दिव्य धारा
दिव्य धारा (Divya Dhara) सिर के दर्द, दांत के दर्द, पेट के दर्द इत्यादि को दूर करने के लिए एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है। इस औषधि में दर्द को कम करने, सुन्न करने और सूजन को कम करने के सारे गुण हैं। यह साँस संबंधी रोगों की रोकथाम में भी सहायक हैं और अस्थमा को भी दूर करती हैं। इस औषधि का मुख्य घटक पुदीना हैं इसीलिए यह पेट के लिए बेहद लाभकारी हैं और गैस, उलटी, पेट के भारीपन, अम्लता और पेट के अन्य रोगों को दूर करने में भी बेहद उपयोगी हैं। जुकाम और खासी में भी इसका प्रयोग करने से लाभ मिलता हैं। दिव्य धारा पूरी तरह से प्राकृतिक हैं और इसका कोई दुष्प्रभाव नही हैं।
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दिव्य धारा के घटक
दिव्य धारा निम्नलिखित घटको को मिला कर बनाई गयी औषधि हैं:
घटक द्रव्य | मात्रा |
पिपरमिंट आयल | 1.00 मिलीलीटर |
देसी कपूर | 1.00 ग्राम |
अजवायन सत | 1.00 ग्राम |
लौंग तेल | 0.50 मिलीलीटर |
नीलगिरी तेल | 1.50 मिलीलीटर |
दिव्य धारा के लाभ एवं प्रयोग
दिव्य धारा में सभी घटकों का सिर दर्द,खाँसी या जुकाम पर प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक घटक के प्रभाव का प्रदर्शन करने के लिए यहाँ कुछ महत्वपूर्ण लाभ लिखे हैं।
शरीर के विभिन्न दर्द को दूर करने के लिए
दिव्य धारा शरीर के विभिन्न दर्द जैसे सिर का दर्द, दांत का दर्द, पेट का दर्द को दूर करने में सहायक हैं, इसके अलावा यह नाक से खून निकलने की समस्या और त्वचा की किसी भी तरह की समस्या जैसे की संक्रमण से यह राहत देती हैं। यह औषधि माइग्रेन के लिए भी लाभदायक हैं।
पेट की तकलीफो में लाभदायक
दिव्य धारा का मुख्य घटक पुदीना हैं इसीलिए यह पेट से सम्बंधित सभी रोगों को रोकथाम के लिए बहुत असरदार हैं। इसके प्रयोग से पेट दर्द , कब्ज ,पेट का भारीपन, अम्लता, गैस में राहत मिलती हैं और पाचन क्रिया सही रहती हैं। यह पाचन शक्ति को बढाती हैं और अपच नही होने देती। दिव्य धारा का प्रयोग बाहरी तरीके से ही किया जाता हैं।
जुकाम, सर्दी और खांसी में लाभकारी
दिव्य धारा सर्दी जुकाम और खाँसी में भी राहत देती हैं। जुकाम में होने वाली समस्याओ जैसे सिर दर्द, गले की खराश और दर्द, बहती हुई नाक, संक्रमण, आँखों में जलन आदि को दूर करने में भी सहायक हैं। मांसपेशियों के दर्द में भी दिव्य धारा के प्रयोग से लाभ मिलता हैं और मासपेशियों की अकडन में भी इसका प्रयोग किया जा सकता हैं।
हैजा, अस्थमा, दमा और तनाव जैसे रोगों में भी सहायक
दिव्य धारा हैजा और पुराने अस्थमा जैसे रोगों की रोकथाम के लिए असरदार हैं। दमा या साँस लेने में मुश्किल होने की समस्या में भी इस औषधि का प्रयोग किया जा सकता हैं। तनाव और दिमागी कमजोरी की स्तिथि में भी दिव्य धारा के इस्तेमाल से अच्छे परिणाम मिलते हैं।
दिव्य धारा के अन्य घटको का प्रभाव
दिव्य धारा में मौजूद कपूर सिर दर्द, गले के संक्रमण और दर्द को दूर करने के लिए सहायक हैं। लौंग का प्रयोग शरीर के जिस हिस्से में प्रयोग किया जाता हैं, उस जगह के रक्तसंचार में सहायक हैं इसके अलावा दांत दर्द, गठिया और जलन को दूर करने में सहायक हैं। नीलगिरी का तेल और अजवायन दर्द को दूर करने में लाभदायक हैं।