मेध्य रसायन और मेध्य गुण वाले अन्य द्रव्य
मेध्य रसायन (Medhya Rasayana) शब्द संस्कृत के दो शब्दों के मेल से बना है – मेध्य और रसायन। मेध्य का अर्थ है बुद्धि, अनुभूति, बोध या संज्ञान। आयुर्वेद में रसायन वह होता है जो स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और रोगों के होने की संभावना को कम कर देता है।
मेध्य रसायन का अर्थ है जो मेधावर्धक, स्मरण शक्ति वर्धक, मस्तिष्क बल्य है और मानसिक रोगों को होने से रोके और मानसिक रोगों के उपचार कर्म में सहायता करे।
मेध्य रसायन एक तरह का बुद्धि वर्धक रसायन है अर्थात मेघा (बुद्धि) को बढ़ाने वाला द्रव्य मेध्य रसायन कहलाता है।
यह औषधि भूलने, शारीरिक और मानसिक कमजोरी, तनाव, मानसिक रोग और मस्तिष्क संबंधी समस्याओं के उपचार में उपयोगी है। मानसिक विकारों में आम तौर पर याददाश्त में कमी, संज्ञानात्मक विकार, बिगड़ी मानसिक स्थिति आदि शामिल हैं। मेध्य रसायन को बौद्धिक विकास में लाभप्रद माना जाता है।
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मेध्य रसायन के घटक
आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में कई औषधियों और पौधों का उपयोग किया गया है। मेध्य रसायन के घटक इस प्रकार हैं। चरक संहिता में ४ द्रव्यों के मेध्य रसायन का नाम दिया गया हैं।
औषधीय पौधे | प्रयोगय अंग |
मंडूकपर्णी | रस (जूस) |
यष्टिमधु (मुलेठी) | मूल चूर्ण |
गुडूची (गिलोय) | शाखाओं का रस |
शंखपुष्पी | कल्क (paste) |
आचार्य चरक इन चार जड़ी बूटियों में शंखपुष्पी को उत्तम बुद्धि वर्धक रसायन मानते है।
मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)
औषधीय पौधे | प्रयोगय अंग | अनुपान |
मंडूकपर्णी | 10 मिलीलीटर रस (जूस) | शहद |
यष्टिमधु (मुलेठी) | 3 ग्राम मूल चूर्ण | दूध |
गुडूची (गिलोय) | 10 मिलीलीटर रस (जूस) | शहद |
शंखपुष्पी | 10 ग्राम कल्क (paste) | दूध |
चरक संहिता में अनुपानों का वर्णन नहीं किया गया। हमने सबसे उपयुक्त अनुपानों का उलेख किया है जिन को इन औषिधियों के साथ लिया जा सकता है।
प्रमुख लाभ (Benefits)
मंडूकपर्णी
मंडूकपर्णी मानसिक मंदता, भाषण विकारों, पागलपन, मिर्गी आदि के उपचार में प्रयोग किया जाता है। यह मस्तिष्क के लिए एक तरह का टॉनिक है। स्मरण शक्ति वर्धक और बुद्धि वर्धक है। यह स्मृति हानि को रोकता है और छात्रों के लिए सबसे उपयोगी है।
यष्टिमधु (मुलेठी)
यष्टिमधु मन को शांति देता है और याददाश्त को बढ़ाता है। यह मानसिक पित्त प्रकोप को कम करता है और पित्त प्रकोप से होने वाले मानसिक रोगों में उपचार के लिए भी प्रयोग किया जाता है। इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर दूध के साथ मेध्य में प्रयोग किया जाता है।
गुडूची (गिलोय)
सीखने की क्षमता और स्मृति बढ़ाती है। तनाव काम करती है। सर में चक्कर में लाभदायक है। व्यवहार संबंधी विकार, मानसिक कमजोरी और बुद्धि के स्तर में सुधार लाती है। इसका रस मेध्य औषधि बनाने में प्रयोग किया जाता है।
शंखपुष्पी
चिंता विकारों में प्रभावी, सामाजिक अलगाव तनाव के विचारों में लाभप्रद है। तनाव, मानसिक मंदता, घबराहट और निद्रा दोष में आराम देती है। इस पौधे का पेस्ट बनाकर मेध्य औषधि में प्रयोग किया जाता है। सबसे अच्छी मस्तिष्क की शक्तिदायक औषधि है।
मेध्य गुण वाले अन्य द्रव्य
ब्राह्मी
इस पौधे का रस निकालकर औषधि में प्रयोग किया जाता है। इसके गुण मंडूकपर्णी के ही समान हैं। यह शांत करने वाली शामक औषधि है, संज्ञानात्मक वृद्धि, स्मृति बढ़ाने वाली और मानसिक दर्द निवारक है।
ज्योतिष्मती
इसके बीज का तेल निकालकर औषधि में प्रयोग किया जाता है। यह एक शक्तिशाली मस्तिष्क टॉनिक और शांति प्रदान करने वाली औषधि है, यह बुद्धि को उत्तेजित और स्मृति को तेज करती है।
कुष्मांड (पेठा)
कुष्मांड (पेठा) औषधि का अल्जाइमर रोग से ग्रसित रोगियों पर लाभदायक प्रभाव पड़ता है और चिंता विकारों में भी लाभ देती है।
वचा
वचा जड़ का प्रयोग भी मेध्य औषधि में किया जाता है। मुख्य रूप से इसका प्रयोग केंद्रीय स्नारयुतंत्र के विकारों को दूर करने में किया जाता है।
जटामांसी
जटामांसी की जड़ों और कंद को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। मुख्य रूप से इसे हिस्टीरिया, मिर्गी, और पेशी-स्फुरण के साथ बेहोशी और ऐंठन के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
दुष्प्रभाव
यदि मेध्य द्रव्य और मेध्य रसायन (Medhya Rasayana) का प्रयोग व सेवन निर्धारित मात्रा (खुराक) में चिकित्सा पर्यवेक्षक के अंतर्गत किया जाए तो मेध्य द्रव्य के कोई दुष्परिणाम नहीं मिलते।