आरग्वधारिष्ट के फायदे, औषधीय प्रयोग, मात्रा एवं दुष्प्रभाव
आरग्वधारिष्टम प्राकृतिक किण्वन प्रक्रिया के माध्यम से बनाई गयी अरिष्ट श्रेणी (Arishta Category) में वर्गीकृत एक आयुर्वेदिक और हर्बल औषधि है। यह औषधि त्वचा रोग, आंत्र कृमि, श्वित्र (leucoderma) और खाँसी में उपयोगी है। यह व्रण, घाव और फोड़े फुंसियों से आरोग्य प्राप्ति की गति को तेज करती है। यह रक्त का विषहरण करती है और शरीर में आम (विषाक्त पदार्थों )(toxins (AMA) को कम कर देती है, जिसके कारण प्रदाह, खुजली और विचर्चिका (psoriasis) के कारण होने वाली त्वचा की क्षति का उपचार करने में मदद मिलती है।
Contents
घटक द्रव्य (संरचना)
आरग्वध (अमलतास) आरग्वधारिष्टम का मुख्य घटक है। अन्य घटकों के साथ, यह विषाक्त पदार्थों के उन्मूलन और रक्त के विषहरण में मदद करता है।
- आरग्वध (अमलतास)
- वायविडंग
- आमलकी (आमला)
- हरीतकी
- निशोथ
- इलायची
- लौंग
- काली मिर्च
- गुड़
- शहद
औषधीय क्रिया
आरग्वधारिष्टम के घटकों में दाह नाशक क्रिया होती है, इसलिए यह सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इनकी मुख्य क्रिया त्वचा, रक्त, आंत और फेफड़ों पर देखी जा सकती है।
औषधीय गुण
- कण्डूरोधी
- दाह नाशक
- वायुनाशी
- हल्का रेचक
- पीड़ानाशक
- रक्त विषहर
- हल्का मूत्रवर्धक
- कृमिनाशक
- रोगाणुरोधी और जीवाणुनाशक
आयुर्वेदिक गुण
आयुर्वेद के अनुसार, आरग्वधारिष्टम आम शोधक (विषहर) है और शरीर से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट उत्पादों को निकाल देता है। यह एक संतुलित नियमन है, जिसके प्रयोग से तीनों दोषों (वात, पित्त और कफ) के बीच संतुलन बनाया जा सकता है। इसका मुख्य प्रभाव वात और पित्त दोषों पर दिखाई देता है। यह त्वचा के घावों की जलन का कम करता है।
आरग्वधारिष्टम के संकेत
- सभी प्रकार के त्वचा प्रदाह (खुजली)
- सेबोरहिक त्वचा प्रदाह (Seborrheic Eczema)
- व्रण और घाव
- मुँहासे
- रोजेसिया (Rosacea)
- पित्ती (Hives)
- श्वित्र (Vitiligo)
- मस्से (Carbuncles)
- सपूयचर्मस्फोट (Impetigo)
- गठिया
- हाइपरयूरिसीमिया (Hyperuricemia) – उच्च यूरिक एसिड स्तर
- कब्ज
- बवासीर
- मधुमेह
आरग्वधारिष्टम लाभ और उपयोग
आरग्वधारिष्टम शरीर को शुद्ध करने के लिए सर्वोत्तम है और यह आम (AMA (toxins) के उन्मूलन को बढ़ावा देता है। इस प्रभाव के कारण यह रक्त, लसीका और त्वचा में जमे हुए विषाक्त पदार्थों को कम कर देता है। यह त्वचा के घावों में जलन, खुजली और सूजन कम कर देता है।
मात्रा और सेवन विधि
औषधीय मात्रा (Dosage)
वयस्क | 15 से 30 मिलीलीटर |
अधिकतम संभावित खुराक | प्रति दिन 60 मिलीलीटर (विभाजित मात्रा में) |
सेवन विधि
दवा लेने का उचित समय (कब लें?) | खाना खाने के तुरंत बाद लें |
दिन में कितनी बार लें? | दो बार |
अनुपान (किस के साथ लें?) | समान मात्रा में पानी के साथ लें |
उपचार की अवधि (कितने समय तक लें) | चिकित्सक की सलाह लें |
सुरक्षा प्रोफाइल
चिकित्सक की देखरेख में ली गयी आरग्वधारिष्टम की संस्तुत खुराक अधिकतर व्यक्तियों ले लिए काफी सुरक्षित है।
आरग्वधारिष्टम के दुष्प्रभाव
आरग्वधारिष्टम की मानक खुराक के साथ कोई दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है। हालांकि, अगर खुराक 90 मिलीलीटर प्रति दिन से अधिक है, तो यह पेट में जलन पैदा कर सकती है या इसके कारण कुछ लोगों को पतले दस्त की शिकायत हो सकती है। इसके उपयोग के कारण नरम मल होना सामान्य माना जाता है और यह इसमें मौजूद आरग्वध (अमलतास) के कारण होता है जिसमें हल्के रेचक गुण होते हैं।
गर्भावस्था और स्तनपान
आरग्वधारिष्टम में निशोथ और हरीतकी होते हैं, इसके कारण गर्भावस्था के समय इसके प्रयोग से बचना चाहिए। इसलिए, हम गर्भावस्था में आरग्वधारिष्टम का उपयोग की अनुशंसा नहीं करते हैं। हालांकि, स्तनपान की अवधि में यह सुरक्षित हो सकता है, लेकिन इसका उपयोग आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की देखरेख में किया जाना चाहिए।
मधुमेह
आरग्वधारिष्टम की संस्तुति मधुमेह में भी की जाती है। सबसे आम सवाल यह है कि इसमें शर्करा के घटक जैसे शहद और गुड़ होते हैं। तो क्या यह रक्त में शर्करा के स्तर में वृद्धि करता है?
आरग्वधारिष्टम की संस्तुति दिन में दो बार 30 मिलीलीटर से भी कम मात्रा में की जाती है, जिसमें शर्करा की मात्रा नगण्य होती है, इसलिए इससे शर्करा के स्तर को प्रभावित करने की संभावना नहीं है।
इसके मद्यसार घटक से भी मधुमेह के प्रभावित होने की संभावना नहीं है। आरग्वधारिष्टम में रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित करने के लिए इसका स्तर नगण्य होता है।
विपरीत संकेत
ढीले मल या पतले दस्त के साथ शीघ्रकोपी आंत्र लक्षणों वाले व्यक्तियों को आरग्वधारिष्टम का उपयोग नहीं करना चाहिए।
सूचना स्रोत (Original Article)
- Aragwadharishtam – AYURTIMES.COM