आयुर्वेदिक प्रकृति – आयुर्वेदिक शारीरिक प्रकार
आयुर्वेद में शरीर को तीनों दोषों के अनुपात द्वारा निर्मित माना जाता है, जिसे कि आयुर्वेदिक प्रकृति (आयुर्वेदिक शारीरिक प्रकार) भी कहा जाता है। आयुर्वेद दोष की प्रबलता के आधार पर शारीरिक प्रकार को वर्गीकृत करता है। दोष तीन प्रकार के होते हैं, जिन्हें त्रिदोष के रूप में जाना जाता है – वात, पित्त और कफ। इन तीन दोषों के आधार पर, एक विशिष्ट दोष की प्रबलता के अनुसार शरीर के सात प्रकार के गठन होते हैं।
- वातज प्रकृति
- पित्तज प्रकृति
- कफज प्रकृति
- समज प्रकृति (जिसे वात पित्त कफ सामान हो उसे सम प्रकृति कहा जाता है)
- वातपित्तज प्रकृति
- पित्तकफज प्रकृति
- वातकफज प्रकृति
शारीरिक प्रकार का निर्धारण और गठन डिंब (female gamete) और शुक्राणुजन (male gamete) में दोष की प्रबलता पर निर्भर करता है। जब शुक्राणु डिंब से निषेचन करता है और निषेचित अंडे बनाता है, तब आपका अनूठा शारीरिक प्रकार निर्धारित हो जाता है। इसलिए, आप अपने शारीरिक प्रकार को बदल नहीं सकते हैं, लेकिन आप अपने आप को स्वस्थ और बीमारियों से मुक्त रखने के लिए विशिष्ट खाद्य पदार्थ और जीवनशैली के साथ इसे प्रबंधित कर सकते हैं।
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वातज प्रकृति
शारीरिक गठन में वात दोष की प्रबलता को वात शारीरिक प्रकार कहा जाता है। वात शारीरिक प्रकार वाले लोगों की शुष्क त्वचा, सूखे बाल, कम बाल, पतला शरीर होता है। उनके नाखून और आंखें सूखी दिखाई देती हैं। उनकी आवाज कमजोर और असंगत होती है। उनके हाथ, पैर या पूरा शरीर ठंडा होता है। चलते समय उनके जोड़ों में से आवाज आती है। वे आम तौर पर कमजोर होते हैं और कभी भी एक बात पर नहीं टिकते। इसलिए, वे आसानी से नौकरी या काम छोड़ देते हैं। उनकी भूख अनियमित होती है।
वे आसानी से थक जाते हैं। वे जल्दी से परेशान और भावनात्मक रूप से अशांत हो सकते हैं। उनको नींद कम होती है और वे सोते समय कई बार जागते हैं। उनमें हिचकिचाहट वाला अंतःकरण, विवेक की कमी, मस्तिष्क पर कम नियंत्रण और कम सहिष्णुता क्षमता होती है। वे कभी भी किसी को माफ नहीं करते, वे आक्रामक, कभी-कभी विनाशकारी और हिंसक भी होते हैं। उनकी झगड़ालू प्रकृति भी हो सकती है, इसलिए उनके मित्र कम होते हैं। उनके समझने की क्षमता त्वरित होती है, परन्तु स्मृति कमजोर होती है।
अधिक पढ़े: वात प्रकृति के शारीरिक और मानसिक लक्षण एवं सामान्य समस्याऐं
पित्तज प्रकृति
शारीरिक गठन में पित्त दोष की प्रबलता को पित्त शारीरिक प्रकार बताया जाता है। पित्त शारीरिक प्रकार वाले लोगों में उच्च चयापचय दर होती है और कुछ घंटों बाद ही उन्हें भूख लगने लगती है। उन्हें प्यास अधिक लगती है और उनकी क्षुधा अधिक होती है। उनका शरीर नाजुक, गठन मध्यम और शारीरिक शक्ति मध्यम होती- है। उनकी दृष्टि भेदने वाली और आवाज स्पष्ट एवम तेज होती है। उनकी त्वचा लाल या पीली रंगत लिए हुए गोरी होती है। त्वचा नरम, पतली और गर्म होती है। उन्हें त्वचा पर आसानी से झुर्रियां, मस्से और फोड़े-फुंसी हो जाते हैं। नाखून गुलाबी होते हैं। उनको अत्यधिक पसीना आता है और पसीने में दुर्गन्ध भी होती है।
पित्त शारीरिक प्रकार वाले लोग बुद्धिमान, अच्छी स्मरणशक्ति और मध्यम ज्ञान वाले होते हैं और उन्हें मस्तिष्क पर नियंत्रण होता है। वे आक्रामक लोगों के लिए आक्रामक होते हैं लेकिन कमजोर लोगों को सांत्वना देते हैं। उनके मित्र कम होते हैं। इन लोगों को बहस में जीतना मुश्किल है। वे बहुत तार्किक होते हैं और तर्क देने में अच्छे होते हैं। वे उत्साहित हो जाते हैं और जल्दी से गुस्सा हो जाते हैं। वे साहसी और निडर प्रकृति के होते हैं।
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कफज प्रकृति
शारीरिक गठन में कफ दोष की प्रबलता को कफ शारीरिक प्रकार कहा जाता है। कफ शारीरिक प्रकार वाले व्यक्तियों की काया सुन्दर, शारीरिक शक्ति अधिक, शरीर सुगठित, सुखद व्यक्तित्व, सुखद और गंभीर आवाज, गोरा रंग, पनीले और सफेद श्वेतपटल वाले बड़े नेत्र होते हैं।
उनको मस्तिष्क पर अच्छा नियंत्रण होता है। वे सहनशील, दयालु प्रकृति और बहुत धार्मिक होते हैं। वे गैर-आक्रामक, शांत और शांति पसंद होते हैं। वे समझने में काफी समय लेते हैं, लेकिन उनकी स्मृति बहुत अच्छी होती है। उनके पास अच्छी बुद्धिमत्ता, स्थिर विचार और दृढ़ संकल्प होते है।
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सम प्रकृति (सम वात पित्त कफ प्रकृति)
सम शारीरिक प्रकार को सम वात पित्त कफ प्रकृति भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का आयुर्वेदिक शारीरिक प्रकार है जिसमें शरीर में प्रत्येक दोष समान अनुपात में होता है। इसे स्वास्थ्यप्रद और उत्तम शारीरिक प्रकार माना जाता है, लेकिन यह शरीर का बहुत दुर्लभ प्रकार है। यह लगभग अनुपस्थित होता है।
सम शारीरिक प्रकार वाले व्यक्तियों में संतुलित शारीरिक गठन होता है, जिसे एक आदर्श शारीरिक गठन माना जाता है। उनका शरीर सदैव रोग-मुक्त और स्वस्थ रहता है। शरीर में तीनों दोषों का संतुलन विशिष्ट दोष के गुणों के खराब प्रभावों को बेअसर करने में मदद करता है।
सम प्रकृति वाले व्यक्ति ऊर्जावान, मजबूत, बहुत ही आकर्षक और सुंदर होते हैं। उनके पास सुगठित और मजबूत शरीर, साफ़ और गूंजती हुई आवाज, चमकदार आँखें, और मनभावन चेहरा होता है।
सम प्रकृति वाले व्यक्ति का उनके मस्तिष्क पर आदर्श नियंत्रण होता है और उनमें क्षमा प्रकृति और उत्कृष्ट सहिष्णुता होती है। उनका अहिंसा में बहुत विश्वास होता है और वे बहुत धार्मिक होते हैं। उनके मित्र बहुत होते हैं। वे बुद्धिमान और प्रतिभाशाली होते हैं और उनके विचार स्थिर होते हैं।
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वात पित्तज प्रकृति
वात पित्त शारीरिक प्रकार एक प्रकार का शारीरिक गठन है जिसमें वात दोष और पित्त दोष दोनों शरीर में प्रबल होते हैं और कफ दोष को दबाते हैं। वात पित्त दोष शारीरिक प्रकार वाले लोगों में कुछ वात के और कुछ पित्त के लक्षण होते हैं।
कफ पित्तज प्रकृति
कफ पित्त शारीरिक प्रकार एक प्रकार का शारीरिक गठन है जिसमें कफ दोष और पित्त दोष दोनों शरीर में प्रबल होते हैं और वात दोष को दबाते हैं। कफ पित्त दोष शारीरिक प्रकार वाले लोगों में कुछ कफ के और कुछ पित्त के लक्षण होते हैं।
वात कफज प्रकृति
वात कफ शारीरिक प्रकार एक प्रकार का शारीरिक गठन है जिसमें कफ दोष और वात दोष दोनों शरीर में प्रबल होते हैं और पित्त दोष को दबाते हैं। वात कफ दोष शारीरिक प्रकार वाले लोगों में कुछ कफ के और कुछ वात के लक्षण होते हैं।
अपने शरीर के प्रकार को कैसे जानें
आयुर्वेदिक शारीरिक प्रकार प्रश्नोत्तरी (दोष प्रश्नोत्तरी) आपके शरीर में एक विशेष दोष की प्रबलता निर्धारित करने में आपकी सहायता कर सकती है। यह दोषों की प्रबलता के अनुसार आयुर्वेदिक आहार को निर्धारित करने में सहायक होता है जो आपको अपने शरीर को स्वस्थ और रोगों से मुक्त रखने में मदद कर सकता है।
Quiz (दोष प्रश्नोत्तरी)
आप यहां अपने शारीरिक प्रकार की जांच कर सकते हैं:
सूचना स्रोत (Original Article)
- Ayurvedic Body Type (Ayurvedic Prakriti) – AYURTIMES.COM