वाले लोग ठंडा पानी कभी ना पीएं।
- पित्त प्रकृति वाले लोगों को सुबह सादा पानी पीना चाहिए।
- शरीर के साथ जबरदस्ती न करें। जितना पानी आप आसानी से पी सकें उतना ही पीएं। अपनी प्यास के अनुसार पानी पीएं।
- धीरे-धीरे और घूंट घूंट भर पानी पीना चाहिए। पानी पीने में जल्दबाजी न करें।
- कफ प्रकृति वाले और मोटे लोग भोजन से आध घंटा पहले एक गिलास गर्म पानी पीएं।
- पित्त प्रकृति वाले लोग भोजन के बीच में घूंट घूंट भर सादा पानी पीएं।
- वात प्रकृति वाले और पतले लोग भोजन के बाद में कम मात्रा गुनगुना पानी पीएं।
- खाना पकाने के बाद 40 मिनट के भीतर भोजन खाएं।
- हर समय ताजा भोजन बनाकर खाएं। बासी भोजन का सेवन न करें।
- खाना चबा चबा कर खाना चाहिए। (भोजन को 32 बार चबाने से लार के साथ भोजन ठीक से मिश्रित हो जाता है और पाचन के लिए अच्छा होता है।)
- कफ प्रकृति वाले और मोटे लोग सदा भूख रख कर भोजन खाएं। अर्थात कम मात्रा में भोजन ग्रहण करें।
- पित्त और वात प्रकृति वाले लोग अपनी भूख के अनुसार भोजन खाएं।
- सुबह का भोजन मध्यम, दोपहर का भोजन ज्यादा और रात का भोजन बिलकुल कम मात्रा में होना चाहिए।
- सूर्यास्त होने से पहले रात्रि का भोजन ग्रहण करें।
- सभी लोग कच्ची सब्जियां, फल, सलाद अधिक मात्रा में खाएं। ख़ास तौर पर यदि आप शारीरिक काम कम करते हैं। तो यह आप के लिए अति महत्वपूर्ण है।
- हर रोज कम से कम तीन प्रकार की अलग अलग फलों का सेवन अवश्य करें। अपने बच्चों को भी फल खाने की आदत डालें और बाजारी भोजन खाने से रोंके।
- पौधों पर आधारित भोजन आपके खाने में 75% तक होना चाहिए।
- जैसा कुदरत में भोजन मिलता है उसे उसी की कुदरती अवस्था में कचा ही खाना अधिक पसंद करें। पर जानवरों से मिलने वाले भोजन को पका पर खाना अच्छा होता है।
- नाश्ते के बाद काम शुरू करें। दोपहर के भोजन के बाद कुछ देर आराम करें। रात के खाने के बाद कुछ कदम चलें।